ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध | Essay On Online Education

हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध हिंदी में (Online Education essay in Hindi) पड़ेंगे जो कि आपको Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध (Essay writing on Online Education) के अंतर्गत हम समाचार पत्र से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।

बदलते दौर में आज जहाँ सब कुछ डिजिटल हो रहा है, वहीं शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है फिर कोविड- 19 जैसी महामारी ने मानव जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है, जिसमें शिक्षा क्षेत्र पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा है। इसलिए आज समय की माँग है कि ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए। भारत सरकार ने भी को विड-19 महामारी के इस दौर में शिक्षा में हुए नुकसान को कम करने के लिए ‘भारत पढ़े ऑनलाइन योजना’ शुरू की है, जो ऑनलाइन शिक्षा के बढ़ते महत्त्व को रेखांकित करती है। वस्तुतः वर्तमान के साथ-साथ भविष्य में भी ऑनलाइन शिक्षा का महत्त्व निरन्तर बढ़ेगा, लेकिन हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि ऑनलाइन शिक्षा के लाभ के साथ-साथ कुछ व्यावहारिक हानियाँ भी हैं, जिस कारण इसे सावधानीपूर्वक अपनाने की जरूरत है।

ऑनलाइन शिक्षा का अर्थ (Meaning of Online Education)

ऑनलाइन शिक्षा कम्प्यूटर आधारित नेटवर्क से सम्बद्ध होती है। इसमें विद्यार्थी घर पर रहकर भी शिक्षा प्राप्त करता है। इसके अन्तर्गत विद्यार्थी वीडियो के माध्यम से लाभान्वित होते हैं, इसमें शिक्षक से प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता है।

ऑनलाइन शिक्षा इलेक्ट्रॉनिक अनुप्रयोगों और सीखने की प्रक्रियाओं के उपयोग को सन्दर्भित करती है। ऑनलाइन शिक्षा हेतु इण्टरनेट का कनेक्शन, कम्प्यूटर, स्मार्टफोन आदि महत्त्वपूर्ण सामग्री की जरूरत होती है।

ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम / प्रकार (Types of Online Education)

ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम / प्रकार निम्नलिखित हैं:

1. लाइव वीडियो क्लासेज (Live Video Classes): इसके अन्तर्गत एक ही समय में विद्यार्थी और शिक्षक अलग-अलग स्थानों से एक-दूसरे से शैक्षिक संवाद करते हैं। इस तरह की कक्षा में विद्यार्थी अपने प्रश्नों का तत्काल उत्तर जान पाते हैं, जिससे उनका उस विषय से सम्बन्धित सन्देह भी दूर हो जाता है। इसी कारण इसे ‘रियल टाइम लर्निंग’ भी कहा जाता है।

2. प्री रिकॉर्डेड वीडियो क्लासेज (Pre Recorded Video Classes): इस व्यवस्था में पाठ्यक्रम से सम्बन्धित जानकारी पहले से उपलब्ध होती है। इस प्रकार की ऑनलाइन शिक्षा का लाभ यह है कि विद्यार्थी किसी भी समय इसका लाभ उठा सकते हैं अर्थात् इस कक्षा को कभी भी देख सकते हैं। इस शैक्षिक व्यवस्था में विद्यार्थी और शिक्षक के बीच वास्तविक समय में शैक्षिक संवाद करने का कोई विकल्प नहीं होता है। इसमें विद्यार्थी अपना प्रश्न कमेंट बॉक्स में पूछते हैं, जिसका जवाब या तो कमेंट बॉक्स में या फिर अगली कक्षा में दिया जाता है।

3. स्लाइड्स (Slides): ऑनलाइन शिक्षा में सूक्ष्म से सूक्ष्म वस्तुओं के अध्ययन में स्लाइड्स प्रणाली काफी उपयोगी है। इनका प्रयोग शिक्षण कौशल को प्रभावी बनाता है। स्लाइड को प्रदर्शित करने के लिए प्रोजेक्टर की आवश्यकता होती है। स्लाइड्स के कई प्रकार हैं- लैंटर्न स्लाइड्स, सेलफोन स्लाइड्स, ग्लास स्लाइड्स, फोटोग्राफिक स्लाइड्स आदि।

