क्या आप जानते हैं कि कंप्यूटर मेमोरी क्या है (What is Computer Memory in Hindi) हम सभी तो Computer का इस्तेमाल करते हैं, अपने घरों में ऑफिस में या किसी दूसरे स्थान में लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि इन Machine को ऑपरेट करने के लिए या यूं कहें कि हमारे Data और Information को स्टोर करने के लिए हमें जिस डिवाइस की जरूरत होती है वह क्या है यदि आपका जवाब मेमोरी डिवाइस है तब आपने बिल्कुल सही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि कंप्यूटर मेमोरी के कितने प्रकार हैं यदि नहीं तब आपके लिए Article बहुत फायदेमंद साबित होने वाला है |
जैसे हम इंसानों को कुछ याद रखने के लिए या दूसरे कार्यों के लिए Memory की जरूरत होती है ठीक वैसे ही कंप्यूटर हो या कोई दूसरा Device उन्हें भी ठीक से ऑपरेट होने के लिए Memory की बहुत जरूरत होती है | इसलिए आज मैंने सोचा कि आप लोगों के सभी Doubt कंप्यूटर मेमोरी के विषय में आज इस आर्टिकल के माध्यम से Clear कर दिया जाए जिससे आपको कहीं दूसरी जगह जाने की जरूरत नहीं है आप बड़े ही आसानी से इन Technical Concept को समझ सकते हैं तो बिना देरी किए आज हम लोग कंप्यूटर मेमोरी के बारे में जानेंगे की कंप्यूटर की सबसे तेज मेमोरी क्या है और इसके कितने प्रकार होते हैं |
Computer Memory क्या है? (What is Computer Memory in Hindi)
Computer की Memory किसी Computer के उन अवयवों साधनों तथा Record करने वाले माध्यमों को कहा जाता है, जिनमें Processing में उपयोग किए जाने वाले अंकीय डेटा (Digital Data) को किसी समय तक रखा जाता है। Computer Memory आधुनिक Computer के मूल कार्यों में से एक अर्थात् सूचना भण्डारण (Information Retention) की सुविधा प्रदान करती है।
वास्तव में, Memory यह Computer का वह भाग है, जिसमें सभी डाटा और प्रोग्राम स्टोर किए जाते हैं। यदि भाग न हो, तो Computer को दिया जाने वाला कोई भी डाटा तुरन्त नष्ट हो जाएगा। इसलिए इस भाग का महत्व स्पष्ट है। Memory मुख्यतया दो प्रकार की होती है: Main Memory तथा Auxiliary Memory।
इनमें से मुख्य Memory को CPU का भाग माना जाता है तथा Auxiliary Memory उससे बाहर चुम्बकीय माध्यमों (Magnetic Mediums): जैसे- Hard disc, Floppy Disc, Tape आदि के रूप में होती है। दोनों प्रकार की Memory में लाखों की संख्या में बाइट्स (Bytes) होती है, जिनमें सभी प्रकार के डाटा (Data) और आदेश (Instruction), Binary Numbers के रूप में Store किए जाते हैं। किसी Computer की Main Memory का आकार जितना ज्यादा होता है, उसकी Processing Speed उतनी ही ज्यादा होती है।
Memory का अनुक्रम (Memory Hierarchy)
Memory को दो आधार पर विभाजित किया जाता है- क्षमता (Capacity) तथा एक्सेस समय (Access Time)। क्षमता, सूचना (Information) की वह मात्रा है; (बिट्स में) जिसे Memory स्टोर कर सकती है। Access time, समय का वह अन्तराल है जो डाटा के लिए रिक्वेस्ट (Request) तथा उस Request के प्रतिपादन में लगता है। ये access समय जितना कम होता है, Memory की गति उतनी ही अधिक होती है। चित्र में Memory sequence को बढ़ती गति तथा घटते आकार के रूप में दर्शाया गया है।
Memory के मापदण्ड (Parameters of Memory)
Storage Capacity
यह Memory के साइज को प्रदर्शित करती है। Computer की आंतरिक Memory को Word या Byte में मापा जाता है।
Access Mode
किसी भी Memory की बहुत सारी लोकेशन होती हैं। इन Memory लोकेशनों से Information को रैण्डमली (Randomly), सीक्वेन्शियली (Sequentially) तथा डायरेक्टली (Directly) एक्सेस किया जाता है।
Access Time
Access time वह है, जो Computer के Read और Write Operation को सम्पन्न करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
मापन की प्राथमिक इकाइयाँ (Basic Units of Measurement)
