जन्माष्टमी पर निबंध | Essay on Janmashtami in Hindi

हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में (Janmashtami in Hindi) पड़ेंगे जो कि आपको Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on Janmashtami Festival) के अंतर्गत हम जन्माष्टमी से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।

Short Essay on Janmashtami

निबंध का विषय जन्माष्टमी
भगवान श्री कृष्ण की माता देवकी
भगवान श्री कृष्ण के पिता वासुदेव
भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थानकंस के कारागार में (मथुरा)
जन्माष्टमी के अन्य नामकृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्री कृष्ण जयंती, श्री जयंती आदि।

प्रस्तावना:

जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। यह पर पूरी दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ सभी श्रद्धालु मनाते हैं। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीयों के द्वारा पूर्ण आस्था एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण युगो युगो से हमारी आस्था और ध्यान का केंद्र है। वह कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं तो कभी ब्रज के नटखट कन्हैया जो सारे जगत के पालनहार हैं।

जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है:

भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है जो कि रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र थे। श्री कृष्ण का जन्म मथुरा नगरी के राजा कंस के कारागार में हुआ था। मथुरा नगरी के राजा कंस के अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय भविष्यवाणी हुए कि उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेव के साथ कालकोठरी में डाल दिया। कंस ने देवकी के कृष्ण के पहले सातों पुत्रों की हत्या कर दी।

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जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया था कि वे श्री कृष्ण को गोकुल में यशोदा मैया और नंद बाबा के पास छोड़ आए, जहां वह अपने अत्याचार कंस मामा से सुरक्षित रह कर अपना पालन पोषण कर सके। इनका पालन-पोषण यशोदा मैया और नंद बाबा की देखरेख में ही हुआ। बस उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रति वर्ष जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

भूमिका:

सभी जातियों के लोग इस दिवस को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। जन्माष्टमी का त्योहार सभी हिंदुओं के लिए एक बहुत ही प्रमुख त्योहार माना जाता है और इसे हर साल बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसे भगवान श्री कृष्ण की जयंती के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए इसे जन्माष्टमी कहा जाता है।

जन्माष्टमी के अलावा भी इसे कई अन्य नामों से जाना जाता है। जैसे- कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्री कृष्ण जयंती, श्री जयंती आदि। श्री कृष्ण हिंदू धर्म के सबसे प्रिय भगवान थे। उन्होंने धरती पर मानव के रूप में जन्म लिया। जिससे वे मानव जीवन को बचा सके और मानव के दुखों को दूर करके सृष्टि का निर्माण कर सकें।

जन्माष्टमी का महत्व: 

हम जानते हैं कि जैसे ही विवाहित जीवन शुरू होता हर दंपत्ति की इच्छा होती है कि उसके पूरे जीवन के लिए उसके पास एक अनूठा बच्चा हो। विवाहित सभी जोड़ों को यह आशीर्वाद मिलता है और जल्द ही उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है कभी-कभी कुछ कारणों से देरी भी होती है।

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पौराणिक समय के ऋषि मुनि के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जन्माष्टमी के दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस व्रत को पूरा करने वाले को व्रत का फल एक बच्चे के आशीर्वाद के रूप में मिलता है। जो महिलाएं अविवाहित होती है वह भविष्य में एक अच्छे बच्चे के लिए इस दिन का व्रत श्रद्धा से करती है।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म लेना धर्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। वे भगवान विष्णु के रूप में पृथ्वी पर आए थे और मानव जीवन को उनके आदर्शों के साथ दिशा दिखाने के लिए आये थे। उनके जीवन की गाथाएँ हमें मोक्ष और धर्म के महत्व को समझाती हैं।

जन्माष्टमी के त्योहार कैसे मनायें:

मंदिर यात्रा: जन्माष्टमी के दिन, लोग मंदिरों में जाकर भगवान कृष्ण की आराधना करते हैं। मंदिरों में धूप, दीप, फूल, और पुष्पांजलि के साथ भगवान का अनुसरण करते है।

रासलीला: कुछ स्थानों पर जन्माष्टमी के दिन रासलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण के लीलाएँ दिखाई जाती हैं। यह दृश्य देखकर लोग भगवान की भक्ति में मग्न हो जाते है ।

