Output Device क्या है और इसके प्रकार

आज हम लोग Output Device के बारे में जानेगे | जिसमें हम लोग जानेगे की Output Device क्या है और इसके कितने प्रकार है? (What is Output Device in Hindi) यह एक ऐसा topic है जब भी Computer की बात आती है तो ये सवाल जरूर आता है की वह कौन सी Device है जिसकी मदद से हम computer से data को बाहर निकल सकते है ये उसे किस प्रकार सहेज कर रख सकते है |

आउटपुट डिवाइस क्या है? (Output Device in Hindi)

Output Device का प्रयोग Computer से प्राप्त परिणाम को देखने अथवा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। आउटपुट डिवाइस Output को Hard Copy अथवा Soft Copy रूप में प्रस्तुत करते है। Soft Copy वह Output होता है जो उपयोगकर्ता को Computer के Monitor पर दिखाई देता है अथवा Speaker में सुनाई देता है। जबकि Hard Copy वह Output होता है जो उपोयगकर्ता को पेपर पर प्राप्त होता है। 

कुछ प्रमुख Output Devices निम्न हैं जो आउटपुट को Hard Copy या Soft Copy के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

आउटपुट डिवाइस के प्रकार (Types of Output Device) 

1. Monitor

इसे Visual Display Device (VDU) भी कहते है। Monitor, Computer से प्राप्त परिणाम को Soft Copy के रूप में दिखाता है।

Monitor के प्रकार

Monitor मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं।

(1) Monochrome Display Monitor और

(2) Color Display Monitor

Monochrome Display Monitor टेक्स्ट को Display करने के लिए एक ही रंग का प्रयोग करता है और Color Display Monitor एक समय में 256 रंगो को दिखा सकता है। Monitor पर चित्र छोटे-छोटे बिन्दुओं (Dots) से मिलकर बनता है। इन बिन्दुओं को पिक्सल (Pixels) के नाम से भी जाना जाता है। 

किसी चित्र की Clarity तीन तथ्यों पर निर्भर करती है जो निम्नलिखित है:- 

(1) Resolution of Screen

किसी Monitor का रिजोल्यूशन उसके क्षैतिज (Horizontal) और ऊर्ध्वाधर (Vertical) पिक्सल्स की संख्या के गुणनफल के बराबर होता है। किसी Monitor की Resolution जितनी अधिक होगी, उसके पिक्सल उतने ही नजदीक होंगे और चित्र उतना ही स्पष्ट होगा।

(II) Dot Pitch

दो कलर्ड Pixels के विकर्णों के बीच की दूरी को डॉट पिच (Dot Pitch) कहते हैं। यदि किसी Monitor की Dot Pitch कम-से-कम हो तो उसका रिजोल्यूशन अधिक होगा तथा उस Monitor में चित्र काफी स्पष्ट होगा।

(III) Refresh Rate

एक सेकण्ड में Computer का Monitor जितनी बार Refresh होता है, वह संख्या उसकी रिफरेश रेट (Refresh Rate) कहलाती है। ज्यादा-से-ज्यादा रिफरेश करने पर स्क्रीन पर चित्र ज्यादा अच्छे और स्पष्ट दिखाई देते है। 

कुछ अन्य प्रकार के Monitor निम्न हैं: 

(i) Cathode Ray Tube-CRT

यह एक आयताकार बॉक्स की तरह दिखने वाला Monitor होता है। इसे डेस्कटॉप Computer के साथ आउटपुट देखने के लिए प्रयोग करते हैं। यह आकार में बड़ा तथा भारी होता है।

इसकी स्क्रीन में पीछे की तरफ फॉस्फोरस की एक परत लगाई जाती है। इसमें एक Electron gun होती है। CRT में एनालॉग डेटा को इलेक्ट्रॉन गन के द्वारा Monitor की स्क्रीन पर भेजा जाता है। इलेक्ट्रॉन गन एनालोंग डेटा को इलेक्ट्रॉन्स में परिवर्तित करता है तथा इलेक्ट्रॉन ऊधिर तथा क्षैतिज प्लेट्स के बीच में होते हुए फॉस्फोरस स्क्रीन पर टकराती है। इलेक्ट्रॉन स्क्रीन पर जिस जगह टकराती है उस जगह का फॉस्फोरस चमकने लगता है और चित्र दिखाई देने लगता है। 