Computer की सभी सूचनाएँ (Informations), इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेण्ट, जैसे- Integrated Circuit, semi conductor के द्वारा हैण्डल की जाती हैं जो किसी सिग्नल की केवल दो अवस्थाएँ (States) पहचानती हैं- उपस्थिति और अनुपस्थिति। इन अवस्थाओं को पहचानने के लिए दो प्रतीकों (Symbols) का प्रयोग किया जाता है- 0 और 1 जिसे ‘बिट (Bit)’ भी कहते हैं। 0, सिग्नल की अनुपस्थिति तथा 1, सिग्नल की उपस्थिति को दर्शाता है। एक Bit Computer की वह सबसे छोटी यूनिट है जो केवल 0 या 1 स्टोर कर सकती है, क्योंकि एक सिंग्नल (Single) Bit केवल एक या दो ही मान (Value) स्टोर कर सकती है। Computer में जब हम RAM, ROM, Floppy, Disc, Hard Disc इत्यादि का प्रयोग करते हैं तो डाटा कुछ यूनिट में स्टोर होता है, जिसे Nibble, Bit, Byte, Kilobyte, Megabyte और Gigabyte कहते है।
इनका संक्षिप्त विवरण निम्नवत् है:
- बिट (Bit): बिट, Binary डिजिट को निरूपित करता है। यह एक सिंगल डिजिट है, जिसमें 0 तथा 1 का प्रयोग होता है- 0 से तात्पर्य ऑफ (OFF) तथा 1 से तात्पर्य ऑन (ON) से है |
- निबल (Nibble): निबल में चार बिट होती हैं, दो निवल एक बाइट के बराबर होते हैं।
- बाइट (byte): बाइट लगभग एक कैरेक्टर है (जैसे- लैटर ‘a’, नम्बर 1′,प्रतीक “? आदि)। 8 बिट के एक समूह को बाइट कहा जाता है।
- किलोबाइट (Kilobyte): Memory में 1024 बाइट्स को 1 किलोबाइट कहते हैं।
- मेगाबाइट (Megabyte): Memory में 1024 किलोबाइट्स को । मेगाबाइट कहते हैं। इसका तात्पर्य 1 मिलियन बाइट या 1000 किलोबाइट्स से है |
- गीगाबाइट (Gigabyte): Memory में 1024 मेगाबाइट के समूह को 1 गीगाबाइट कहते हैं। इसका तात्पर्य एक बिलियन बाइट्स या 1000 मेगाबाइट्स से है। अधिकतर चिप बनाने वाली कम्पनियाँ मेगाबाइट तथा गीगाबाइट का प्रयोग करती है। जैसे- 64 MB, 128 MB, 256 MB, 1.2GB इत्यादि।
- टेराबाइट (Terabyte): एक टेराबाइट में अधिक-से-अधिक 240 बाइट (1024 CB), 1 ट्रिलियन (1012) बाइट होती हैं।
- पेटाबाइट(Petabyte): एक पेटाबाइट, 1024 टेराबाइट या 250 बाइट के बराबर होती है।
- एक्साबाइट(Exabyte): एक एक्साबाइट, 1024 पेटाबाइट या 260 बाइट के बराबर होती है।
- जेटाबाइट (Zetabyte): एक जेटाबाइट 1024 एक्साबाइट या 270 बाइट्स के बराबर होती है।
Memory की इकाइयाँ (Units of Memory)
1 बिट = Binary डिजिट
8 बिट्स = 1 बाइट =2 निबल
1024 बाइट्स = 1 किलोबाइट (1 KB)
1024 किलोबाइट = 1 मेगाबाइट (1 MB)
1024 मेगाबाइट = 1 गीगाबाइट (1 CB)
1024 गीगाबाइट = 1 टेराबाइट (1 TB)
1024 टेराबाइट = 1 पेटाबाइट (IPB)
1024 पेटाबाइट = 1 एक्साबाइट (1 EB)
1024 एक्साबाइट = 1 जेटाबाइट (1 ZB)
1024 जेटाबाइट = 1 योटाबाइट (1YB)
1024 योटाबाइट = 1 ब्रोण्टोबाइट (1 Bronto Byte)
1024 ब्रोण्टोबाइट = 1 जीओपबाइट (Ceop Byte)
Memory के प्रकार (Types of Memory)
Memory को दो भागों में बाँटा गया है:
1. Primary Memory या Main Memory
2. Secondary Memory या Auxiliary Memory
1. Primary Memory
इसे Internal Memory भी कहा जाता है, क्योंकि यह Computer के CPU का ही भाग होती है। Primary Memory में किसी समय चल रहें Programme (या प्रोग्रामों) तथा उनके Input Data और Output Data कुछ समय के लिए store किया जाता है। जैसे ही उनकी आवश्यकता समाप्त हो जाती है, उन्हें हटाकर दूसरे Data या Programme रखे जा सकते हैं। इस Memory का आकार सीमित होता है, परन्तु इसकी Speed बहुत तेज होती है, ताकि जब भी किसी Data की जरूरत हो, इसमें से तुरन्त लिया जा सके। Computer की Main Memory का आकार जितना ज्यादा होता, है वह Computer उतना ही Fast माना जाता है। Primary Memory को दो भागों में बाँटा जा सकता है |
>Input Device क्या है और इसके कितने प्रकार है?
>Output Device क्या है और इसके प्रकार
1. RAM (Random Access Memory) क्या है?
यह Memory एक चिप की तरह होती है जो मैटल ऑक्साइड सेमीकण्डक्टर (MOS) से बनी होती है। RAM में उपस्थित सभी सूचनाएँ अस्थाई होती हैं और जैसे ही Computer की विद्युत सप्लाई बन्द कर दी जाती है, वैसे ही समस्त सूचनाएँ नष्ट हो जाती हैं अर्थात् RAM एक Volatile Memory है।
RAM का उपयोग Data को स्टोर करने तथा उसमें (Memory में) उपस्थित Data को पढ़ने के लिए किया जाता है। RAM में उपस्थित प्रत्येक लोकेशन का अपना एक निश्चित पता (Address) होता है। इस पते (Address) के द्वारा ही CPU को यह बताया जाता है, कि Memory की किस लोकेशन में सूचना स्टोर करनी है या किस लोकेशन से सूचना प्राप्त करनी है।
RAM कितने प्रकार के होते है?
