विश्व बैंक क्या है? इसके उद्देश्य और कार्य क्या-क्या है?

विश्व बैंक क्या है? इसके बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं होती है सभी लोग सोचते हैं कि यह Scheduled Commercial Bank की तरह कार्य करता है परंतु ऐसा नहीं है यह बैंक से बिल्कुल ही भिन्न है । आज हम लोग इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानेंगे कि यह क्या है इसके उद्देश्य क्या है उसके कार्य क्या है इसकी विशेषताएं और इससे होने वाले नुकसान के बारे में ।

विश्व बैंक का इतिहास (History of World Bank)

द्वितीय विश्व युद्ध से न केवल बहुमुखी व्यापार प्रभावित हुआ अपितु अनेक देशों की जीवन और संपत्ति को भी हानि पहुँची। विश्व में शांति स्थापित करने के लिए यह आवश्यक था कि जर्जर अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण तथा अल्पविकसित देशों के आर्थिक विकास पर ध्यान दिया जाए।

इन्हीं उददेश्यों की पूर्ति के लिए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में International Bank for Reconstruction and Development की योजना स्वीकार की गई। इस बैंक को विश्व बैंक के नाम से भी जाना जाता है तथा इसकी स्थापना भी International Monetary Fund के साथ ही पूरक संस्था के रूप में हुई। World Bank की स्थापना 27 दिसम्बर, 1945 ई. को हुई तथा इसने 25 जून, 1946 ई. से कार्य प्रारम्भ किया।

IBRD को अन्य सहयोगी संस्थाओं के साथ मिलाकर World Bank के नाम से जाना जाता है, वर्तमान में world bank निम्नलिखित Institutions का समूह है-

(i) अन्तर्राष्ट्रीय विकास एवं पुनर्निर्माण बैंक (IBRD), 

(ii) अन्तर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA), 

(iii) अन्तर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC), 

(iv) बहुपक्षीय निवेश गारण्टी संस्था (MIGA), 

(v) निवेश विवादों के निपटान के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICSID). 

भारत ICSID को छोड़कर अन्य सभी का सदस्य है । Second World War ने न केवल Versatile trading system को ही असंतुलित कर दिया था, बल्कि अनेक राष्ट्रों में जीवन एवं संपत्ति को भी अत्यधिक हानि पहुँचाई थी । युद्ध में सक्रिय भाग लेने वाले देशों (जैसे- Germany, France, England etc.) की Economy तो बुरी तरह से ध्वस्त हो गई थी । अतः अंतरराष्ट्रीय शांति व्यवस्था के लिए यह आवश्यक था कि इन युद्ध प्रभावित Economies के Reconstruction पर ध्यान दिया जाए । इसके साथ-साथ यह भी सोचा गया कि अल्पविकसित देशों का भी पूर्व योजनानुसार विकास किया जाए ।

इस विचार के फलस्वरूप ही जुलाई 1944 में Brettenwood Conference के तहत् Reconstruction एवं Development के लिए world bank की स्थापना दिसम्बर 1945 में International Monetary Fund के साथ-साथ हुई । इसने जून 1946 में कार्य करना प्रारम्भ कर दिया था । world bank तथा International Monetary Fund एक-दूसरे की subsidiary संस्थाएं हैं । 

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विश्व बैंक क्या है? (World Bank in Hindi)

अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा विकास बैंक को अंग्रेज़ी में International Bank for Reconstruction and Development कहते है । अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा विकास बैंक जिसको World Bank के नाम से भी पुकारा जाता है, को स्थापना ब्रिटेन बुड्स समझौते के अनुसार अविकसित एवं ध्वस्त देशों के पुनर्निर्माण एवं आर्थिक विकास के लिए की गई।

World Bank Definition in Hindi – विश्व बैंक एक international organization है, जो विकासशील देशों को उनकी आर्थिक उन्नति में सहायता के लिए वित्तपोषण, Advise और Research प्रदान करने के लिए समर्पित है। बैंक मुख्य रूप से एक ऐसे संगठन के रूप में कार्य करता है जो मध्यम और निम्न आय वाले देशों को विकासात्मक सहायता प्रदान करके गरीबी से लड़ने का प्रयास करता है। 

  • World Bank Headquarters – Washington, D.C, United States
  • World Bank President 2021 – David R Malpass
  • World Bank CEO – Anshula Kant