(ii) Liquid Crystal Display-LCD

LCD एक प्रकार की अधिक प्रयोग में आने वाली आउटपुट डिवाइस है। यह CRT की अपेक्षा काफी हल्का किन्तु महँगा आउटपुट डिवाइस है। इसका प्रयोग लैपटॉप में, नोटबुक में, पर्सनल Computer में, डिजिटल घड़ियों आदि में किया जाता एलसीडी है। LCD में दो प्लेट होती हैं। इन प्लेटों के बीच में एक विशेष प्रकार का द्रव (Liquid) भरा जाता है। जब प्लेट के पीछे से प्रकाश निकलता है तो प्लेट्स के अन्दर के द्रव एलाइन (Align) होकर चमकते हैं, जिससे चित्र दिखाई देने लगता है। 

(iii) Liquid/Light Emitted Diode – LED 

एक प्रकार की Electronic Device है। यह एक आउटपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग Computer से प्राप्त आउटपुट को देखने के लिए करते हैं। यह आजकल घरों में टेलीविजन की तरह प्रयोग किया जाता है। इसके अन्दर छोटे-छोटे LED’S (Light Emitted Diodes) लगे होते हैं।

जब विद्युत धारा इन LEDs से गुजरती है तो ये LEDs चमकने लगते हैं। और चित्र LED के स्क्रीन पर दिखाई देने लगता है। LEDs मुख्य रूप से लाल प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। किन्तु आजकल LEDs लाल, हरा और नीला (Red, Green and Blue (RCB)) प्रकाश भी उत्पन्न करते हैं। यह सफेद प्रकाश भी उत्पन्न कर सकते हैं। इन सभी रंगो के संयोग से विभिन्न रंग के चित्र LED में दिखाई देते हैं।

(iv) 3D Monitor 

3D Monitor एक आउटपुट डिवाइस है, जिसका प्रयोग आउटपुट को तीन डायमेन्शन (Three Dimension-3D) में देखने के लिए करते हैं। यह दो डायमेन्शन (Two Dimension-2D) Monitor की अपेक्षा ज्यादा स्पष्ट और साफ चित्र दिखाता है।

यदि चित्र को 3D Monitor में देखते हैं तो | ऐसा प्रतीत होता है कि यह चित्र बिल्कुल वास्तविक चित्र हैं। 

(v) TFT (Thin-Film-Transistor) 

TFT और एक्टिव मैट्रिक्स LCD (AMLCD) एक प्रकार की आउटपुट डिवाइस है। TFT में एक पिक्सल को कण्ट्रोल करने के लिए एक से चार ट्रांजिस्टर लगे होते हैं। ये ट्रांजिस्टर पैसिव मैट्रिक्स की अपेक्षा स्क्रीन को काफी तेज, चमकीला, ज्यादा कलरफुल बनाते हैं। इस आउटपुट डिवाइस की मुख्य बात ये हैं कि हम इसमें बने चित्र को विभिन्न कोणों (Angles) से भी देख सकते हैं। जबकि अन्य Monitor में यदि विभिन्न कोणों (Angles) से चित्र देखने पर चित्र स्पष्ट दिखाई नहीं देते हैं। TFT अन्य Monitor्स की अपेक्षा महँगा, लेकिन काफी अच्छी क्वालिटी का चित्र डिस्प्ले (Display) करने वाला आउटपुट डिवाइस है। 

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2. Printers क्या है?