RAM दो प्रकार की होती है
(i) Dynamic RAM
इसे डी रैम (DRAM) भी कहते हैं। DRAM चिप के स्टोरेज सेल परिपथों (Circults) में एक Transistor लगा होता है जो ठीक उसी प्रकार कार्य करता है जिस प्रकार कोई ON/OFF स्विच कार्य करता है और इसमें एक कैपेसिटर (Capacitor) भी लगा होता है जो एक विद्युत चार्ज को स्टोर कर सकता है।
Transistor रूपी स्विच की स्थिति के अनुसार, वह कैपेसिटर चार्जड (Charged) भी हो सकता है और अनचार्जड (Uncharged) भी। इन स्थितियों को क्रमशः 0 बिट या 1 बिट माना जाता है, परन्तु Capacitor का चार्ज लीक हो सकता है, इसलिए उस चार्ज को फिर से भरने या उत्पन्न करने का प्रावधान अर्थात रिफ्रेश (Refresh) किया जाता है जिसके कारण इसकी गति धीमी हो जाती है। इस प्रकार Dynamic RAM Chip ऐसी Memory की सुविधा देता है, जिसकी सूचना बिजली बन्द करने पर नष्ट हो जाती है।
DRAM के अन्य उदाहरण हैं:
(1) SDRAM – Synchronous Dynamic RAM
(ii) RDRAM – Rambus Dynamic RAM
(iii) DDRAM – Double Data Dynamic RAM
(ii) Static RAM
इसे SRAM भी कहते हैं। इसमें Data तब तक संचित रहता है जब तक विद्युत सप्लाई ऑन (ON) रहती है। Static RAM में स्टोरेज सेल परिपथों में एक से अधिक Transistor लगे होते हैं। इसमें Capacitor नहीं लगा होता है। Static RAM अधिकतर (उसकी तेज गति के कारण) कैश की तरह उपयोग किया जाता है। Dynamic RAM की तुलना में Static RAM अधिक महँगी होती है।
SRAM के अन्य उदाहरण हैं
(i) नॉन-वालेटाइल एस रैम (Non-volatile SRAM)
(ii) स्पेशल एस रैम (Special SRAM)
(iii) एसिंक्रोनस एस रैम (Asynchronous SRAM)
(iv) सिंक्रोनस एस रैम (Synchronous SRAM)
2. ROM (Read Only Memory) क्या है?
इसे संक्षेप में रोम (ROM) कहा जाता है। इस Memory में उपस्थित Data तथा Instruction स्थाई होते हैं। जिस कारण इन्हे केवल पढ़ा जा सकता है, परन्तु इन्हें Data और Instruction में परिवर्तित करना सम्भव ROM नहीं है। Data और Instruction के स्थाई होने के कारण Computer की विद्युत सप्लाई बन्द होने पर भी इस Chip में भरी सूचनाएँ संरक्षित रहती हैं अर्थात ROM नॉन-वॉलेटाइल (Non-Volatile) Memory है, वास्तव में ROM Chip बनाते समय ही उसमें कुछ आवश्यक Data और Progamme डाल दिए जाते हैं जो स्थाई होते हैं। ROM का उपयोग सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों; जैसे- Calculator, Video game, डिजिटल कैमरा आदि में किया जाता है।
ROM के निम्न प्रकार हैं:
PROM
यह Programmable Read Only Memory का संक्षिप्त नाम है। यह एक ऐसी Memory है, जिसमें एक प्रोग्राम की सहायता से सूचनाओं को स्थायी रूप से स्टोर किया जाता है। साधारण Switch Memory में ट्रांजिस्टर स्विचों को स्थायी रूप से ON (1) या OFF (0) स्थितियों में सेट कर दिया जाता है। लेकिन PROM Memory के मामले में चिप को इस प्रकार बनाया जाता है। कि इसके सभी स्विचों को ON करके छोड़ दिया जाता है। जब इस Memory में कोई सूचना भरनी होती है, तो एक उपकरण जिसे PROM Programmer या Burner कहा जाता है, द्वारा ऐसी उच्च वोल्टेज के पल्स उत्पन्न किए जाते हैं, जिनसे कुछ चुने हुए स्विच नष्ट हो जाते हैं अर्थात् वे स्विच 1 से 0 हो जाती है। इस प्रकार PROM Chip में Information स्टोर कर दी जाती है। PROM Memory को भी केवल एक बार ही प्रोग्राम द्वारा भरा जा सकता है। ROM की तरह यह भी स्थायी होती है और बाद में इसे बदला नहीं जा सकता।
EPROM
यह इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली Memory (Erasable Programmable Read Only Memory) का संक्षिप्त नाम है। यह एक ऐसी प्रोम Memory है, जिसको फिर से प्रोग्राम किया जा सकता है। इसकी सूचनाओं को चिप में ही रखी गई विद्युत धारा के द्वारा स्थायी रखा जाता है। किसी ईप्रोम की सूचनाओं को उस सर्किट से हटाकर और उसमें बनी हुई एक छोटी-सी खिड़की से अल्ट्रावॉयलेट किरणें डालकर साफ किया जा सकता है। बाद में इसे एक ईप्रोम बर्नर (EPROM Burner) की सहायता से फिर से रिप्रोग्राम (Reprogram) किया जा सकता है। ईप्रोम में भरी हुई सूचनाएँ भी स्थायी होती हैं, क्योंकि Computer को ऑफ कर देने के बाद भी वे नष्ट नहीं होती।