4. ऑनलाइन टेस्ट (Online Test): डिजिटल युग में आज ऑनलाइन टेस्ट का भी महत्त्व काफी बढ़ गया है। इसकी सहायता से विद्यार्थी को मुख्य परीक्षा की तैयारी में काफी मदद मिलती है, क्योंकि इससे विद्यार्थी अपनी गलतियों को सुधार सकते हैं, साथ ही अपनी टाइमिंग को भी सेट कर सकते हैं। यह टेस्ट कागज-कलम से नहीं, बल्कि कम्प्यूटर पर दिया जाता है। परीक्षा शुरू होने से 15 मिनट पहले स्टार्ट ट्यूटोरियल से परीक्षा के नियम बताए जाते हैं। फिर परीक्षा शुरू होती है। Computer, Keyboard और Mouse के माध्यम से प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है। आजकल बच्चे घर बैठकर भी अपने Smart Phone से Online Test दे सकते हैं।

5. पीडीएफ आधारित ऑनलाइन शिक्षा (PDF Based Online Education): Pre-recorded Video Classes या Slides के द्वारा दिए जा रहे Lecture में मुख्यत: Pdf के पेज को ही एक-एक कर Screen पर प्रस्तुत कर पढ़ाया जाता है। इसमें पाठ्यक्रम को पहले Pdf में Convert कर दिया जाता है फिर या तो लाइव वीडियो क्लासेज या प्री रिकॉर्डेड वीडियो क्लासेज जिस Website पर चलती हैं, उसके नीचे पीडीएफ डाउनलोड करने का लिंक दिया जाता है।

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ऑनलाइन शिक्षा से लाभ (Advantages of Online Education)

  • ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से कक्षाओं का शिक्षण अधिक रोचक और संवादात्मक बनाया जा रहा है, जिससे बच्चे इस पर अधिक से अधिक ध्यान दे रहे हैं।
  • ऑनलाइन शिक्षा कोई भी, कहीं भी और कभी भी प्राप्त की जा सकती है। उदाहरण के लिए, यात्रा के दौरान या फिर किसी कारणवश अवकाश लेने पर छूटे हुए विषयों से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • ऑनलाइन शिक्षा को प्रोत्साहन देने से विद्यार्थी नए-नए ज्ञान भी प्राप्त करेंगे। साथ ही शिक्षकों पर सक्षम, अद्यतन न होने और शिक्षकों की कमी के जो आरोप लगते हैं, उसे भी दूर किया जा सकता है।
  • भारत जैसे विशाल देश में पर्याप्त स्कूल-कॉलेज नहीं हैं। ऑनलाइन शिक्षा के विकल्प से स्कूलों-कॉलेजों पर दबाव कम होगा और अभिभावकों एवं बच्चों के लिए अपने ढंग से पढ़ने-पढ़ाने की स्वतन्त्रता होगी अर्थात् स्कूल-कॉलेज में दाखिले की अनिवार्यता खत्म हो जाएगी।
  • ऑनलाइन शिक्षा पर्यावरण की दृष्टि से भी लाभकारी है, क्योंकि ऑनलाइन पर निर्भरता से कॉपी किताब की जरूरत कम होगी, लोग बाहर नहीं निकलेंगे।
  • ऑनलाइन शिक्षा से छात्र स्वयं यह समझेंगे कि वे कैसे सीखते हैं, उन्हें क्या पसन्द है और किस समर्थन की आवश्यकता है। साथ ही छात्र स्वतन्त्र रूप से शोध करेंगे और एक नई प्रस्तुति का निर्माण करेंगे। ऑनलाइन शिक्षण पद्धति में समय की बचत होती है, साथ ही इसमें ज्ञान की विविधता अधिक होती है।
  • तीव्रता एवं गहनता की दृष्टि से ऑनलाइन शिक्षा काफी प्रभावकारी है। इसमें सूचनाओं का संग्रहण न केवल तीव्र होता है, बल्कि सृजनशीलता एवं विविधता की दृष्टि से भी इसकी महत्ता काफी ज्यादा है। 
  • ऑनलाइन शिक्षा से छात्रों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय व सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकती है।

ऑनलाइन शिक्षा से हानि / सम्बन्धित चुनौतियाँ (Disadvantages of Online Education)