प्रिण्टर्स एक प्रकार का आउटपुट डिवाइस है। इसका प्रयोग Computer से प्राप्त डेटा और सूचना को किसी कागज पर Print करने के लिए करते हैं। यह Black and White के साथ-साथ Colour Document को भी print कर सकता है। किसी भी Printer की क्वालिटी उसकी प्रिण्टिग की क्वालिटी पर निर्भर करती है अर्थात् जितनी अच्छी प्रिण्टिग क्वालिटी होगी, प्रिण्टर उतनी ही अच्छा माना जाएगा। किसी प्रिण्टर की गति कैरेक्टर प्रति सेकण्ड (Character Per Second-CPS) में, लाइन प्रति मिनट (Line Per Minute-LPM) में और पेजेज प्रति मिनट (Pages Per Minute-PPM) में मापी जाती है। 

किसी प्रिण्टर की क्वालिटी Dots Per Inch (DPI) में मापी जाती है। अर्थात् पेपर पर एक इंच में जितने ज्यादा-से-ज्यादा बिन्दु होंगे, प्रिण्टिग उतनी ही अच्छी होगी। 

प्रिण्टर को दो भागों में बाँटा गया है। 

(i) इम्पैक्ट प्रिण्टर (Impact Printer)

(ii) नॉन-इम्पैक्ट प्रिण्टर (Non-Impact Printer) 

(i) Impact Printer क्या है? 

यह प्रिण्टर Typewriter की तरह कार्य करता है। इसमें अक्षर छापने के लिए छोटे-छोटे पिन या Hammers होते हैं। इन पिनों पर अक्षर बने होते हैं। ये पिन स्याही से लगे हुए Ribbon और उसके बाद पेपर पर प्रहार करते है, जिससे अक्षर पेपर पर छप जाते हैं। Impact Printer एक बार में एक कैरेक्टर या एक लाइन प्रिण्ट कर सकता है। इस प्रकार के प्रिण्टर ज्यादा अच्छी क्वालिटी की त्रिण्टिग नहीं करते हैं। 

ये प्रिण्टर दूसरे प्रिंण्टर्स की तुलना में सस्ते होते हैं और प्रिण्टिग के दौरान आवाज अधिक करते हैं, इसलिए इनका प्रयोग कम होता है। इम्पैक्ट प्रिण्टर चार प्रकार के होते हैं

(a) Dot Matrix Printers

डॉट मैट्रिक्स प्रिण्टर में Pins की एक पंक्ति होती है जो कागज के ऊपरी सिरे पर Ribbon पर प्रहार करते हैं। जब पिन रिबन पर प्रहार करते हैं तो Dots का एक समूह एक मैट्रिक के रूप में कागज पर पड़ता है, जिससे अक्षर या चित्र छप जाते हैं। इस प्रकार के प्रिण्टर को पिन प्रिण्टर भी कहते हैं। डॉट मैट्रिक्स प्रिण्टर एक बार में एक Dot Matrix Printer ही कैरेक्टर प्रिण्ट करता है। यह अक्षर या चित्र को Dots के Pattern में प्रिण्ट करते हैं अर्थात कोई केरेक्टर या चित्र बहुत सारे Dots को मिलाकर प्रिण्ट किए जाते हैं। ये काफी धीमी गति से प्रिण्ट करते हैं। तथा ज्यादा आवाज करते हैं। जिससे इसे Computer के साथ कम प्रयोग करते हैं। 

(b) Daisy Wheel Printers

इसमें कैरेक्टर की छपाई टाइपराइटर की तरह होती है। यह Dot Matrix printer की अपेक्षा अधिक Resolution की प्रिण्टिग करता है तथा इसका आउटपुट, Dot Matrix printer की अपेक्षा ज्यादा Reliable होता है। 

(c) Line Printers

इस प्रकार के प्रिण्टर के द्वारा एक बार में पूरी एक लाइन प्रिण्ट होती है। भी एक प्रकार के Impact Printer होते हैं जो कागज पर दाब डालकर एक बार में पूरी एक लाइन प्रिण्ट करते हैं, इसीलिए इन्हें Line Printerकहते हैं। इनकी प्रिण्टिग की क्वालिटी ज्यादा अच्छी नहीं होती है, लेकिन प्रिण्टिग की गति काफी तेज होती है। 

(d) Drum Printers

ये एक प्रकार के Line Printer होते हैं, जिसमें एक Cylindrical Drum लगातार घूमता रहता है। इस Drum में अक्षर उभरे हुए होते हैं। Drum और Paper के बीच में एक स्याही से लगी हुई Ribbon होती हैं। जिस स्थान पर अक्षर छापना होता है, उस स्थान पर हैमर कागज के साथसाथ Ribbon पर प्रहार करता है। Ribbon पर प्रहार होने से Ribbon Drum में लगे अक्षर पर दबाव डालता है, जिससे अक्षर कागज पर छप जाता है। 

(ii) Non-Impact Printer क्या है?

