क्या आप जानते हैं Transmission in hindi क्या है और ट्रांसमिशन के प्रकार क्या है? आज हम लोग इसके बारे में अच्छे से जानेंगे। आज से कई साल पहले जब लोग संदेश भेजते थे तो उनका एक ही मकसद होता था Information शेयर करना मतलब एक जगह से दूसरी जगह पर संदेश को भेजना लेकिन उस दौर में यह इतना आसान नहीं था। जिसकी चर्चा विस्तृत रूप से आज हम लोग इस Article में करेंगे ।
Data को Analog या Digital रूप में Transmit किया जा सकता है। Analog और Digital, दोनो ही प्रकार के Signal को Transmission माध्यम पर Transmit किए जा सकते है। इन Signal को किस रूप में broad किया जाना है, यह Transmission System का कार्य होता है।
Analog और डिजिटल Transmission में अंतर
Analog सिग्नल | डिजिटल सिग्नल | |
माध्यम | सूचना विद्युत स्पंदनों के ज़रिए आती है। | सूचना बाइनरी फॉर्मेट (0 और 1) में बदली जाती है। |
गुणवता | डेटा के अनुवाद या पुनः उपयोग पर क्वालिटी डैमेज का खतरा रहता है। | डिजिटल में यह खतरा नहीं होता। |
डेटा का आकार | डेटा के आकार की एक लिमिट होती है या निर्धारित समय तक ही ट्रांसमीट किया जा सकता है। | आसानी से फेरबदल किया जा सकता है व इसमे ज्यादा विकल्प होते हैं। |
उपकरण | Analog तकनीक सस्ती मानी जाती है। | डिजिटल उपकरण Analog की तुलना में महँगे होते हैं। |
त्रुटियां ( errors) | Analog संचार में गड़बड़ी संचार में त्रुटियां उत्पन्न करती है। | त्रुटियों को व्यक्त करने के लिए हम प्रतीकों को प्रतिस्थापित, डालने या हटाने में सक्षम होते हैं। |
बैंडविड्थ (bandwidth) | Analog सिग्नल प्रोसेसिंग कम बैंडविड्थ का उपभोग करती है। | डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग ज्यादा बैंडविड्थ का उपभोग करती है। |
क्षमता | Analog ऑडियो कैसेट की क्षमता 700-1.1 MB होती है। | नियमित सीडी की क्षमता 700 MB तक होती है। |
सुरक्षा | Analog बाहर के प्रभाव से खुदको नही बचा पाता। | संदेश के एन्क्रिप्टेड होने से यह एक सुरक्षित माध्यम है। |
इस्तेमाल | केवल Analog डिवाइस में ही इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। | डिजिटल सिंगनल्स का उपयोग कंप्यूटिंग और डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त है। |
Analog Transmission, Analog Signal को Transmit करने का एक ऐसा तरीका है, जिसमें उसकी सामग्री या वेल्यू पर विचार नहीं किया जाता है, अर्थात् Signals Analog डाटा (उदाहरणार्थ – ध्वनि) या Digital Data (उदाहरणार्थ, Modam के माध्यम से जाने वाला Binary Data) प्रदर्शित कर सकते हैं। दोनों ही परिस्थितियों में Analog Signal कुछ दूरी तय करने के उपरांत कमजोर ( क्षीण ) हो जाएँगे। अधिक लंबी दूरी तय करने के लिए Analog System में Amplifier Sound (Noise) के तत्वों को भी बढ़ा देता है। लंबी दूरियाँ प्राप्त करने के लिए निचले स्तरों पर Amplifier लगाने के साथ ही Signal में उत्तरोत्तर विकृति बढ़ति जाती है। ध्वनि जैसे Analog Data में बहुत-सी विकृतियों को सहन किया जा सकता है और डाटा बोधगम्य बना रहता है। Digital Data के लिए ये निचले स्तर के Amplifier Error उत्पन्न करते हैं।
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Digital Transmission का संबंध Signal की venue से होता है। किसी Digital Signal को कमजोर पड़ने तथा डाटा की अखण्डता को बिगाड़ने वाले Noise और अन्य हानिकारक तत्वों द्वारा प्रभावित किए जाने के पूर्व सीमित दूरी तक ही Transmit किया जा सकता है। अधिक दूरियों तक Signal भेजने के लिए Repeater प्रयुक्त किए जाते हैं। Repeater Digital Signal को प्राप्त करता है, IS और OS के Pattern को Recover करता है तथा नए Signal का पुनः प्रसारण करता है। इस प्रकार सिग्नल के कमजोर पड़ने (एटेन्यूएशन) पर नियंत्रण पाया जाता है। ।
Analog एवं डिजिटल सिगनेलिंग