विश्व बैंक के उद्देश्य (Objectives of World Bank)

धारा 1 के अनुसार विश्व बैंक के निम्नलिखित उद्देश्य है:

1. सदस्य राष्ट्रों के निर्माण एवं आर्थिक विकास में सहायता प्रदान करना

विश्व बैंक का प्रमुख उद्देश्य विध्वंसित सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण कार्य में वित्तीय (Financial) सहायता देना तथा विकसित सदस्य राष्ट्रों को पर्याप्त मात्रा में मौद्रिक व औद्योगिक सहायता करके उन देशों के आर्थिक विकास को संभव बनाना है।

2. विदेशी पूंजी के विनियोग में सुविधायें देना

विश्व बैंक investors को अन्य देशों में अपनी पूँजी विनियोग करने के लिये प्रोत्साहन देता है। इसके लिये विश्व बैंक उनकी पूंजी की गारंटी कर देता है। यदि पर्याप्त मात्रा में पूँजी विनियोग के लिये उपलब्ध नहीं होती तो विश्व बैंक अपने साधनों से सदस्य देशों को विकास-ऋण प्रदान करता है।

3. दीर्घकालीन अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन देना

विश्व बैंक पिछड़े हुए सदस्य राष्ट्रों के उत्पादन साधनों को बढ़ाकर उनका व्यापारिक संतुलन ठीक करता है तथा अन्तर्राष्ट्रीय सन्तुलन व्यापार को प्रोत्साहन देता है।

4. युद्धकालीन अर्थव्यवस्था को शान्तिकालीन अर्थव्यवस्था में बदलता है

विश्व बैंक की स्थापना का तत्कालीन उद्देश्य यह था, कि द्वितीय महायुद्ध की समाप्ति के बाद शीघ्रताशीघ सदस्य देशों को युद्धकालीन अर्थ-व्यवस्था परिवर्तित करने में सहायता प्रदान करना ताकि उनकी अर्थव्यवस्था में स्थिरता उत्पन्न हो सके।

विश्व बैंक की विशेषताएं क्या है? (Characteristic Of World Bank)

  • विश्व बैंक एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो विकासशील देशों को उनकी अर्थव्यवस्थाओं को आगे बढ़ाने में मदद करने के लिए Financing, Mentoring और Research प्रदान करता है।
  • विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) – Bretton Woods Agreement के तहत एक साथ स्थापित दोनों अंतरराष्ट्रीय सरकारों की सेवा करता हैं।
  • विश्व बैंक का विस्तार पांच cooperative organizations के साथ विश्व बैंक समूह के रूप में जाना जाने लगा है, जिन्हें कभी-कभी विश्व बैंक के रूप में जाना जाता है।
  • विश्व बैंक समूह अंतरराष्ट्रीय सरकारों के लिए स्वामित्व वाली वित्तीय सहायता, उत्पादों और समाधानों के साथ-साथ Global Economy के लिए research based thought leadership की एक श्रृंखला प्रदान करता है।
  • विश्व बैंक की human capital project बेहतर समाज और अर्थव्यवस्था का निर्माण करने के लिए राष्ट्रों को अपनी मानव पूंजी में निवेश करने और विकसित करने में मदद करना चाहती है।

विश्व बैंक की सदस्यता 

संसार का कोई भी देश जो Bank Charter को स्वीकार करता है तथा जो international monetary fund का सदस्य है, विश्व बैंक का सदस्य बन सकता है। यद्यपि आरम्भ में बैंक के सदस्यों की संख्या 44 थी परन्तु अब यह बढ़कर 125 हो गई है। विश्व बैंक की धारा 9 के अनुसार कोई भी सदस्य देश किसी समय बैंक को लिखित सूचना देकर बैंक की सदस्यता का त्याग कर सकता है। अपनी सदस्यता का त्याग करते समय सदस्य देश की सरकार को निश्चित तिथि तक अपने सभी उत्तरदायित्वों को पूरा करना पड़ता है। वर्तमान समय में सदस्य देशो के संख्या 189 है ।