EEPROM
यह इलेक्ट्रॉनिकली इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली Memory (Electronically Erasable Programmable Read Only Memory) का संक्षिप्त नाम है। यह एक ऐसी ईप्रोम है, जिसका फिर से प्रोग्राम करने के लिए सर्किट से हटाने और निर्माता को भेजने की आवश्यकता नहीं होती। आप इसको एक विशेष सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम की सहायता से अपने Computer में ही प्रोग्राम कर सकते हैं।
इसमें यह विशेषता भी है कि फिर से प्रोग्राम करने के लिए इसकी सारी सूचनाओं को नष्ट करने की आवश्यकता नहीं होती है। आप एक बार में इसकी एक बाइट को साफ करके फिर से लिख सकते हैं। प्रायः Computer के कॉनफिनेशन से सम्बन्धित सूचनाएँ रखी जाती
इनके अलावा कुछ memory के प्रकार है जो निम्नलिखित है |
Flash Memory
यह एक प्रकार की सेमीकण्डक्टर आधारित नॉन वॉलेटाइल विद्युत सप्लाई बन्द होने पर भी चिप में भरी सूचनाएँ संरक्षित रहती है तथा रीराइटेबल (पुनः लिखने योग्य) Memory है, जिसे डिजिटल कैमरो, मोबाइल फोन, प्रिण्टर इत्यादि में उपयोग किया जाता है।
Virtual Memory
ये एक काल्पनिक Memory क्षेत्र है। वर्चुअल Memory सीपीयू के निर्देश अस्थाई रूप से संग्रहीत (Store) करती है। ये मेन Memory की भण्डारण क्षमता को बढ़ाती है, जिससे Computer की कार्यक्षमता (Effectiveness) बढ़ती है। वर्चुअल Memory का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी प्रोग्राम को चलाने के लिए मेन Memory की भण्डारण क्षमता कम पड़ रही है। ऐसी स्थिति में, प्रोग्राम को विभिन्न टुकड़ों में विभाजन कर दिया जाता है तथा प्रोग्राम के टुकड़ो को वर्चुअल Memory तथा मुख्य Memory के बीच स्वैप (Swap) करके प्रोग्राम चलाया जाता है।
Secondary Memory क्या है?
इस प्रकार की Memory सीपीयू से बाहर होती है, इसीलिए इसे बाहा (External) या सेकेण्डरी (Secondary) Memory भी कहा जाता है। Computer की मुख्य Memory बहुत महँगी होने तथा बिजली बन्द कर देने पर उसमें रखी अधिकतर सूचनाएँ नष्ट हो जाने के कारण न तो हम उसे इच्छानुसार बढ़ा सकते हैं। और न हम उसमें कोई सूचना स्थायी रूप से स्टोर कर सकते हैं। इसलिए हमें सहायक Memory का उपयोग करना पड़ता है।
इसकी कीमत तुलनात्मक दृष्टि से बहुत कम और डेटा स्टोर करने की क्षमता (Capacity) बहुत अधिक होती है। इसमें एक ही कमी है कि इन माध्यमों मे डेटा की लिखने (अर्थात् स्टोर करने) तथा पढ़ने अर्थात (प्राप्त करने) में समय बहुत लगता है। इसलिए हम इसमें ऐसी सूचनाएँ भण्डारित करते हैं, जिन्हे लम्बे समय तक सुरक्षित रखना हो तथा जिनकी आवश्यकता लगातार नहीं पड़ती हो।
हम सहायक Memory को अपनी आवश्यकता के अनुसार किसी भी सीमा तक बढ़ा सकते हैं। यह Memory कुछ चुम्बकीय उपकरणों के रूप में होती है; जैसे -मैग्नेटिक डिस्क, ऑप्टिकल डिस्क एवं सॉलिड स्टेट डिस्क। इन उपकरणों के बारे में आगे विस्तार से बताया गया है। सहायक Memory का उपयोग बैकअप के लिए किया जाता है। जब हमें किसी डेटा की तत्काल आवश्यकता नहीं रहती तो उसे किसी चुम्बकीय माध्यम; जैसे- Floppy Disc या चुम्बकीय टेप; पर नकल करके अलग सुरक्षित कर लिया जाता है।
ऐसा प्रायः हार्ड डिस्क को खाली करने के लिए किया जाता है, ताकि उस पर ऐसा डेटा भरा जा सके, जिसकी आवश्यकता पड़ रही हो और डिस्क पर जगह न हो। बैकअप साधन में भण्डारित किए गए डेटा को आगे कभी भी आवश्यकता पड़ने पर फिर हार्ड डिस्क पर उतारा या नकल किया जा सकता है। प्रारम्भिक Computerों में छिद्रित कार्ड, पेपर टेप तथा चुम्बकीय टेपों का प्रयोग सहायक भण्डारण के लिए किया जाता था। लेकिन आजकल मुख्य रूप से | चुम्बकीय डिस्कों का प्रयोग इस कार्य हेतु किया जाता है जो कई प्रकार से सुविधाजनक है। सहायक Memory के रूप में आजकल हार्ड डिस्क, Floppy Disc और कॉम्पैक्ट डिस्क का प्रचलन है। इनके लिए अपने विशेष उपकरण होते हैं, जिनकी सहायता से इन पर सूचनाएँ लिखी जाती है। इन उपकरणों को उनकी ड्राइव कहा जाता है।
