साख क्या है? इसके प्रकार तथा लाभ-हानि क्या है?

क्या आप जानते हैं? साख क्या है? (What is Credit in Hindi) या साख शब्द का क्या अर्थ होता है? अगर नहीं तो आज हम लोग इस आर्टिकल के माध्यम से यह जानने का प्रयास करेंगे। परंतु अगर आप साथ शब्द का अर्थ Credit सोच रहे हैं आप बिल्कुल ही सही है क्योंकि इसका वास्तविक अर्थ Credit होता है जिसका मूल का संबंध Bank के साथ होता है तो जानते हैं विस्तार पूर्वक साख के बारे में। 

इसने वर्तमान अर्थव्यवस्था के आधार स्तम्भ का पद प्राप्त कर लिया है। वर्तमान समय में इसी के ऊपर सम्पूर्ण Financial structure आधारित है। यद्यपि आवश्यक रूप से मुद्रा ही Credit creation का कारण है तथापि अब मुद्रा की अपेक्षा साख को अधिक महत्व प्राप्त हो गया है। 

साख शब्द का अंग्रजी में अर्थ Credit होता है। Credit शब्द का जन्म Credo शब्द से हुआ जिसका अर्थ है “मैं विश्वास करता हूँ।” यह Seller or lender की क्रेता या ऋणी को उसके मूल्य या ऋण चुकाने की योग्यता, ईमानदारी एवं Financial stability में विश्वास का पात्र है। यह विक्रेता या ऋणी की ऐसी शक्ति है, जिसके आधार पर Seller or lender को उसका मुद्रा के उपयोग का अधिकार दिलाने में सहायक सिद्ध होती है तथा जिसका भुगतान वह कुछ समय बाद करता है। 

साख क्या है? What is Credit in Hindi?

साख शब्द का अर्थ है, वस्तुओं के हस्तांतरण के कारण उत्पन्न भुगतान प्राप्त करने का अधिकार या भुगतान करने के दायित्व का निपटारा मांग पर या एक निश्चित समय के बाद करने की एक Specific method है।

जब एक Bank लोगों को ऋण देता है तो वह एक ऋणदाता बन जाता है और वह व्यक्ति जो Bank से ऋण लेता है, ऋणी (Debtor) कहलाता है। जब Bank आज ऋण देता है तो वह भविष्य में उस व्यक्ति से ऋण वसूल करने का प्रबन्ध भी कर लेता है। इसका अभिप्राय यह है कि bank भविष्य में ऋणी से मुद्रा के लिये दावा कर सकता है। इसी के अनुसार, Bank अपनी जमाओं में विस्तार करने में समर्थ होता है। इसे Bank द्वारा साख का सृजन (Credit Creation) कहते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि Credit Creation ऋण देना और ऋण लेने के कार्य द्वारा होता है।

ऐसा Exchange जो एक निश्चित समय की समाप्ति के बाद पूरा होता है। 

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साख का आधार (Basis of credit) क्या है?

वास्तव में एक व्यक्ति की साख शक्ति निम्न चार बातों पर आधारित होती हैं

Character

यदि किसी व्यक्ति को ऐसी Fame प्राप्त हो जाती है कि उसने भूतकाल में अपने सभी ऋणों को ठीक प्रकार से चुकाया है या उसका चरित्र सामान्य रूप से Clean तथा reliable रहा है तो उसकी Credit अधिक होगी क्योंकि ऐसा होने पर उसे भविष्य में भी Loan चुकाने में समर्थ मान लिया जाता है।

Capacity

परन्तु चारित्रिक ईमानदारी को ही सिर्फ साख का आधार नहीं माना जा सकता है। चारित्रिक ईमानदारी के साथ-ही-साथ यह भी विश्वास होना चाहिए कि ऋणी की ऋण चुकाने की क्षमता दृढ़ है। साख प्राप्त करने के लिए इस प्रकार के विश्वास का होना आवश्यक है।

Capital 

ऋणी की पूँजी भी साख प्राप्त करने में बड़ी महत्वपूर्ण सिद्ध होती है। ऋणी के पास जितनी अधिक पूँजी होती है उसकी ऋण लेने की शक्ति भी उतनी ही अधिक होती है। 

Collateral Security

परन्तु सभी पूँजी ऋण के लिए Statutory security नहीं होती। यदि ऋणों के साधन तरल अर्थात शीघ्रता से नगद में परिवर्तनीय हैं या उसका व्यापार उचित उन्नति कर रहा है तब उसकी ऋण प्राप्ति क्षमता अधिक होगी। विपरीत दिशा में ऋण प्राप्ति क्षमता में भी कमी हो जायेगी। यदि उसके पास ऐसी Specific property है जिसे वह ऋण देने वाले व्यक्ति को Loan repayment condition के बदले में दे सकता है तब उसकी Lending capacity अत्यधिक बढ़ जायेगी। 