ये प्रिण्टर कागज पर प्रहार नहीं करते, बल्कि अक्षर या चित्र प्रिण्ट करने के लिए स्याही की फुहार कागज पर छोड़ते हैं। Non Impact Printer Printing में Electrostatic chemical और Inkjet Technology का प्रयोग करते हैं। इसके द्वारा उच्च क्वालिटी के Graphics और अच्छी किस्म के अक्षरों को छापा जाता है। ये प्रिण्टर Impact की तुलना में महँगे होते हैं, किन्तु इनकी छपाई Impact Printer की अपेक्षा ज्यादा अच्छी होती है।

नॉन-इम्पैक्ट प्रिण्टर निम्न प्रकार के होते हैं:

(a) Inkjet Printer

Inkjet Printer में कागज पर स्याही की फुहार द्वारा छोटे-छोटे बिन्दु डालकर छपाई की जाती है, इनकी छपाई की गति 1 से 4 पेज प्रति मिनट होती है। इनकी छपाई की गुणवत्ता भी अच्छी होती है। ये विभिन्न प्रकार के रंगो द्वारा अक्षर और चित्र छाप सकते हैं। इन प्रिण्टरों में छपाई के लिए A4 आकार के पेपर का प्रयोग करते हैं। Inkjet Printer में Ribbon के स्थान पर गीली स्याही से भरा हुआ Cartridge लगाया जाता है।

यह Cartridge एक जोड़े के रूप में होता है। एक में काली (Black) स्याही भरी जाती है तथा दूसरे में मैजेण्टा (Magenta), पीली (Yellow) और सियान रंग (Green-Blulsh) की स्याही भरी जाती है। इस प्रिण्टर का Head होता है जो कागज पर स्याही की फुहार छोड़कर छपाई करता है। Inkjet Printer को प्रायः Parallel Port के माध्यम से Computer से जोड़ा जाता है। वैसे आजकल USB पोर्ट वाले Inkjet Printer प्रयोग किए जाते हैं। इसमें रोज एक या दो पेज प्रिण्ट करना चाहिए, जिससे इसका कार्टिज गीला रहता है और बेकार नहीं होता है।

(b) Thermal Printer

यह पेपर पर अक्षर छापने के लिए ऊष्मा का प्रयोग करता है। ऊष्मा के द्वारा स्याही को पिघलाकर कागज पर छोड़ते हैं, जिससे अक्षर या चित्र छपते हैं। Fax Machine भी एक प्रकार का Thermal Printer है। यह अन्य प्रिन्टर की अपेक्षा धीमा और महँगा होता है और इसमें प्रयोग करने के लिए एक विशेष प्रकार के पेपर की जरूरत पड़ती है जो Chemically Treated Paper होता है। 

(c) Laser Printer

Laser Printer के द्वारा High Quality के अक्षर और चित्र छापे जाते है। विभिन्न प्रकार के और विभिन्न स्टाइल के अक्षर को छाप सकते हैं। 

इसकी छपाई की विधि फोटोकॉपी Laser Printer मशीन से मिलती-जुलती है। इसमें Computer से भेजा गया Data laser rays की सहायता से इसके Drum पर चार्ज उत्पन्न कर देता है। इसमें एक Tonner होता है जो चार्ज के कारण Drum पर चिपक जाता है। जब यह Drum घूमता है और इसके नीचे से कागज निकलता है, तो Tonner कागज पर अक्षरों या चित्रों का निर्माण होता है। ये प्रिण्टर अपनी क्षमता के अनुसार, इंच में 300 से 1200 बिन्दुओं की सघनता (Density) द्वारा छपाई कर सकते हैं। ये एक मिनट में 5 से 24 पेज तक छाप सकते हैं। ये इम्पैक्ट प्रिण्टर से ज्यादा महंगे होते हैं। 