उदाहरण
मैग्नेटिक डिस्क – हार्ड डिस्क ड्राइव, Floppy Disc – Memory डिस्क
ऑप्टिकल डिस्क- सी डी । डी वी डी ब्लू-रे डिस्क
सॉलिड स्टेट डिस्क – पेन/फ्लैश ड्राइव
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Cache Memory
यह एक विशेष प्रकार की Memory है, जो अत्यधिक तेज स्टैटिक रैम (SRAM) चिपों का उपयोग करती है और Processor को किसी विशेष Memory का उपयोग अत्यन्त तेजी से करने की सुविधा प्रदान करती है। सामान्यतः Processor को रैम Memory से कोई डेटा पढ़ने में 180 नैनो सेकेण्ड का समय लग जाता है। कैश Memory से बार-बार आवश्यक डेटा केवल 45 नैनों सेकेण्ड में प्राप्त किया जा सकता है। कैश Memory का उपयोग करने से आपके Computer की दक्षता काफी बढ़ जाती है।
- कैश डीरैम (DRAM) मॉड्यूलों के बीच एक बफर के रूप में रहती है।
- नवीनतम निर्देश और उसके डेटा को कैश Memory में रखा जाता है।
- जब Processor को किसी सूचना की आवश्यकता होती है तो सबसे पहले वह Cache Memory को ही देखता है यदि सूचना Cache Memory में न हो तो उसे Main Memory में देखा जाता है।
कुछ मुख्य Secondary Storage Devices का विवरण निम्नलिखित हैं |
Floppy Disc
Floppy Disc माइलर की बनी हुई एक वृत्ताकार डिस्क होती हैं, जिसके दोनों ओर एक चुम्बकीय पदार्थ का लेप चढ़ा होता है। यह एक प्लास्टिक के चौकोर कवर में संरक्षित रहती है, जिसके भीतर फ्लॉपी की सफाई करने वाली मुलायम लाइनें होती हैं।
यह तीन आकारों (Sizes) में उपलब्ध होती हैं
8 इंच, 51/4इंच तथा 3 इंच
इसमें बीच की धुरी (Hub) किसी धातु की बनी होती है, इसके ऊपरी किनारे पर एक खिसकने वाला ढक्कन (Sliding cover) होता है जो लिखने-पढ़ने के खुले स्थान को पूरी तरह ढक लेता है। इसका लिखने का सुरक्षित छिद्र (Hole) आयताकार होता है, जिसमें एक छोटा-सा प्लास्टिक का टैब या टुकड़ा होता है। यह टैब दो स्थितियों में रखा जा सकता है। एक स्थिति में रहने पर फ्लॉपी पर कुछ भी लिखा या पढ़ा जा सकता है और दूसरी स्थिति में रहने पर उससे केवल पढ़ा जा सकता है। फ्लॉपी पर डेटा कुछ संकेन्द्रीय (Co-central) वृत्ताकार (Circular) पथों पर स्टोर किया जाता है, जिन्हें ट्रैक्स (Tracks) कहते हैं। हर ट्रैक कई भागों में बँटा होता है, जिन्हें सेक्टर (Sector) कहते है। डिस्क को ट्रेकों और सेक्टरों में विभाजित करने की प्रक्रिया फार्मेटिंग कहलाती हैं। एक सेक्टर में 512 बाइटें होती हैं। होती हैं। इसकी प्रति इंच चौड़ी सतह पर 135 ट्रैक बने होते है। प्रत्येक ट्रैक पर कुछ महीन चुम्बकीय चिह्न बनाए जाते हैं। एक दिशा में बनाए गए चिन्ह Binary अंक 1 को व्यक्त करते हैं और उसकी विपरीत दिशा में बनाए गए चिन्ह Binary 0 को व्यक्त करते हैं। इस प्रकार चुम्बकीय डिस्कों पर Binary कोड में कोई भी सूचना अंकित की जा सकती है।
Floppy Disc पर कोई सूचना लिखने या उससे पढ़ने के लिए एक विशेष उपकरण की आवश्यकता होती है, जिसे Floppy Disc ड्राइव (Floppy Disk Drive या FDD) कहा जाता है। फ्लॉपी को इस ड्राइव में लगा दिया जाता है तो वह धातु की धुरी को जकड़ लेता है और डिस्क को धुमाना शुरू कर देता है। ड्राइव का रीड-राइट हैड आगे-पीछे चल सकता है। इससे वह फ्लॉपी के किसी भी ट्रैक के किसी भी सेक्टर में डेटा लिख सकता है या उससे डेटा पढ़ सकता है। floppy Disk drive में floppy को उसी प्रकार लगाया जाता है, जिस प्रकार किसी प्रकार किसी कैसेट प्लेयर में कैसेट प्लेयर में कैसेट को लगाया जाता है। आजकल प्रायः हर Computer में एक फ्लॉपी ड्राइव अवश्य होती है।
Hard Disk