विश्व बैंक का गठन

विश्व बैंक के संगठन में एक Board of Governors एक कार्यकारिणी संचालन समिति (Board of Executive Directors) एक अध्यक्ष तथा अन्य अधिकारी व कर्मचारी सम्मिलित है। गवर्नर मण्डल, जिसमें बैंक की सारी शक्तियां निहित है. में प्रत्येक सदस्य देश का एक प्रतिनिधि होता है। गवर्नर मण्डल की वर्ष में एक बैठक होनी  है। यद्यपि इस बैठक का Formal रूप से ही महत्व है परन्तु ऐसा होते हुए भी यह आर्थिक बैठक आवश्यक International monetary and financial समस्याओं पर अनौपचारिक रूप से ऊँचे स्तर पर विचार विनिमय की दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है।

Executive governing board के सदस्यों की संख्या 20 है। इनमें 5 संचालक उन 5 देशों से नियुक्त किये जाते हैं जिनको बैंक की पूंजी में पहले 5 बड़े अंशधारियों का स्थान प्राप्त होता है। इस समय अमेरिका, इंग्लैंड, पश्चिमी जर्मनी, फ्रांस तथा भारत के Representative executive committee के संचालक हैं। शेष 15 संचालक अन्य सदस्यों द्वारा निर्वाचित किये जाते हैं। साधारणतया केवल कुछ बातों को छोड़कर, अन्य सभी बातों के संबंध में गवर्नर मंडल ने अपनी शक्तियों को कार्यकारिणी संचालकों को सौंप रखा है। 

Executive director bank के समस्त कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं। कार्यकारिणी संचालकों की प्रत्येक मास में बैठक होती है। प्रत्येक संचालक को उसके देश के राशि की मात्रा के अनुसार मताधिकार प्राप्त होते हैं। बैंक का सभापति कार्यकारिणी के संचालकों की समिति का अध्यक्ष होता है। यद्यपि उसको मताधिकार प्राप्त नहीं होता परन्तु उसको निर्णय देने का अधिकार प्राप्त होता है। वह बैंक का मुख्य अधिकारी होता है तथा वह बैंक के सभी साधारण कार्यो की देखभाल करता है।

विश्व बैंक की पूँजी

आरम्भ में बैंक की Authorised Capital 1000 मिलियन डॉलर थी जो 100,000 डॉलर के प्रत्येक अंश में विभाजित थी। इस पूंजी का कुल 9400 मिलियन डॉलर 44 सदस्य देशों में राशि के रूप में प्राप्त हुआ था। 

विश्व बैंक के सदस्य की राशि कितनी है और इसे कितने भागों में विभाजित किया जाता है

प्रत्येक सदस्य का राशि निम्न तीन भागों में विभाजित किया गया है:

(a) हर सदस्य को अपने कुल राशि का 2 प्रतिशत स्वर्ण या डॉलर के रूप में बैंक के पास तत्काल ही जमा करना पड़ता है। इस मात्रा को बैंक स्वतंत्र से ऋण देकर उपयोग कर सकता है।

(b) हर सदस्य को अपने कुल राशि का 18 प्रतिशत अपनी राष्ट्रीयता मुद्रा के रूप में देना पड़ता है।

(c) कुल राशि का शेष 80 प्रतिशत केवल आवश्यकता पड़ने पर ही प्राप्त किया जा सकता है।

इस प्रकार बैंकों की उसको अधिकृत पूँजी का 20 प्रतिशत भाग स्वर्ण या डॉलर तथा सदस्यों की विभिन्न मुद्राओं के रूप में प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार देय पूँजी को विश्व बैंक ऋण साधनों के रूप में प्रयोग करके सदस्य राष्ट्रों के पुनर्निर्माण प्रथा विकास कार्य में सहायता करता है।

विश्व बैंक के कार्य विश्व बैंक को यह अधिकार नहीं है कि वह प्रत्यक्ष रूप से निजी व्यक्तियों अथवा संस्थाओं से लेन-देन करे। वह केवल सदस्य देशों की सरकारों के माध्यम से ही यह कार्य करता है। किसी भी देश को कितनी मात्रा में ऋण प्राप्त होना चाहिए यह उस देश के हिस्से की पूँजी पर निर्भर नहीं होता साधारणतया विश्व बैंक स्वयं अपनी पूँजी में से ऋण नहीं देता वरन् व्यक्तिगत ऋणों को ही प्रोत्साहन देता है और उनकी गारंटी देता है। गारंटी देने से पूर्व बैंक उस देश की सरकार से गारंटी प्राप्त कर लेता है तथा इस बात की पूरी तरह छानबीन कर सकता है कि ऋण किस काम के लिये लिया जा रहा है तथा ऋण लेने वाले की माँग कहाँ तक सही है। 