  • ऑनलाइन शिक्षा कम्प्यूटर आधारित नेटवर्क से सम्बद्ध होती है, जिसके लिए कई उपकरणों की जरूरत होती है जो काफी महँगे होते हैं। इस कारण ऑनलाइन शिक्षा पाना सबके लिए सम्भव नहीं है।
  • ऑनलाइन शिक्षा के अन्तर्गत छात्र किसी प्रश्न का जवाब इंटरनेट पर आसानी से प्राप्त कर लेते हैं, ऐसे में छात्र कभी किसी विषय पर पढ़ते हुए ज्यादा सोच-विचार नहीं करते हैं, जिसमें बच्चों की रचनात्मक क्षमता में कमी आती है। 
  • ऑनलाइन या डिजिटल शिक्षा चाहे कितनी भी सुविधा छात्रों को उपलब्ध करा दे, लेकिन इस सुविधा के कारण छात्रों में अध्ययन की खराब आदतों को बढ़ावा मिल रहा है, छात्रों में आलसी दृष्टिकोण विकसित हो रहा है। 
  • ऑनलाइन शिक्षा के लिए विश्वसनीय बिजली आपूर्ति और सर्वव्यापी इण्टरनेट की आवश्यकता होती है, लेकिन इस क्षेत्र में भारत में अभी भी आधारभूत संरचना की कमी है।
  • ऑनलाइन शिक्षा के अध्ययन के लिए घर का वातावरण उपयुक्त नहीं होगा, क्योंकि छात्र अपने घर पर गेम, सोशल मीडिया से विचलित हो सकते हैं, जबकि स्कूल-कॉलेज में पढ़ाई का एक व्यवस्थित माहौल होता है। 
  • ऑनलाइन शिक्षा से छात्रों के सीखने की क्षमता पर असर पड़ सकता है, क्योंकि यदि छात्र अध्ययन का सक्रिय हिस्सा न बन पाया तो उसकी प्रेरणा खत्म हो सकती है।
  • मनोवैज्ञानिकों के अनुसार ऑनलाइन शिक्षा तनावपूर्ण है। इनके शोध के अनुसार 15 मिनट के ऑनलाइन अध्ययन के बाद छात्रों की नोट्स लेने में रुचि खत्म हो जाती है और वे मनोरंजक साइट्स पर पहुँच जाते हैं।
  • हाल के नवीन सर्वे के अनुसार ऑनलाइन शिक्षा से बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
  • भारतीय चिंतन परम्परा के अनुसार शिक्षा के तीन उद्देश्य है व्यक्ति एवं चरित्र निर्माण, समाज कल्याण का उत्तरोत्तर विकास। ऑनलाइन शिक्षा इन लक्ष्यों की पूर्ति कहाँ तक करती है, इसकी जाँच जरूरी है।
  • कई विषय बहुत की व्यावहारिक हैं; जैसे-विज्ञान के प्रयोगों, शिल्प, शारीरिक शिक्षा, डिजाइनिंग आदि में बिद्यार्थी का हाथ पकड़कर सिखाना ज्यादा प्रभावकारी होता है।
  • अधिकांश शिक्षण ऑनलाइन शिक्षण के लिए प्रशिक्षित नहीं है, जिस कारण ऑनलाइन शिक्षण का सामना करने से वे दूर भागते हैं।

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ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु किए जा रहे प्रयास

परिवर्तन संसार का नियम है तथा परिवर्तन के इस दौर में जो राष्ट्र, समाज व व्यक्ति अपने को बदल लेगा, वह निश्चित रूप से विकास के पथ पर आगे जाएगा। आज का युग डिजिटल युग है फिर कोविड- 19 महामारी ने पूरी विश्व व्यवस्था को अपनी सोच में परिवर्तन लाने को विवश कर दिया है। यही कारण है कि आज विभिन्न राष्ट्रों में ऑनलाइन शिक्षा की अत्यधिक वकालत की जा रही है यद्यपि इस क्षेत्र में विकसित राष्ट्र में पहल काफी पहले हो चुकी है।

भारत में सरकारी स्कूल, कॉलेज आदि संरचनाओं में ऑनलाइन शिक्षा को महत्त्व दिया जा रहा है। यहाँ तक कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा; जैसे- सिविल सेवा, मेडिकल, इन्जीनियरिंग आदि की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थान भी इसमें जुट गए हैं। केन्द्र सरकार ने इस वर्ष के बजट में भी लगभग 100 कॉलेजों में ऑनलाइन शिक्षा के बारे में प्रावधान किए हैं। भारत सरकार द्वारा ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु किए जा रहे प्रयासों का विवरण निम्नलिखित है