इन्हे फिक्स्ड डिस्क (Fixed Disc) भी कहा जाता है। कई आकारों और क्षमताओं में मिलती है, लेकिन इनकी बनावट तथा कार्यप्रणाली लगभग एक ही होती है। कोई हार्ड डिस्क एक ही धुरी पर लगी हुई कई वृत्ताकार चुम्बकीय डिस्कों का समूह होता है। प्रत्येक डिस्क की सतहों पर किसी चुम्बकीय पदार्थ का लेप होता है जिस पर चुम्बकीय चिन्ह बनाए जाते हैं। सबसे ऊपरी और सबसे नीचे डिस्क की बाहरी सतहों को छोड़कर अन्य सभी सतहों पर डेटा स्टोर किया जाता है। ऐसी प्रत्येक सतह के लिए एक अलग रीड-राइट हैड होता है, जो आगे -पीछे सरक सकता है। एक साधारण हार्ड डिस्क की संरचना चित्र में दिखाई गई हैं।
किसी हार्ड डिस्क में डिस्क को तेज गति से घुमाया जाता है। इनके धूमने की गति 3600 चक्कर/मिनट (Rotations Per Minute) से 7200 चक्कर/मिनट तक होती है। रीड-राइट हैड और डिस्क की सतह के बीच लगभग 0.064 इंच का अन्तर होता है। सभी डिस्कें एक साथ घूमती हैं और सभी रीड-राइट हैड एक साथ आगे पीछे सरकते हैं, परन्तु डेटा लिखने और पढ़ने के लिए एक समय में केवल एक ही रीड-राइट हैड को चुना जाता है। इस प्रकार विभिन्न रीड-राइट हैडों को चुनते हुए किसी भी सतह के किसी भी सेक्टर से डेटा पढ़ा या उस पर लिखा जा सकता है।
आधुनिक हार्ड डिस्कों की क्षमता 200 गीगाबाइट तक होती है। पर्सनल Computerों के लिए विशेष प्रकार की हार्ड डिस्क भी उपलब्ध है, जिन्हें विचेस्टर डिस्क कहा जाता है। इनकी क्षमता 20 गीगाबाइट से 80 गीगाबाइट तक होती है। हार्ड डिस्क सूचनाओं को स्थायी रूप से संगृहीत करने का बहुत विश्वसनीय माध्यम है और इनका उपयोग करने की गति भी पर्याप्त होती है। लेकिन ये धूल आदि के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं, जिसके कारण इनको एक डिब्बे में स्थायी रूप से बन्द रखा जाता है और सिस्टम यूनिट के भीतर लगा दिया जाता है।
Memory Stick
Memory स्टिक एक प्रकार का Memory कार्ड होता है। ये एक USB आधारित Memory ड्राइव है। इसका आकार 50.0×21.5×2.8 मिमी होता है तथा इसकी क्षमता (Storage Capacity) 4 MB से 256 GB तक होती है।
Compact Disk
यह एक विशेष प्रकार की डिस्क होती है, जिन पर डेटा प्रायः एक बार ही लिखा जाता है और फिर उसे कितनी भी बार पढ़ सकते हैं। यह एक प्रकार की रीड ओनली Memory ही है। इनमें प्रायः ऐसी सूचनाएँ स्टोर की जाती हैं जो स्थायी प्रकृति की
कॉम्पैक्ट डिस्क हों तथा जितकी आवश्यकता बार-बार पड़ती हो; जैसे- टेलीफोन डायरेक्टरी, हवाई जहाजों की उड़ानों की समय-सारणी, पुस्तकें, पुस्तकालय की पुस्तकों की सूची (Catalogue) कानूनी सूचानाएँ, फिल्म आदि। इन पर डेटा लिखने-पढ़ने के लिए लेसर (Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation-LASER) तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसलिए इन्हें Optical Disc भी कहा जाता है। यह प्लास्टिक की बनी हुई डिस्क होती है, जिस पर दोनों ओर एल्युमीनियम की पतली परत लगी होती है। इस परत पर पारदर्शक प्लास्टिक की परत होती है, जिससे यह सुरक्षित रहती है। इस पर डेटा स्टोर करने की विधि चुम्बकीय डिस्क से अलग होती है। चुम्बकीय डिस्क पर जहाँ संकेन्द्रीय वृत्ताकार ट्रैक होते हैं, वहीं कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी) पर एक सर्पिलाकार ट्रैक होता है।
इसी प्रकार डेटा को रिकॉर्ड करने की विधि भी अलग होती है। चुम्बकीय डिस्क पर चुम्बकीय चिन्ह बनाए जाते हैं। जबकि सीडी पर गड्ढों (Pits) और भूमि (Lands) के रूप में डेटा स्टोर किया जाता है। कोई गड्ढा प्रकाश को बिखेर देता है, जबकि भूमि प्रकाश को लौटाती है। इससे क्रमशः 1 और 0 को व्यक्त किया जाता है। सम्पूर्ण सीडी पर सूचनाओं को समान धनत्व के साथ स्टोर किया जाता है अर्थात् ट्रैक की लम्बाई में सूचनाओं को स्टोर करने की मात्रा समान होती है। इसलिए सूचनाएँ पढ़ते समय डिस्क के घूमने की गति बदलती रहती है। उसे इस प्रकार घुमाया जाता है कि प्रति सेकण्ड पढ़ी जाने वाली बाइटों की संख्या निश्चित रहती है। इसे स्थिर रेखीय गति (Constant Linear Velocity) कहा जाता है |