साख के कितने प्रकार हैं? (Types of Credit in Hindi)

साख का विभाजन तीन प्रकार से किया जाता है:

(i) उद्देश्य की दृष्टि से 

(ii) अवधि की दृष्टि से 

(iii) स्वरूप की दृष्टि से

(i) उद्देश्य की दृष्टि से : साख का यही वर्गीकरण सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसके अन्तर्गत साख निम्न प्रकार की हो सकती है:

1. Consumption Credit

इसके अन्तर्गत वह साख आती है जो दुकानदार अपने ग्राहकों के लिए स्वीकार करते हैं। ग्राहक इस प्रकार की साख प्राप्त करके अपने उपभोग के लिए विभिन्न वस्तुएँ प्राप्त करते हैं। इस प्रकार की साख को मानव जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। अमेरिका में तो इस प्रकार की साख पर उचित रूप से विशेष नियंत्रण रखा जाता है। 

उपभोग साख (Consumption Credit) के दो रूप होते हैं। 

Cash Credit

जिसके अन्तर्गत ऋणी अपने महाजन से धन की एक निश्चित मात्रा उधार लेकर उसे अपने मनमाने ढंग से खर्च कर सकता है। बाद में ऋणी किस्तों में या निश्चित समय के पश्चात् पूरी रकम का एक साथ भुगतान कर देता है। 

Book Credit

जिसके अन्तर्गत ग्राहक अपने उपभोग की वस्तुएँ दुकानदार से प्राप्त करता है। दुकानदार अपनी पुस्तकों में ग्राहक का नाम, पता, माल की रकम, मूल्य एवं तिथि लिख लेता है। ग्राहक अपनी सुविधानुसार इस मूल्य को चुकाता रहता है। पुस्तकों के यह लेखे वैधानिक रूप से भी साख का पूरा सबूत माने जाते हैं। 

2. Production Credit

इस प्रकार की साख उपभोग के विरुद्ध उत्पादन के कार्य में प्रयुक्त होती है। साधारणतया इसका प्रयोग कृषि, वाणिज्य तथा उद्योग-धंधों में किया जाता है। अतः इसे कृषि, वाणिज्य अथवा औद्योगिक साख (Agricultural, Commercial or Industrial Credit) भी कहा जाता है।

इस साख के भी कई रूप हैं- 

वाणिज्य साख (Commercial Credit)

इससे हमारा आशय व्यापार कार्यो के लिए दिए जाने वाले Short Term Loans से होता है जिनका प्रयोग व्यापार गृहों के निर्माण, बिक्री व चालू कार्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है। कच्चे माल खरीदने, वेतन देने, विज्ञापन-व्यय आदि इसी साख द्वारा पूरे किये जाते हैं। 

इसके अलावा जो ऋण उद्योग-धंधों या कृषि सम्बन्धी कार्यों के लिए प्रदान किए जाते हैं। कृषि या औद्योगिक साख के अन्तर्गत आते हैं। इन साखों को प्राप्त करने में यदि कुछ Letter of authority महाजन के पास जमानत के रूप में रखे जाते हैं तो साख को Documentary Credit कहते हैं। पर जब इस प्रकार के अधिकार पत्र नहीं रखे जाते हैं तो यह साख Blank or Clean Credit कहलाती है।

(ii) अवधि की दृष्टि से : साख का वर्गीकरण अवधि के अनुसार भी किया जाता है। 

इस दृष्टि से साख के तीन रूप होते हैं- (i) दीर्घकालीन (ii) मध्यकालीन तथा (iii) अल्पकालीन। 

दीर्घकालीन साख 

यह साख 5 वर्ष से अधिक के लिए दी जाती है एवं साधारणतया इसका प्रयोग कृषि, व्यापार या उद्योग-धंधों के लिए स्थिर पूँजी जैसे भवन व यंत्र आदि खरीदने में किया जाता है। 

मध्यकालीन साख 

यह साख 1 से 5 वर्ष तक के लिए प्रदान की जाती है। इस प्रकार की साख की आवश्यकता व्यापार की आवश्यकताओं में मौसमी परिवर्तनों के कारण होती है। उदाहरणार्थ, Indian Economy के अन्तर्गत नवम्बर से जून तक अधिक साख की जरुरत होती है और जुलाई से अक्टूबर तक कम साख की जरुरत होती है।