1. स्वयं (SWAYAM): स्वयं का विस्तार रूप Study Webs of Active Learning for Young Aspiring Minds है। यह एक ऐसा निःशुल्क ऑनलाइन पोर्टल है, जो वर्तमान युवाओं की अधिगम आकांक्षाओं को इण्टरनेट के माध्यम से पूरा करता है। इस पहल के माध्यम से सभी अध्ययन सामग्री और कक्षा में हुए परीक्षण के वीडियो को निःशुल्क विद्यार्थियों को उपलब्ध कराया जाएगा।

2. स्वयंप्रभा (Swayam Prabha): मानव संसाधन मन्त्रालय द्वारा वर्ष 2017 में शुरू की गई 32 चैनलों वाली स्वयंप्रभा छात्रों को निःशुल्क ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने वाला एक पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से स्कूल से लेकर कॉलेज तक के सभी छात्रों की सहायता की जाएगी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों और पिछड़े वर्ग के समाज में शामिल छात्रों को अच्छी शिक्षा प्रदान करना है।

3. मूक्स (Massive open online course, Moocs): यह विश्वविद्यालय स्तर के लिए ऐसा ऑनलाइन पाठ्यक्रम है, जो सामान्य लोगों के लिए खुला हुआ है। इसके माध्यम से लोगों को अपने लिए किसी विषय पर लोगों से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जुड़ने का अवसर मिलेगा। इसमें कोई भौगोलिक सीमा नहीं है।

4. भारत पढ़े ऑनलाइन: कोरोना संकट के दौर में मानव संसाधन विकास मन्त्रालय ने भारत के ऑनलाइन शिक्षा परितन्त्र को बेहतर बनाने के लिए लोगों के विचार / सुझाव आमन्त्रित करने के उद्देश्य से ‘भारत पढ़े ऑनलाइन’ नामक एक साप्ताहिक अभियान की शुरुआत की है।

इस अभियान का उद्देश्य ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली में उपस्थित किसी भी प्रकार की बाधा को समाप्त करने हेतु मानव संसाधन विकास मन्त्रालय के साथ प्रत्यक्ष सुझाव / समाधान साझा करने की दिशा में भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली व्यक्तियों को आमन्त्रित करना है।

5. विद्यादान 2.0: इस कार्यक्रम का प्रारम्भ मानव संसाधन विकास मन्त्रालय ने ई-शिक्षण से सम्बन्धित विषय सामग्री में योगदान करने के लिए किया है। यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसमें व्यक्ति (शिक्षक, शिक्षाविद्, विषय विशेषज्ञ आदि) और संगठन (विद्यालय आदि) शिक्षा के क्षेत्र में ई-शिक्षण में योगदान कर सकते हैं। विद्यादान कार्यक्रम की शुरुआत विशेष रूप से को विड-19 की पृष्ठभूमि में छात्रों (विद्यालय और उच्च शिक्षा स्तर दोनों पर) के लिए ई-शिक्षण विषय सामग्री की बढ़ती आवश्यकता और शिक्षण में वृद्धि के लिए स्कूली शिक्षा के साथ डिजिटल शिक्षा को एकीकृत करने की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के लिए की गई है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत देश भर में किसी भी समय और कहीं से भी शिक्षण को जारी रखने हेतु बच्चों के उपयोग के लिए दीक्षा (DIKSHA) ऐप जारी किया गया।

6. दीक्षा (DIKSHA): (डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर नॉलेज शेयरिंग) मानव संसाधन विकास मन्त्रालय द्वारा वर्ष 2017 में छात्रों के लिए पूरक शिक्षण सामग्री प्रदान करने और शिक्षकों के कौशल को अपग्रेड करने हेतु दीक्षा प्लेटफॉर्म का शुभारम्भ किया गया था। वर्तमान में दीक्षा 10 भाषाओं में विषय सामग्री के सृजन तथा पठन दोनों के लिए सहायता प्रदान करती है।

7. पीएमई-विद्या: यह ऑनलाइन शिक्षा का एक कार्यक्रम है, जिसे कोविड-19 और लॉकडाउन के कारण हो रहे अकादमिक नुकसान को देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा चालू किया जाएगा।