एक सीडी की भण्डारण क्षमता 680 मेगाबाइट से 800 मेगाबाइट तक होती है। इसे प्रायः 1200 किलोबाइट प्रति सेकण्ड की गति से पढ़ा जाता है। इसमें से सूचनाएँ पढ़ने के लिए जो ड्राइव उपयोग में लाया जाता है, उसे सीडी रोम ड्राइव कहा जाता है।
आजकल ऐसी कॉम्पैक्ट डिस्कें भी उपलब्ध हैं, जिन पर साधारण फ्लॉपी की तरह डेटा लिखा तथा पढ़ा जा सकता है, लेकिन उनके लिए सीडीराइटर (CD-Writer) नामक उपकरण की जरूरत होती है। अपेक्षाकृत महँगा होने के कारण इनका प्रयोग अभी सीमित ही है। कॉम्पैक्ट डिस्कों का प्रयोग सामान्यतया कम्पयूटरों के साथ ही किया जाता है, क्योंकि सभी प्रकार के प्रोग्राम आजकल सीडी पर ही उपलब्ध होते हैं। इसे मुख्यतः तीन भागों में बाँटा जा सकता है- CD-ROM (रीड आनली Memory), CD-R (रिकॉर्डेबल), CD-RW (री-राइटेबल)।
Digital Video Disc-DVD
आजकल सीडी का एक अन्य परिष्कृत रूप भी प्रयोग में लाया जाता है जिसे डीवीडी (DVD) कहा जाता है। भण्डारण क्षमता 2 गीगाबाइट या अधिक भी हो सकती है। इस पर डेटा लिखने या उससे पढ़ने के लिए एक विशेष ड्राइव होता है, जिसे डीवीडी ड्राइव कहा जाता है। इसें डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क या डिजिटल वीडियों डिस्क के रूप में भी जाना जाता है। एक ऑप्टिकल डिस्क स्टोरेज मीडिया फॉर्मेट है और इसे वर्ष 1995 में, सोनी, पैनासोनिक और सैमसंग द्वारा विकसित किया गया था। इसका मुख्य उपयोग वीडियों और डेटा का भण्डारण करना है। DVD का आकार कॉम्पैक्ट डिस्क (CD) के समान ही होता है, लेकिन ये छः गुना अधिक तक डेटा भण्डारण करते हैं।
DVD शब्द के परिवर्तित रूप अक्सर डेटा के डिस्क पर संग्रहण पद्धति को वार्णित करते हैं। DVD-ROM (रीड ओनली भैमोरी) में डेटा को सिर्फ पढ़ा जा सकता है, लिखा नहीं जा सकता। DVD-R और | DVD+R (रिकॉर्डेबल) डेटा को सिर्फ एक बार रिकॉर्ड कर सकते हैं और उसके बाद एक DVD-ROM के रूप में कार्य करते हैं। DVD-Rw (रि-राइटेबल), DVD-RW और DVD-RAM (रैण्डम एक्सेस Memory) डेटा को कई बार रिकॉर्ड कर सकता है और मिटा सकता है।
DVD वीडियो और DVD ऑडियों डिस्क, क्रमशः उचित रूप से संचरित और स्वरूपित वीडियों और ऑडियों सामग्री को सन्दर्भित करता है। वीडियो सामग्री वाले DVD सहित, DVD के अन्य प्रकार को, DVD डेटा डिस्क कहा जा सकता है।
Blue-ray Disc-BD
ब्लू-रे डिस्क (BD या ब्लू-रे नाम से भी प्रचलित है), एक ऑप्टिकल डिस्क संग्रहण माध्यम है, जिसे मानक DVD प्रारूप का स्थान लेने के लिए बनाया गया है।
ब्लू-रे डिस्क का नाम इसे पढ़ने में प्रयुक्त नीले-बैंगनी (Blue-Violet) लेजर से लिया गया है। एक मानव डीवीडी में 650 नैनोमीटर लाल लेजर का प्रयोग किया जाता है, जबकि ब्लू-रे डिस्क कम तरंगदैर्ध्य का प्रयोग करती है, 400 नैनोमीटर वाला-नीला-बैंगनी लेजर तथा एक डीवीडी की तुलना में लगभग दस गुना अधिक डेटा संग्रहण की अनुमति देती हैं। मुख्य रूप से इसका प्रयोग उच्च परिभाषा वाले वीडियो (High Definition Video), प्लेस्टेशन 3 (Playstation 3), वीडियो गेम्स तथा अन्य डेटा को, प्रत्येक एकल परने वाले प्रोटोटाइप पर 25 CB तक और दोहरी परत वाले पर 50 CB तक संग्रहित करने के लिए किया जाता है। यद्यपि ये संख्याएँ ब्लू-रे-डिस्क के लिए मानक संग्रहण को बताती हैं, तथापि यह एक मुक्त (Open-ended) विनिर्देशन है, जिसमें ऊपरी सैद्धान्तिक संग्रहण सीमा अस्पष्ट छोड़ दी गई है। इस डिस्क में स्थित सूचनाओं को किसी भी अतिरिक्त उपकरण या संशोधित फर्मवेयर के बिना पढ़ा जा सकता है। ब्लू-रे डिस्क के भौतिक आयाम मानक DVD तथा CDs के ही समान होते हैं।
Pen/Thumb/Flash Drive