अल्पकालीन साख 

यह साख 1 वर्ष 1 वर्ष से कम के लिए प्रदान किया जाता है

(iii) स्वरूप की दृष्टि से : कुछ मुद्राशास्त्र साख को स्वरूप के आधार पर भी विभाजित करते हैं। इस दृष्टि से साख को चार रूपों में विभाजित किया जाता है: 

Fixed Credit

जो एक निश्चित अवधि के लिए निश्चित मात्रा में दी जाती है तथा जिसका भुगतान निश्चित अवधि के बाद तुरन्त करना आवश्यक होता है। इस प्रकार की साख धनी द्वारा समय से पूर्व भी समाप्त की जा सकती है। 

Current Credit

इसका समय तो निश्चित होता है पर समय की समाप्ति के पूर्व भी इसकी Quantity, duration, interest rate आदि में परिवर्तन किये जा सकते हैं। साधारणतया इस प्रकार की साख उन व्यक्तियों के लिए प्रदान की जाती हैं जो एक देश से दूसरे देश की यात्रा पर जाते हैं। जब साख किसी व्यक्ति विशेष को दी जाती है तो वह व्यक्तिगत साख (Personal Credit) कहलाती है एवं जब सरकार जनता से ऋण या विदेशों से उधार माल प्राप्त करती है तो उसे सरकारी साख या सार्वजनिक साख (Governmental or Public Credit) कहते हैं।

इसके अलावा साख के निम्न दो रूप भी हैं:

1. Investment Credit

वास्तव में यह उत्पादन साख का ही एक रूप है पर इसके प्राप्त करने की प्रक्रिया भिन्न होने के कारण इसे विनियोग साख कहा जाता है। इस प्रकार की साख प्राप्त करने के लिए एक विशेष प्रपत्र का प्रयोग किया जाता है जिसे बन्धक पत्र (Mortgage Bond) कहते हैं। 

इस पत्र में ऋणी निर्देशित शर्तों पर मूलधन को लौटाने का वचन देता है एवं प्रतिभूति के रूप में अपनी संपत्ति का एक निश्चित भाग धनी के पास गिरवी रख देता है जिसका अधिकार कुछ निश्चित अवस्थाओं में ही ऋणदाता को प्राप्त हो सकता है। इस प्रकार से प्राप्त साख को उत्पादन इत्यादि में विनियोग कर दिया जाता है।

2. Bank Credit

बैंक साख की सीमा इस पर आधारित होती है कि बैंक ऋण दिए जाने वाले धन को कहाँ से प्राप्त करते हैं ? एक बैंक 10,000 रूपये के Cash Reserves द्वारा कम-से-कम 50,000 रूपये तक ऋण के रूप में दे सकता है। ऐसा इसलिए संभव हो पाता है कि जनता को बैंक की दृढ़ता पर पूर्ण विश्वास होता है। बैंक साख के सर्वोत्तम उदाहरण Bank Note हैं।

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साख के क्या लाभ है ? (Advantage of Credit in Hindi)  

साख के लाभ (Advantages of credit) निम्नलिखित हैं

1. भुगतान के लिए मुद्रा आवश्यक नहीं 

साख के फलस्वरूप साधारण लेन-देनों में भुगतान की आवश्यकता नहीं रहती है। फलस्वरूप भुगतान माध्यम के रूप में सोने-चांदी के प्रयोग में बचत हो जाने से मितव्ययिता होती है। Credit money का कार्य बिना नकदी के कर देती है। अत: सोना-चाँदी का प्रयोग अन्य कार्यो के लिए किया जा सकता है।

2. व्यापार एवं वाणिज्य में सुविधा 

साख के कारण व्यापार करने में बड़ी सुविधा रहती है। साख के कारण ही Letters of credit का निर्माण होता है। इन Letters of credit में से Cheque एवं Hundi देश के भीतर तथा Exchange bill विदेशों में बड़े-बड़े भुगतान का सरल एवं उत्तम साधन प्रस्तुत करके National तथा International trade को सुविधाजनक बना देते हैं।

3. उत्पादन में वृद्धि 

साख पूँजी को अधिक उत्पादनशील बनाकर उत्पादन में बड़ा सहायक होती है। वह व्यक्ति जिसके पास पूँजी का अभाव है, परन्तु व्यापार की योग्यता है, उन व्यक्तियों से पूँजी प्राप्त करके, जिनके पास पूँजी होती है परन्तु व्यापार की योग्यता नहीं है, उत्पादन में वृद्धि कर सकते है।

4. पूँजी उत्पादन में वृद्धि 

साख पूँजी के विकास में भी सहायक होती है। बैंक जिन्हें साख कार्यालाएँ (Credit Factories) कहा जाता है, बचत जमाओं को प्रोत्साहित करके धन संग्रह (Hoarding) की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करते हैं।