फल और मिठाई बाँटना: जन्माष्टमी के दिन हमलोग गरीबों को फल और मिठाई बाँटते हैं। इससे एक अपना सा माहौल बनता है और समाज में सहानुभूति की भावना बढ़ती है।

जन्माष्टमी का महत्व सामाजिक दृष्टि से भी बहुत अधिक है। यह पर्व समाज में एकता और प्यार की भावना को बढ़ावा देता है। लोग इस दिन परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं और अच्छे कर्मों की ओर बढ़ने का संकेत देते हैं।

दही-हांडी/ मटकी फोड़ प्रतियोगिता :

जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगहों पर दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन होता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल गोविंदा भाग लेते हैं और छाछ दही आदि से भरी इस मटकी को रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दिया जाता है और बाल गोविंदा इस मटकी को छोड़ने का प्रयास करते हैं। इस प्रतियोगिता को जीतने वाली टीम को उचित इनाम दिया जाता है।

मंदिरों की सौंदर्यता:

जिस दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता है। उस दिन मंदिरों को खास तौर पर वह भी रूप में सजाया जाता है। इस दिन सभी लोग 12:00 बजे तक व्रत रखते हैं। जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में झांकियां निकाली जाती है और भगवान श्री कृष्ण को झूले पर बुलाया जाता है।

जगह जगह पर इस दिन रासलीला का भी आयोजन किया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हर बच्चे के घर के सामने पाल ने सजाए जाते हैं। जहां वे इस कॉलोनी में छोटे से कृष्ण को सुला देते हैं।

इस प्रकार कृष्ण के आसपास अन्य खिलौने रखकर उन्हें देखने के लिए आसपास से बहुत से लोग आते हैं। जिस वजह से वहां पर मेला से लग जाता है और झूले खिलौनों की बौछार हो जाती है क्योंकि जो भी व्यक्ति देखने आते हैं। वह खुशी से श्री कृष्ण भगवान के लिए झूले और खिलौने लेकर आते हैं।

जन्माष्टमी का सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व:

जन्माष्टमी के पर्व का हमारे जीवन में सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व की भावना को बढ़ावा देना है । यह हमें अच्छे कार्यों को करने के लिए प्रोत्साहित करता है और हमारे मानसिक और आध्यात्मिक विकास में मदद भी करता है।

जन्माष्टमी के दिन हम भगवान कृष्ण के आदर्शों के साथ जुड़कर उनकी भक्ति करते हैं। हम उनके जीवन से सीखते हैं कि कैसे हमें आध्यात्मिकता, ध्यान, और कामना एवं वासना से रहित कर्म के माध्यम से हम अच्छे मानव बन सकते हैं। उनकी गीता में दी गई उपदेशों ने हमें जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों को समझाया है और हमारी मानसिकता को सुधारने में मदद की है।

जन्माष्टमी के दिन हम अपने आप को भगवान कृष्ण के साथ जोड़ सकते हैं और अच्छे कर्मों की ओर बढ़ सकते हैं। इसके अलावा, इसे मानवता के लिए सेवा का मौका भी माना जाता है।

Frequently Asked Questions
कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है?

उत्तर: कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर मनाया जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाया जाता है?

उत्तर: कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है।

भगवान श्री कृष्ण किसके अवतार थे?

उत्तर: भगवान श्री कृष्ण विष्णु के आठवें अवतार थे।

भगवान श्री कृष्ण किस के संतान थे?

उत्तर: भगवान श्री कृष्ण वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान थे।

भगवान श्री कृष्ण का जन्म कहां हुआ था?

उत्तर: भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था।

उपसंहार (Conclusion of Janmashtami)

जन्माष्टमी एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो हमारे जीवन में आध्यात्मिक, सामाजिक एकता, और अच्छे कर्मों की भावना को बढ़ावा देता है। यह हमें भगवान कृष्ण के आदर्शों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करता है और हमें एक बेहतर और सद्गुणी जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। इसलिए, हमें जन्माष्टमी को खुशी और उत्साह के साथ मनाना चाहिए और इस अलोकिक पर्व का महत्व अच्छे कार्यों की ओर बढ़ने पर प्रतिबद्ध रहना चाहिए।

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा लेख जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on Janmashtami festival) पढ़ कर अच्छा लगा होगा और आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होगें।

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