इस विधि को Analog Signal के साथ भी प्रयुक्त किया ला सकता है, यदि यह मान लिया जाए कि सिग्नल Digital Data को ला रहा है। Transmission सिस्टम में यथोचित दूरियों पर Amplifiers के स्थान पर रिपीटर्स होते हैं। Repeater Analog सिग्नल से Digital Data recover करता है और एक नया स्वच्छ Analog सिग्नल निर्मित करता है। इस प्रकार नॉईस एकत्र नहीं हो पाता है।
सामान्यतः यह प्रश्न उठता है कि Transmission की उपयुक्त विधि कौन-सी है। इसका उत्तर Communication Business द्वारा समझा जा सकता है, जिसके Customer Digital हैं। लंबी दूरियों की Communication सुविधाओं और भवन की भीतरी सेवा, दोनों ही में Digital Transmission का प्रवेश हो गया है तथा जहाँ कहीं भी संभव है, Digital Signals तकनीकें पहुँचती जा रही हैं। इसके सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण निम्नानुसार हैं –
1. डिजिटल टेक्नोलॉजी : Large Scale Integration (LSI) और Very Large Scale Integration (VLSI ) Technology के प्रवेश के परिणामस्वरूप, डिजिटल सर्किटरी की लागत और आकार में निरंतर कमी आती जा रही है। Analog उपकरण ऐसी गिरावट नहीं दर्शा रहे हैं।
2. डाटा इंटीग्रिटी : Amplifiers के स्थान पर Repeaters के उपयोग के माध्यम से Noise और Signals संबंधी इन्य क्षतियों का प्रभाव एकत्रित नहीं हो पाता है। इस प्रकार Digital Medium द्वारा कम गुणवत्ता वाली लाईंस पर भी डाटा की Integrity बनाए रखते हुए उसे लंबी दूरियों तक भेजा जाना संभव हो पाया है।
3. क्षमता का पूर्ण उपयोग: सैटेलाईट चैपल्स और Optical Fibers से बनने वाले अत्यंत High Bandwidths के Transmission Links का निर्माण करना कम खर्चीला होता जा रहा है। क्षमता के ऐसे प्रभावी उपयोग के लिए High level Multiplexing की आवश्यकता होती है तथा इसे Analog (Frequency Division) विधियों के स्थान पर Digital (Time Division) technology द्वारा सरलतापूर्वक व कम लागत में प्राप्त किया जा सकता है।
4. सुरक्षा और नीजता : एनक्रिप्शन विधि को Digital Data और डिजीटाईज्ड किए गए Analog डाटा में तत्काल ही प्रयुक्त किया जा सकता है।
5. इंटीग्रेशन : Analog और डिजिटल दोनों ही डाटा को डिजिटल रूप में विष्लेषित किए जाने पर सभी सिग्नल्स एक समान स्वरूप में हो जाते हैं और इनके साथ एक समान रूप से व्यवहार किया जा सकता है। इस प्रकार ध्वनि, विडियो और Digital Data को एकीकृत करते हुए बड़े स्तर की मितव्ययिता और सुविधाएँ प्राप्त की जा सकती है।
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Analog Transmission की तुलना में डिजिटल Transmission के लाभ:
1. Circuits और उपकरण का अधिक कार्यकुशल उपयोग करने के लिए डाटा ( ध्वनि, संगीत और इमेजेस) को डिजिटल Transmission में शामिल किया जा सकता है।
2. डिजिटल Transmission में वर्तमान टेलीफोन लाइंस का उपयोग करते हुए उच्च डाटा रेट्स प्राप्त करना संभव होता है।
3. Analog Transmission भी तुलना में डिजिटल Transmission बहुत सस्ता पड़ता है।
4. Analog की तुलना में डिजिटल Transmission का रखरखाव सरल होता है। Transmit की गई बिट या तो अचूकता से मिलती है या प्राप्त ही नहीं होती है। इससे समस्याओं का पता लगाना सरल हो जाता है।
Frequently Asked Questions
उत्तर: गियरबॉक्स
उत्तर: लो गियर
उत्तर: पहियों को स्वतंत्र रूप से घुमाना
उत्तर: ट्रांसमिशन फ्लुइड
उत्तर: ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन
आज आपने क्या सीखा
दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा आर्टिकल ट्रांसमिशन क्या है? (What is Transmission in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी इसके लिए आपको और कहीं जाने की जरूरत नहीं है|
यदि आपके मन में इस Article को लेकर कोई Doubt है या आप चाहते हैं कि इसमें कुछ सुधार होना चाहिए तब इसके लिए आप नीचे Comment लिख सकते हैं आपकी इन्हीं विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मौका मिलेगा।
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