इस योजना के तहत छात्रों को विभिन्न माध्यमों के द्वारा शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही कक्षा 1 से 12 के लिए अलग-अलग टीवी चैनलों की शुरुआत भी की जाएगी।

Short Essay on Online Education in Hindi

शिक्षा जीवन को सरल एवं अर्थपूर्ण बनाने का आधारभूत स्तंभ है। शिक्षा एक सच्चे मित्र की तरह है जो किसी भी परिस्थिति में साथ नहीं छोड़ती। मानव यदि शिक्षा को अपना परम मित्र बना लेता है तो उसका जीवन आनंदमय एवं कल्पनाओं से भरा होता है। शिक्षा के विकास में भावनाओं का महत्व सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि शिक्षा का स्तर वहीं होता है जहाँ प्रेम, संस्कार एवं कल्पना होती है। यही कारण है कि ऐसा कहा गया है।

कर्तव्यों का बोध करावी, अधिकारों का ज्ञान शिक्षा से मिल सकता है, सर्वोपरि सम्मान | 
और साथ ही
जिस समाज में हो शिक्षित सभी नर-नारी,सफलता, समृद्धि खुद बने उनके पुजारी।

शिक्षा मानव को एक अच्छा इंसान बनाती है शिक्षा का स्वरूप बड़ा व्यापक है जिसमे ज्ञान, उचित आचरण, तकनीकी दक्षता, शिक्षण और विद्या प्राप्तिका समावेश होता है। यह शिक्षा ही है जो बालक के अंदर निहित बच्चों को बाहर की ओर अग्रसित करती है।। थोड़ा व्यापक दृष्टि से देखें तो शिक्षा आजीवन चलने वाली एक प्रक्रिया है।

महात्मा गांधी के शब्दों में- “शिक्षा से मेरा तात्पर्य में, बालक और मनुष्य के शरीर, मस्तिष्क एवं आत्मा का उत्कृष्ट विकास है।” इस तरह शिक्षा का वास्तविक अर्थ-व्यक्तिगत निर्माण, संस्कृति की रक्षा और समाज की उन्नति होता है।

भारतीय समाज शिक्षा और संस्कृति के मामले में प्राचीन काल से ही बहुत समृद्र रहा है। शिक्षक को समाज के समग्र व्यक्तित्व के विवसका उत्तरदायित्व भी सौंपा गया है। महर्षि अरविंद ने एक बार शिक्षकों के लिए कहा था कि “शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं, वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते है और अपने श्रम से सींचकर उन्हें शक्ति में बदलते हैं ।”

यदि हम आज की बात करें तो देखेंगे कि समाज भी परिवर्तन पर टिका है, समयानुरूप वहाँ भी बदलाव की प्रक्रिया चलती रहती है यही वजह है कि शिक्षा जो समाज का एक आवश्यक और अनिवार्य तत्व उसमें भी समयानुसार परिवर्तन होते रहे हैं और आज भी हो रहे हैं।

यह कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि भोजन-पानी जितनी आवश्यक शिक्षा भी है क्योंकि इसी के द्वारा विद्यार्थी या बालक जीवन कौशल सीखता है। यह भी सच है कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली में भी अभूतपूर्व बदलाव आया है साथ ही यह भी सत्य है कि शिक्षा जीविकोपार्जन का साधन मात्र बनती जा रही है। 

थोड़ा समय का पहिया उलटा घुमाते हैं, और पीछे चलते हैं जहाँ हम देखते हैं कि भारत में वर्तमान आधुनिक शिक्षा का राष्ट्रीय ढाँचा एवं प्रबंध औपनिवेशिक काल और आज़ादी के बाद के दौर में ही खड़ा हुआ है। सन 1968 में बनी भारत की पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस बात पर जोर है कि 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जाए और इसी संदर्भ में एक अप्रैल 2010 में शिक्षा का अधिकार (RTE) भी एक कानून बना और इसके अनुसार 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को नजदीकी विद्यालयों में निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की प्राप्ति का अधिकार होगा ।