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विश्व बैंक कितने प्रकार से ऋण देता है 

विश्व बैंक निम्नलिखित तीन प्रकार से ऋण प्रदान करता है:

1. गारंटी देकर ऋण दिलाना

विश्व बैंक किसी सदस्य देश के Private investors को उनकी गारंटी देकर जरूरतमंद देशों की सरकारों से गारंटी ले लेता है। विश्व बैंक स्वयं ऋण देने की अपेक्षा दूसरों के द्वारा दिये गये ऋणों की गारंटी देना ही उचित समझता है। इस प्रकार की जो गारंटी दी जाती है उस पर बैंक अपना कमीशन लेता है।

2. उधार लेकर ऋण प्रदान करना

विश्व बैंक सदस्य देशों को ऋण देने के लिये, स्वयं पूँजी उधार ले सकता है। यह तभी किया जाता है जब अन्य उपाय से पर्याप्त मात्रा में ऋण की व्यवस्था करना संभव नहीं होता। जो देश विश्व बैंक से ऋण माँगता है उस देश की सरकार को मूलधन तथा ब्याज के भुगतान की गारंटी देनी पड़ती है। ब्याज की जिस दर पर बैंक स्वयं ऋण प्राप्त करता है उसमें ऊँची दर पर सदस्य देशों को ऋण देता है और इस प्रकार स्वयं भी लाभ कमाता है।

3. अपने साधनों द्वारा ऋण देना

विश्व बैंक एक निश्चित सीमा तक स्वयं अपनी पूँजी में से ऋण दे सकता है किन्तु ऐसा तभी हो सकता है जब अन्य दोनों साधनों में ऋण की व्यवस्था नहीं हो सकती।

विश्व बैंक के सदस्य के रूप में भारत को प्राप्त होने वाले लाभ

भारत विश्व बैंक का मौलिक सदस्य है क्योंकि इसने इसकी सदस्यता प्रारम्भ से ही स्वीकार कर ली थी। इसको बैंक की कार्यकारिणी संचालक समिति में स्थाई स्थान प्राप्त है। उसे बैंक की वार्षिक बैठक में 1960 में सभापतित्व करने का अवसर प्राप्त हुआ था। उसे बैठक की सदस्यता से बहुत अधिक लाभ हुआ है, विशेष कर जब से भारत में आर्थिक नियोजन प्रणाली प्रारम्भ हुई है। 

भारत को विश्व बैंक से निम्नलिखित लाभ प्राप्त हुए:

(1) वित्तीय सहायता

भारत के आर्थिक विकास के कार्य में विश्व बैंक ने काफी सहायता दी है। भारत को ही विश्व बैंक से सबसे अधिक ऋण प्राप्त हुआ है। अब तक भारत को विश्व बैंक से लगभग 1276 मिलियन डॉलर के ऋण प्राप्त हो चुके हैं। इन ऋणों के उपयोग के द्वारा ही विभिन्न क्षेत्रों में देश का आर्थिक विकास सम्भव हो सका है। भारत की पंचवर्षीय योजनाओं के प्रति विश्व बैंक का रुख सराहनीय है।

(2) विदेशी विनिमय के संगठन में सहायता

जब-जब भारत के सामने विदेशी विनिमय का संकट आया तब-तब बैंक ने उसे सहायता दी है। उदाहरण के लिये जब सन् 1958 में विदेशी विनिमय का संकट उत्पन्न हो गया तो बैंक ने 100 मिलियन डॉलर का ऋण भारत को दिया।

(3) सामान्य ऋणों की सुविधा

अभी तक भारत को Specific Loan ही मिलते रहे हैं, जिनका उपयोग केवल उस कार्य के लिये ही किया जा सकता है जिनके लिये यह प्रदान किया गया है। परन्तु इस प्रकार के ऋण से आर्थिक लाभ नहीं उठाया जा सकता है। इसलिये भारत ने बैंक से निवेदन किया कि उसको सामान्य ऋण (Block Loans) दिये जाये जिसका उपयोग भारत अपनी इच्छानुसार कर सके। बैंक ने भारत का यह निवेदन स्वीकार कर लिया है।

