हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Essay on Pollution in Hindi) पड़ेंगे जो कि आपको क्लास 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे उच्चाधिकारी वाले एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। प्रदूषण पर निबंध (Define pollution in hindi) के अंतर्गत हम भूकंप से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।
Small essay on pollution in Hindi
अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा की प्रदूषण किसे कहते हैं? तो जान लीजये प्रकृति मनुष्य की सहचरी है। दोनों एक दूसरे के पूरक, संरक्षक और पोषक हैं। जहाँ एक ओर मनुष्य के संरक्षण से पेड़-पौधे उगते हैं, बड़े होते हैं और फलते-फूलते हैं, वहीं दूसरी ओर मनुष्य आजीवन पेड़-पौधों पर आश्रित रहता है। परन्तु जबसे मनुष्य ने विज्ञान की शक्ति पाकर प्रकृति पर विजय पाने का अभियान आरम्भ किया, मनुष्य अपने को प्रकृति से दूर करता गया।
आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विज्ञान की देन है। विज्ञान के इन आविष्कारों ने प्राकृतिक वातावरण को दूषित कर दिया है और आज वैज्ञानिकों को ही प्रदूषण की समस्या का हल नहीं मिल पा रहा है। प्रदूषण की इस भयावह समस्या ने समूचे विश्व को झकझोर कर रख दिया है। मनुष्य ने जब से प्रकृति का आँचल छोड़ा और विज्ञान की आँख मूंद कर शरण ली, तभी से वह अनजाने में अपने ही विनाश की खाई खोदने लगा। मनुष्य ने सोचा कि तेज़ गति के वाहनों से दूरी सीमित होगी तथा समय की बचत होगी किन्तु इन वाहनों से निकलने वाले धुएँ से वायुमण्डल इतना दूषित हो जाएगा यह मालूम न था।
यद्यपि कल-कारखानों से उत्पादन में वृद्धि हुई और मनुष्य सुख-समृद्धि मिली किन्तु इससे शहरीकरण को बढ़ावा मिला। गाँव समाप्त होते जा रहे हैं, हरियाली मिटती जा रही है, पेड़-पौधे कटते जा रहे हैं। साथ ही प्रकृति की गोद में रहने वालों को शहर की तंग गन्दी गलियों में रहना पड़ रहा है तथा वे अनेक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। खुले खेतों को छोड़ कर घरों और कारखानों के बन्द वातावरण में रहने से उनका दम घुटने लगा है।
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इस बढ़ते हुए प्रदूषण ने न केवल वायुमण्डल को प्रदूषित किया है बल्कि नदियों का पवित्र जल अमृत से ज़हर बन चुका है। नगरों के तमाम गन्दे नालों तथा कल-कारखानों का सारा कचरा और ज़हरीले व्यर्थ पदार्थ, सभी को नदियों में बहाया जा रहा है। उसी जल को पशु-पक्षी पीते हैं तथा नगरवासी अपने प्रयोग में लाते हैं। दिन-प्रतिदिन नई बीमारियों का जन्म हो रहा है और नई-नई दवाइयाँ खोजी जा रही हैं, साथ ही प्रदूषण भी बढ़ता ही जा रहा है।
प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं (Pollution types in Hindi)
1. Water Pollution (जल प्रदुषण) |
2. Air Pollution (वायु प्रदुषण) |
3. Soil Pollution (मृदा प्रदुषण) |
4. Noise Pollution (ध्वनि प्रदुषण) |
5. Light Pollution (रोशनी प्रदुषण) |
प्रदूषण का एक और भयंकर रूप हमें शोरगुल के द्वारा ग्रसित कर रहा है। लगातार शोर में रहने के कारण मानसिक रोग होते हैं। आज इस प्रदूषित वातावरण में रहते हुए मनुष्य की सोच भी प्रदूषित हो चुकी है। उसे अपनी ही भलाई नहीं सूझती है। आणविक विस्फोटों (atomic explosions) व अन्तरिक्ष उड़ानों ने प्रदूषण की समस्या को और भी गम्भीर बना दिया है। इस प्रदूषण का सीधा प्रभाव मौसम पर भी पड़ रहा है। मानसून के आने-जाने का काल परिवर्तित हो गया है। ग्रीष्म, शीत और वर्षा के लिए कोई समय निश्चित नहीं है। वसंत का रूप-सौन्दर्य मात्र कविताओं में दिखाई देता है।
आज जब पानी सिर तक पहुँच गया है तो हर घनी आबादी वाला देश प्रदूषण की समस्या पर गम्भीरतापूर्वक सोचने लगा है। प्रदुषण एक समस्या है, हर कोई जानता है कि इसका मुख्य समाधान पेड़-पौधे ही हैं। यद्यपि सभी क्षेत्रों में ऐसे कानून हैं और पेड़ काटना कानूनी अपराध है तथापि सरकार को और समाजसेवी संस्थाओं को समूचे देश में वृक्षारोपण के लिए तथा प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए जनमत तैयार करना होगा। लोगों के मनों में वृक्षारोपण की बात बैठानी होगी, उन्हें पेड़ काटने के दूरगामी दुष्परिणामों से अवगत कराना होगा। इसी का परिणाम भूकंप है जो बहुत ही भयावह स्थिति दिखाती है।
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मनुष्य को यह भलीभाँति जान लेना होगा कि पेड़-पौधे उसके जीवन की संजीवनी हैं तथा यह प्रदूषण महाकाल। इस प्रदूषण की समस्या में जनसंख्या विस्फोट का बहुत बड़ा हाथ है। अज्ञानता, जागरूकता के प्रयासों को नकारना आदि कई ऐसे कारण हैं जिनसे प्रदूषण दीमक की तरह फैल रहा है। यदि समय रहते मनुष्य सचेत हो गया तभी एक सुन्दर जीवन का अधिकारी बन सकेगा। मनुष्य को स्वयं अपने हित तथा अहित को समझना होगा, तभी शुद्ध वायु, सन्तुलित वर्षा, उपजाऊ भूमि, फल-फूल, जड़ी-बूटियाँ आदि मिल पायेंगी वरना मनुष्यों द्वारा पेड़ों पर चलाई गई कुल्हाड़ी स्वयं उन्हीं पर पड़ेगी।
हर वर्ष 5 जून को ‘पर्यावरण दिवस’ मनाया जाता है। आशा की जाती है कि मनुष्य फिर से प्रकृति को अपनी सहचरी बनाकर सात्विक जीवन व्यतीत करने में रुचि दिखाएगा और प्रदूषण की समस्या उत्पन्न करने वाले उपादानों से दूर रहने का प्रयत्न करेगा।
Frequently Asked Questions (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
उत्तर: Latin भाषा से
उत्तर: 2 (i) Natural Resources (ii) Human Resources
उत्तर: धूल कण
उत्तर: 1981 में
उपसंहार (Conclusion)
दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा लेख प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environment Pollution in hindi) पढ़ कर अच्छा लगा होगा और आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होगें।
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