समय-समय पर इस विभिन्न सरकारी नीतियों का पालन होता रहा और शिक्षण प्रक्रिया चलती रही परंतु पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में भी सूचना एवं प्रौद्योगिकी के विकास के कारण ऑन लाइन शिक्षण संस्थाएँ खुली साथ ही शिक्षण संस्थानों में भी बच्चे जाकर प्रत्यक्ष एप से भी शिक्षा ग्रहण कूरत परंतु समय का चक्र कुछ ऐसा आया कि पिछले वर्ष जब विश्व केरोना जैसी महाभारी के आगे विवश हो गया और तब इस covid- 19 का जो भयावह रूप सामने आया उससे कोई भी अनभिज्ञ नहीं | आज इस महामारी ने हमारे जीवन के हर पक्ष को बुरी तरह प्रभावित किया, शिक्षा जगत भी इससे अछूता नहीं रहन कोरोना की भयावहता को देखकर ही 15 मार्च से सभी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय बंद कर दिए गए और तब पूर्णरूपेण शिक्षा का स्वरूप बदल गया | ऑन लाइन शिक्षा के द्वारा कोर्स खतम करने का सरकारी आदेश आया । विगत 6-7 महीनों से शिक्षार्थी क इसी ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

इस दिशा में सरकार ने स्वयं अनेक प्लेटफॉर्मों जैसे- स्वयं ई, पी.जी-पाठशाला, किशोरमंच, डिबीटल लाइजरी, दीशा, आदि ऐप का प्रयोग करने के निर्देश दिए है। 

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इसी ऑनलाइन शिक्षा को आज हम विद्यार्थियों के जीवन से इस कदर जुड़ा हुआ पाते कि लगता है इस वैश्विक संकट के समय इसके अतिरिक्त दूसरा कोई उपाय ही नहीं, जिससे विद्यार्थी शिक्षण प्रक्रिया से जुड़े रहें, उनका यह बहुमूल्य सत्र और समय व्यर्थ न हो जाए, उनकी शिक्षा पर इस कठिन समय का कुप्रभाव न पड़े।

ऑनलाइन शिक्षा जो आज के बदलते हुए डिजिटल युग के समय की मांग है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और डिजीटल मीडिया के माध्यम से शिक्षा प्राप्त की जाती है।” बुनियादी इंटरनेट ऑडियो, वीडियों की जानकारी मात्र होने से भी छात्र ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। आज की इन विषम परिस्थितियों में छात्र ऑनलाइन शिक्षकों के निर्देशानुसार ही शिक्षा प्राप्ति में जुटे हैं, वे अपना विभिन्न पाठ्यक्रम पूरा कर रहे हैं दूसरी ओर खेल-खेल में ज्ञान परक कंम्प्यूटर कार्यक्रमों का निर्माण हुआ और हो रहा है। 

कोरोना से अलग हटकर भी यदि हम देखे तो भारत जैसे गरीब देश में ऑनलाइन शिक्षा एक जरूरत बनकर उभरी है क्योंकि इसके विकल्प से स्कूलों पर दबाव कम होगा और माता-पिता एवं बच्चों को भी अपने तरीके से पढ़ने-पढ़ाने की आज़ादी होगी। 

अब तो U.G.C ने भी यह सुझाव दे दिया है कि भविष्य में जब भी शैक्षिक कार्यक्रम हो तक दो दिन ऑनलाइन शिक्षण गूगल meet, WebeX, जूम इत्यादि अब तो तकनीकी के द्वारा, अगले दो दिन विद्यार्थी स्कूल या कॉलेज मे प्रत्यक्ष शिक्षा ग्रहण करें और एक दिन का प्रोजेक्ट वर्क । 

तात्पर्य यह है कि ऑनलाइन शिक्षा आज के अनुसार विद्यार्थी जीवन का अधिक अंग बनती जा रही है। इससे समय एवं पैसे (आने जाने का व्यय) की बचत होती है। 

इसका दूसरा पहलू भी है कि भारत जैसे गरीब देश में आधी जनसंख्या गांवों में रहती है जहाँ इस ऑनलाइन शिक्षण के महत्वपूर्ण घटक यानि मोबाइल डेटा या इंटरनेट आसानी से उपलब्ध नहीं है, साथ ही Speed की भी समस्या मुँह बाए खड़ी रहती है। इसके साथ रेडिएशन का खतरा, नेत्रों की ज्योति पर असर, सामाजिक वातावरण मैं अध्ययन करने से सबके साथ सामंजस्य की समस्या, अकेलापन, अवसाद और अनेक समस्याएँ हैं। खेल संबंधी गतिविधियां, कला संबंधी कार्यक्रम, भी जुटे हुए हैं इससे उनका समग्र विकास भी बाधित है।