(4) ऋणदाता देशों की बैठक में भारत के लाभार्थी योजना

विश्व बैंक ने केवल भारत को ऋण प्रदान करने का ही कार्य नहीं किया है बल्कि उन देश में भी सभा करके, जो भारत को ऋण प्रदान करना चाहते हैं, भारत की आवश्यकता की उनकी सामूहिक सभा के सम्मुख रखा है। 1956 में उसने वाशिंगटन में विश्व बैंक के पाँच प्रमुख- अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, पश्चिमी जर्मनी तथा जापान की सभा करके भारत की सहायता करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। इस सभा के फलस्वरूप ही भारत को द्वितीय पंचवर्षीय योजना के लिए 600 मिलियन डॉलर की सहायता ऋण के रूप में प्राप्त हुई। यह अपने प्रकार की पहली सभा है जो विश्व बैंक ने किसी अर्ध विकसित देश के विकास के लिये आयोजित की थी।

(5) औद्योगिकी सहायता (Technical Assistance)

बैंक ने कई बार भारत में अपने विशेषज्ञों की टोलियों को भेजकर भारत की आर्थिक विकास संबंधी विभिन्न योजनाओं का अध्ययन किया है। बैंक का एक प्रतिनिधि भारत में उन विभिन्न योजनाओं की प्रगति के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए रहता है, जो (योजना) बैंक की ऋण सहायता के द्वारा पूरी की गई है। नवम्बर 1951 में बैंक विशेषज्ञों की एक टोली देश की विकास योजना का अध्ययन करने के लिए आयी थी। 1952 में विश्व बैंक के सभापति Eugene Black ने स्वयं भारत आकर देश की योजनाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त की थी। 

बैंक के सभापति के दौरे के पश्चात् बैंक के अन्य अधिकारीगण उन योजनाओं का अध्ययन करने आये थे जिनके पूरा करने के लिए भारत ने विश्व बैंक से ऋण माँगा था। फरवरी 1954 में बैंक का एक शिष्ट मण्डल (Mission) भारत में व्यक्तिगत क्षेत्रों में उद्योग संभावना का अध्ययन करने के उद्देश्य से आया था। भारत सरकार के निमंत्रण पर बैंक का एक शिष्ट मण्डल अप्रैल 1965 में देश की आर्थिक स्थिति तथा दूसरी पंचवर्षीय योजना का अध्ययन करने के उद्देश्य से आया था।

(6) पाकिस्तानी विवाद में मध्यस्थता

विश्व बैंक ने भारत तथा पाकिस्तान के बीच नहरों के पानी संबंधी झगड़े को समाप्त कराकर सच्ची भावना के साथ भारत तथा पाकिस्तान के हितों की सहायता की है। इस झगड़े को सफलतापूर्वक समाप्त करके विश्व बैंक ने अविकसित देशों के आर्थिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है तथा यह भली प्रकार सिद्ध किया है कि विश्व बैंक स्थायी विश्व शान्ति के हितों की रक्षा कर रहा है।

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विश्व बैंक की सफलतायें क्या-क्या है 

विश्व बैंक की उपलब्धियां निम्नलिखित है:

(1) ऋण का वितरण

विगत वर्षों में विश्व बैंक के कार्य क्षेत्र का बहुत अधिक विस्तार हुआ है, जिसके फलस्वरूप उसके लिए बड़ी मात्रा में ऋण प्रदान करना या कराना संभव हो सका है। 30 जून, 1980 तक विश्व बैंक ने 110 सदस्य देशों को विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए 63 विलियन डॉलर की ऋण-सहायता प्रदान की। बैंक ऋण प्रदान करने में उदार नीति का पालन करता है।

(2) ऋण का क्षेत्र

विश्व बैंक विद्युत शक्ति, परिवहन और संचार के साधनों के विकासार्थ अल्पविकसित देशों के लिए ऋण की व्यवस्था करके उनके लिए आर्थिक विकास को संभव बनाता है। 1968-1969 से विश्व बैंक ने इन देशों को कृषि विकास, शिक्षा एवं परिवार नियोजन, आदि कार्यों के लिए भी ऋण देना प्रारम्भ कर दिया है। विश्व बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण-सहायता का बहुत बड़ा भाग एशिया, अफ्रीका, दक्षिणी और मध्य अमेरिका के पिछड़े हुए देशों को प्राप्त हुआ विश्व बैंक ऋण की राशि का आकलन उसकी विकास योजनाओं को ध्यान में रख कर करता है।