5. वित्त-प्रबन्ध में सुविधा 

साख सरकार को आकस्मिक खर्चों की पूर्ति के लिए उस समय भी धन एकत्र करने में सहायक होती है जब अन्य साधन उपलब्ध नहीं है। यह व्यक्तियों को भी अस्थायी व्यापारिक कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कराने में सहायक होती है। अनेक अवसरों पर निर्माताओं, कृषकों एवं उपभोक्ताओं को आवश्यक वित्त प्राप्ति साख के आधार पर सरलता से हो जाती है एवं सभी अपनी अस्थायी वित्त समस्याओं से छुटकारा प्राप्त कर लेते हैं।

6. व्यापारी वर्ग को सुविधा 

ऋण लेने की क्षमता, व्यापारी के लिए अपने व्यापार की आवश्यकताओं के अनुसार पूँजी की मात्रा को समन्वित (Adjust) करने में बड़ी सहायता देती है। जब उसकी वस्तुओं की मांग अत्यधिक होती है तब वह अतिरिक्त कार्यशील पूँजी उधार लेकर अपने व्यापार की मात्रा बढ़ा सकता है एवं व्यापार के Downgrade में वह पूँजी की मात्रा में कमी करके अपना ऋण चुका सकता है।

7. बड़े पैमाने पर व्यापार संभव 

वर्तमान समय में व्यापार की विशिष्ट विशेषता बड़े पैमाने पर व्यापार करना है। बड़े पैमाने पर व्यापार को साख ने ही सम्भव बनाया है।

8. मूल्यों में स्थिरता 

बैंकों द्वारा साख का निर्माण पूर्णतया लोचदार होता है अर्थात् बैंक साख का निर्माण देश के आंतरिक तथा विदेशी व्यापार की आवश्यकतानुसार करते हैं। इससे मूल्य-स्तर की स्थिरता में बड़ी सहायता मिलती है।

9. मानवीय व प्राकृतिक साधनों का सदुपयोग 

साख के विकास के कारण ही विभिन्न देशों को अपने मानवीय तथा प्राकृतिक साधनों के पूर्ण एवं अधिक Productive exploitation में सफलता प्राप्त हो सकती है।

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साख के क्या हानि है? (Disadvantage of Credit in Hindi)

साख से हानियाँ (Disadvantage of Credit) निम्नलिखित हैं:

अत्यधिक उत्पादन 

साख के अधिक निर्गमन से उत्पादित अदूरदर्शिता पूर्ण हो जाती है। जिसके फलस्वरूप Over Production हो जाता है। साख का प्रयोग करने वाले निर्माता उत्पादन में पूँजी का प्रयोग बड़ी लापरवाही से करते हैं जिसके फलस्वरूप अधिक उत्पादन होता है और अनेक व्यक्तियों को कष्टों का सामना करना पड़ता है।

एकाधिकार को प्रोत्साहन 

साख प्रणाली के कारण एकाधिकारी, Trust एवं Associations को प्रोत्साहन प्राप्त होता है जो पारस्परिक प्रतियोगिता के लिए अनुचित साधन प्रयोग में लाते हैं। यह सभी मूल्यों को बढ़ाकर श्रमिक वर्ग का शोषण करते हैं।

मूल्यों पर प्रभाव 

साख के अधिक Output values पर भी अत्यधिक प्रभाव पड़ता है जिससे (मूल्य) साधारण रूप में बढ़ते हैं।

अपव्ययिता को प्रोत्साहन 

साख के कारण व्यक्ति एवं सरकार दोनों के बीच अपव्ययिता की आदत उत्पन्न हो जाती है। वे साख के आधार पर धन प्राप्त करके अत्यधिक खर्च करते हैं एवं जनता से अपनी कमजोरियाँ छिपाने में सफल हो सकते हैं।

लाभहीन व्यापार की स्थापना 

साख के आधार पर एक अयोग्य व्यक्ति ऋण लेकर सट्टा रूपी व्यापार कर सकता है । जिसके फलस्वरूप उसका व उसके Lenders का Economic Crash हो सकता है। इसके अलावा यदि किसी व्यापारी को हानि होने लगे तो साख के आधार पर ऋण लेकर वह व्यापार करता रह सकता है एवं जब वह बिल्कुल असफल हो जाता है। तब उसका परिणाम अनेक व्यक्तियों को भुगतना पड़ता है।

आज आपने क्या सीखा 

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा आर्टिकल साख क्या है और इसके कितने प्रकार होते है? इसके लाभ और हानि क्या-क्या है (What is Credit in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी ।

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