परंतु इन सबके बावजूद ऑनलाइन शिक्षण ही एकमात्र उपाय है जीवन में आगे बढ़ने का और देश की भावी पीढ़ी का भविष्य उज्ज्वल करके अच्छे नागरिक बनाने का । कोरोना का यह सेकट जल्दी समाप्त होने वाला नहीं ऐजे में सामाजिक दूरी बनाए शिक्षा प्राप्त का मुख्य साधन ऑन लाइन शिक्षा ही है। पूरे विश्व में यह मत बन रहा है कि कोरोना के साथ ही जीना है क्योंकि जहाँ चुनौती होती है, वहाँ समस्या होती है, परंतु वहीं उसके समाधान भी निहित होते हैं। 

स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने कहा था कि “जीवन में आए अवसरों को व्यक्ति साहस एवं ज्ञान की कमी के कारण समझ नहीं पाता है” ऐसी स्थिति में हमें साहस एवं ज्ञान दोनों का परिचय देना होगा और ऑनलाइन शिक्षा को प्रोत्साहन देना होगा | 

इस प्रकार की शिक्षा से विद्यार्थी तरह-तरह से ज्ञान प्राप्त कर सकता है, समय का बंधन नहीं विभिन्न पाठ्यक्रम सीखकर सर्टिफिकेट आदि भी प्राप्त कर सकता है अपनो ज्ञान का विस्तार कर सकता है, विशाल पठन सामग्री आसानी से उपलब्ध हो जाती है। दूसरे पर्यावरण की दृष्टि से भी ऑन लाइन शिक्षा पर निर्भरता से कॉपी-किताब की ज़रूरतें कम होंगीं

परंतु साथ ही देश की मातृभाषाओं में सभी विषयों की सामग्री इंटरनेट पर उपलब्ध कराना एक इसके साथ चुनौती अवश्य है परंतू असंभव साइबर क्राइम के प्रति सावधान नहीं । करने वाले पाठ्यक्रम को महत्व देना होगा, पाठ्य-क्रमों में बदलाव एवं कौशल शिक्षा को शामिल करने से इस ऑनलाइन शिक्षण को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।

इस तरह यह ऑनलाइन शिक्षण देश और समाज के लिए हितकारी होगा। समय की मांग एवं विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य से जुड़ी यह ऑन लाइन शिक्षा छात्रों को रूचिकर एवं आकर्षक तरीके से शिक्षाप्राप्ति के अवसर भी प्रदान करती है। यही कारण है कि आज की इन परिस्थितियों में यह ऑनलाइन शिक्षा विद्यार्थी जीवन का एक अनिवार्य और अभिन्न अंग बन चुकी है इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता है।

Frequently Asked Questions
ऑनलाइन शिक्षा की शुरुआत कब हुई?

उत्तर: 1993 से ऑनलाइन शिक्षा को वैद्य माना गया

ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने के साधन क्या-क्या है?

उत्तर: मोबाइल फोन, लैपटॉप, इंटरनेट कनेक्शन, आदि

निष्कर्ष

इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि यद्यपि ऑनलाइन शिक्षा के सन्दर्भ में कुछ चुनौतियाँ विद्यमान हैं, जिसे दूर किया जाना चाहिए। साथ ही ऑनलाइन शिक्षा के लाभ आज परिस्थिति के अनुसार ज्यादा हैं। डिजिटल युग व कोरोना संक्रमण की भयावहता ने ऑनलाइन शिक्षा के महत्त्व में काफी वृद्धि की है, जिसे सरकार के विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रम के सन्दर्भ में समझा जा सकता है। निश्चित रूप से आज की परिस्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि ऑनलाइन शिक्षा का भविष्य काफी उज्जवल है और यह शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्ति ला रहा है। लेकिन साथ ही हमें ऑनलाइन शिक्षा की कड़ी निगरानी भी करनी चाहिए, जिससे कि छात्रों को इस तकनीक का पूरा लाभ प्राप्त हो, वहीं उनका मानसिक, शारीरिक व चारित्रिक हनन भी न हो।

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा लेख ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध (Essay on Online Education) पढ़ कर अच्छा लगा होगा और आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होगें।

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