(3) कार्यशील पूँजी का विस्तार

बैंक ने समय-समय पर अमेरिका, ब्रिटेन स्विट्जरलैंड, आदि देशों में अपनी प्रतिभूतियाँ बेचकर पूँजी बढ़ाने का प्रयास किया है। विश्व बैंक द्वारा कुछ ऋण तेल-निर्यातक देशों से भी प्राप्त किए गए है। वित्तीय साधनों की न्यूनता को समाप्त करने के उद्देश्य से बैंक ने अनेक बार सदस्य देशों के अभ्यंशों में वृद्धि की है।

(4) अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम और अंतरराष्ट्रीय विकास संघ की स्थापना

विश्व बैंक ने 1956 में अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम की तथा 1960 में अंतरराष्ट्रीय विकास संघ की स्थापना में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया है। इन दोनों अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं की स्थापना हो जाने से विश्व के अर्द्धविकसित देशों के निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रीय संस्थाओं को बड़ी मात्रा में दीर्घकालीन ऋण-सहायता प्राप्त हो सकी है।

(5) तकनीकी सहायता एवं परामर्श

प्रत्यक्ष एवं परोक्ष वित्तीय सहायता के अतिरिक्त विश्व बैंक सदस्य देशों को तकनीकी सहायता भी प्रदान करता है। विश्व बैंक द्वारा चालू की गई। विकास-संबंधी “Consulting Service” के अन्तर्गत बैंक के विशेषज्ञ सदस्य-देशों की सरकारों को विकास परियोजनाओं का चयन करने में सहायता देते हैं तथा विकास परियोजनाओं के वित्तीय, वैज्ञानिक, तकनीकी तथा दूसरे पहलुओं के बारे में उचित परामर्श देते हैं। विश्व बैंक द्वारा स्थापित “आर्थिक विकास संस्थान”, सदस्य देशों के वरिष्ठ अधिकारियों को अल्पकालीन प्रशिक्षण भी प्रदान करता है।

(6) आर्थिक अध्ययन

विविध प्रकार की सहायता के अतिरिक्त बैंक आर्थिक विकास संबंधी सामान्य हित की समस्याओं का भी अध्ययन करता है और उन्हें प्रकाशित करता है।

(7) सदस्य देशों के आपसी विवादों में मध्यस्थता

अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक समस्याओं को सुलझाने में विश्व बैंक ने समय-समय पर मध्यस्थता का काम करके विश्व शान्ति की स्थापना में सहयोग दिया है।

(8) ऋणदाता देशों की बैठकों का आयोजन

विकासशील देशों को अधिकाधिक वित्तीय सहायता दिलाने के उद्देश्य से भारत सहायता क्लब, तथा पाकिस्तान सहायता क्लब की स्थापना विश्व बैंक के प्रयासों का ही फल है।

विश्व बैंक की विफलता के क्या कारण है  

विश्व बैंक की खामियाँ: विश्व बैंक के कार्यों और नीतियों की निम्न आधार पर आलोचना की जाती है:

(1) अपर्याप्त वित्तीय साधन

बैंक केवल विशिष्ट परियोजनाओं के लिए ही ऋण-सहायता देता है तथा यह सहायता भी परियोजना की विदेशी विनिमय संबंधी आवश्यकता तक सीमित रहती है। क्योंकि विकासशील सदस्य देशों की विस्तृत आवश्यकताओं को देखते हुए विश्व बैंक की पूँजी तथा अन्य वित्तीय साधन अपर्याप्त हैं।

(2) पक्षपातपूर्ण व्यवहार

विश्व बैंक के निर्णयों पर अमेरिका तथा पश्चिमी यूरोप के देशों का प्रभुत्व बना रहता है। इस कारण से यद्यपि सामूहिक रूप में एशियाई और अफ्रीका के देशों का क्षेत्रफल, जनसंख्या अप्रयुक्त अथवा अल्प प्रयुक्त साधन यूरोप तथा लैटिन अमेरिका की तुलना में कहीं अधिक और विस्तृत हैं, तथापि विश्व बैंक से यूरोपीय तथा लैटिन अमेरिकी देशों को ही अधिक वित्तीय सहायता प्राप्त हुई है।