फ्लैश Memory डेटा स्टोरेज डिवाइस से बना होता है, जिसमें एक USB (यूनिवर्सल सीरियल बस) 1.1 या 2.0 अन्तरा फलक एकीकृत होता है। USB फ्लैश ड्राइव आमतौर पर हटाने योग्य और री-राइटेबल होते हैं जो एक Floppy Disc से छोटे होते हैं और अधिकांश का वजन 30 ग्राम से कम होता है, आकार और मूल्य की बढ़ोतरी के साथ इनकी भण्डारण क्षमता भी बढ़ती जा रही है। यूएसबी फ्लैश ड्राइव का प्रयोग प्रायः उसी उद्देश्य से किया जाता है, जिस उद्देश्य से Floppy Disc का किया जाता है। हिलते हिस्सों के न होने के कारण वे अपेक्षाकृत छोटे, तेज हजारों गुना अधिक क्षमता वाले और अधिक वर्ष 2005 तक, अधिकांश डेस्कटॉप और लैपटॉप Computer की आपूर्ति एक Floppy Disc ड्राइव के साथ की जाती थी, लेकिन हाल ही में अधिकांश उपकरणों में USB पोर्ट को अपनाते हुए Floppy Disc ड्राइव को त्याग दिया है।
फ्लैश ड्राइव USB मॉस स्टोरेज मानक का उपयोग करते हैं। जो आधुनिक ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा समर्थित हैं, जैसे- Windows, Mac, OSx Linux और Unix तथा अन्य सिस्टम। USB 2.0 समर्थन | वाले USB ड्राइव अधिक डेटा संग्रह कर सकते हैं और अपेक्षाकृत एक बहुत बड़े ऑप्टिकल डिस्क ड्राइव से अधिक तेजी से डेटा स्थानान्तरित कर सकते हैं। और इन्हें अधिकांश अन्य सिस्टमों द्वारा पढ़ा जा सकता है ।
Magnetic Tape
ये पुरानी फाइलों का बैकअप लेने के बहुत सुरक्षित और सस्ते साधन माने जाते हैं। ये प्रारम्भ से ही Computerों में प्रयोग किए जाते रहें हैं और अभी भी इनका उपयोग किया जाता है। चुम्बकीय टेप प्लास्टिक का आधा इंच या 12.7 मिमी चौड़ा तथा सैकड़ों व हजारों फीट लम्बा फीता होता है जो एक चक्के (Spool) पर लिपटा रहता है। इसकी एक सतह पर किसी चुम्बकीय पदार्थ की पतली परत होती हैं। इसी परत पर चुम्बकीय चिन्ह बनाकर डेटा लिखा जाता है। टेप की एक इंच लम्बाई में 800 से लेकर 6250 बाइटें तक लिखी जा सकती है। टेप की लम्बाई | 200 फीट से 3600 फीट तक होती है।
चुम्बकीय टेप काफी धीमा होता है, क्योंकि यह एक क्रमिक (Sequential) माध्यम है। इसका अर्थ यह है कि इसमें डेटा लिखने या पढ़ने का कार्य एक सिरे से दूसरे सिरे तक क्रमशः किया जाता है। हम बीच से लिखना/पढ़ना शुरू नहीं कर सकते। यदि हमें बीच में भरी हुई कोई फाइल पढ़नी हो, तो उससे पहले का सारा टेप धीरे-धीरे छोड़ना पड़ता है। किन्तु इन टेपों की विश्वसनीयता (Reliability) बहुत अधिक होती है और ये सैकड़ो वर्षों तक भी सुरक्षित रह सकते हैं। इसलिए इनका प्रयोग ऐसे डेटा को स्टोर करने में करते हैं, जिसे लम्बे समय तक सुरक्षित रखना हो।
चुम्बकीय टेप पर डेटा पढ़ने व लिखने का कार्य एक उपकरण के माध्यम से किया जाता है जिसे टेप ड्राइव कहते हैं। इसमें दो धुरी होती हैं, जिनमें दूसरे पर एक खाली चक्का (Spool) स्थाई रूप से लगा होता हैं। और पहले पर वह टेप लगाया जाता है जिस पर डेटा लिखना या पढ़ना । आजकल चुम्बकीय टेप का एक छोटा रूप अधिकांश Computer में प्रयोग किया जाता है। यह साधारण ऑडियो कैसेट के आकार का होता है, जिसमें टेप की चौडाई 1/4 इंच तथा लम्बाई 600 फीट होते है इसकी क्षमता 40 मेगाबाइट से 100 मेगाबाइट तक होती है।
सेकेण्डरी स्टोरेज डिवाइसेस उनके स्टोरेज माध्यम एवं भण्डारण क्षमता
डिवाइस | स्टोरेज माध्यम | क्षमता |
पलॉपी डिस्क (5.25 इंच) | मैग्नेटिक | 1.2MB |
Floppy Disc (3.5 इंच) | मैग्नेटिक | 80 KB to 1.44 MB |
Floppy Disc (8 इंच) | मैग्नेटिक | 20 MB to 80 GB |
CD-ROM | ऑप्टिकल | 640 MB to 680 MB |
DVD-ROM | ऑप्टिकल | 4.7GB to 17GB |
पेन ड्राइव | सॉलिड स्टेट | 1 GB to 256 GB |
मैग्नेटिक टेप | मैग्नेटिक | 60 MB to 8 MB |
> Secondary Storage media से Hard Disc में Software प्रोग्रामों को Copy करने की प्रक्रिया Installation कहलाती है। > यदि उपयोगकर्ता को CPU में तत्काल उपलब्ध सूचना की जरूरत हो तो यह रैम में स्टोर की जानी चाहिए। > हार्डडिस्क में ट्रैक 0 सबसे भीतरी ट्रैक होता है। |
आज आपने क्या सीखा
दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा आर्टिकल Computer Memory क्या है इसके कितने प्रकार है? (What is Computer Memory in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी इसके लिए आपको और कहीं जाने की जरूरत नहीं है|
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