(3) ब्याज की ऊँची दर और कमीशन

निर्धन देशों की आर्थिक स्थिति तथा भुगतान सामर्थ्य को देखते हुए विश्व बैंक द्वारा प्रदत्त ऋण पर्याप्त मँहगे सिद्ध होते हैं। विश्व बैंक सदस्य देशों को प्रदत्त ऋणों पर अनुचित कमीशन वसूल करता है।

(4) विकासशील देशों के लिए ऋण पाने में कठिनाईयाँ

अल्पविकसित देशों को विश्व बैंक से ऋण पाने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

(a) बैंक ऋण स्वीकृत करने से पूर्व ऋणकर्ता देश की अदायगी क्षमता की जाँच करता है।

(b) बैंक विकासशील देशों को केवल सुनिश्चित, उत्पादक और अत्यावश्यक परियोजनाओं के लिए ही ऋण स्वीकृत करता है।

(c) बैंक ऋण-वापसी की यह शर्त कि जिस मुद्रा में ऋण लिया गया है उसी में लौटाया जाये, अल्पविकसित देशों के लिए बहुत भारी पड़ता है।

(d) बैंक शेयर पूँजी के लिए ऋण नहीं देता तथा सार्वजनिक उपयोगिता की परियोजनाओं के लिए निजी विनियोक्ताओं से ऋण दिलाता है। 

(5) उद्योगों के लिए कम ऋण

विश्व बैंक अल्पविकसित देशों को अधिकांश ऋण कृषि और संबंधित कार्यों के लिए ही देता है, भारी और मूलभूत उद्योगों अथवा शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और गृह-निर्माण सरीखे सामान्य विकास के कार्यों के लिए नहीं। फलत: इन देशों का तीव्र गति से आर्थिक विकास संभव नहीं हो पाया है।

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भारत और विश्व बैंक में अंतर 

 भारत विश्व बैंक के संस्थापक सदस्यों में से एक है। 1977 तक भारत सबसे बड़े प्रथम पाँच अंशधारियों में से एक था और इस कारण उसे बैंक के कार्यकारी निदेशक मण्डल में स्थान प्राप्त था, अब उसका स्थान जापान ने ले लिया है। विश्व बैंक भारत के लिए वित्तीय सहायता का शाश्वत स्रोत है। जब से भारत ने अपनी पंचवर्षीय योजनाओं का प्रारम्भ किया है तभी से वह बैंक विशेषज्ञों को आमंत्रित करता रहता है। लगभग प्रतिवर्ष बैंक का एक मिशन भारत आता है जो यहाँ की आर्थिक स्थिति का अध्ययन करता है, हमारी वित्तीय आवश्यकताओं का अनुमान लगाता है तथा हमारी योजनाओं की क्षमता की जानकारी करता रहता है।

कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न (Frequently Asked Questions)

विश्व बैंक का स्थापना कब हुआ?

उत्तर: विश्व बैंक की स्थापना जुलाई 1944, ब्रेटन वुड्स, न्यू हैम्पशायर, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई ।

विश्व बैंक के कार्य क्या है?

उत्तर: आर्थिक पुनर्निर्माण एवं विकास के लिए सदस्य देशों को दीर्घकालीन पूंजी प्रदान करना ।

विश्व बैंक में कितने सदस्य है?

उत्तर: विश्व बैंक में वर्तमान समय में सदस्य देशो के संख्या 189 है ।

विश्व बैंक का मुख्यालय कहाँ है?

उत्तर: विश्व बैंक का मुख्यालय वाशिंगटन, डी.सी., यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका में है ।

विश्व बैंक का पहला महानिदेशक कौन था?

उत्तर: समूह का अध्यक्ष, निदेशक मंडल की बैठकों की रूपरेखा और विश्व बैंक समूह के पूरे प्रबंधन के लिए जिम्मेदार माना जाता है। विश्व बैंक समूह के पहले अध्यक्ष, संयुक्त राज्य अमेरिका से यूजीन मेयर थे ।

विश्व बैंक का अध्यक्ष कौन है?

उत्तर: वर्तमान में डेविड मल्पस विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष हैं।

विश्व बैंक कितने संस्थाओं का समूह है?

उत्तर: विश्व बैंक 5 संस्थाओं का समूह है ।

Conclusion

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा आर्टिकल विश्व बैंक क्या है? (What is World Bank in Hindi) इसके उद्देश्य और कार्य क्या-क्या है? के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी ।

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