(d) Electro Magnetic Printer

Electro Magnetic Printer या Electro Photography Printer बहुत तेज गति से छपाई करते हैं। ये प्रिण्टर्स, पेज प्रिण्टर (जो एक बार में पूरा पेज प्रिण्ट करते हों) की श्रेणी में आते हैं। ये प्रिण्टर किसी डॉक्यूमेण्ट में एक मिनट के अन्दर 20,000 लाइनें प्रिण्ट कर सकते हैं अर्थात् 250 पेज प्रति मिनट की दर से छपाई कर सकते हैं। इसका विकास पेपर कॉपियर तकनीक के माध्यम से किया गया था। 

(e) Electro Static Printer

इस प्रिण्टर का प्रयोग सामान्यतः बड़े फॉर्मेट को प्रिण्टिग के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग ज्यादातर बड़े प्रिटिंग प्रेस में किया जाता है, क्योंकि इनकी गति काफी तेज होती है तथा प्रिण्ट करने में खर्च कम आता है।

3. Plotter क्या है?

Plotter एक Output Device है, जिसका प्रयोग बड़ी ड्राइंग या चित्र जैसे कि Construction Plans, मैकेनिकल वस्तुओं की ब्लूप्रिण्ट, AUTOCAD, CAD/ CAM आदि के लिए करते हैं। इसमें Drawing बनाने के लिए पेन, पेन्सिल, मार्कर आदि राइटिंग टूल का प्रयोग होता है। यह प्रिण्टर की तरह होता है। इसमें एक समतल चौकोर सतह पर कागज लगाया जाता है। इस सतह से कुछ ऊपर एक ऐसी छड़ (Rod) होती है, जो कागज के एक सिरे से दूसरे सिरे तक चल सकती है। इस छड़ पर अलग-अलग रंगों के दो या तीन पेन लगे होते हैं, जो छड़ पर आगे-पीछे सरक सकते हैं। इस प्रकार छड़ और पेनों की सम्मिलित हलचल से समतल सतह के किसी भी भाग में कागज पर चिन्ह या चित्र बनाया जा सकता है।

इनके द्वारा छपाई अच्छी होती है, परन्तु ये बहुत धीमे होते हैं तथा मूल्य भी अपेक्षाकृत अधिक होता है। लेजर प्रिण्टरों के आ जाने के बाद इनका प्रयोग लगभग समाप्त हो गया है। प्लॉटर दो प्रकार के होते है। 

(i) Flat Bed Plotter

ये प्लॉटर साइज में छोटे होते हैं तथा इसे आसानी से मेज पर रखकर प्रिण्टिग की जा सकती है। इसमें जो पेपर प्रयोग होता है, उनका आकार (Size) सीमित होता है। 

(ii) Drum Plotter

ये साइज में काफी बड़े होते हैं। तथा इसमें प्रयुक्त पेपर की लम्बाई असीमित होती है। इसमें पेपर का एक रोल (Roll) प्रयोग किया जाता है। 

Speaker क्या  है?

यह एक प्रकार की आउटपुट डिवाइस है जो Computer से प्राप्त आउटपुट को आवाज के रूप में सुनाती है। यह Computer से डेटा Electric Current के रूप में प्राप्त करता है। इसे CPU से जोड़ने के स्पीकर लिए Sound Card की जरूरत पड़ती है। यही Sound Card साउण्ड उत्पन्न करता है। इसका प्रयोग गाने सुनने में, संवाद आदि में करते हैं। Computer Speaker, वह स्पीकर होता है जो Computer में आन्तरिक या बाहा रूप से लगा होता है। 

4.Head Phones

Head Phones एक प्रकार की आउटपुट डिवाइस है। जिसमें Loud Speakers का एक जोड़ा होता है तथा इसकी बनावट ऐसी होती है कि ये सिर पर बेल्ट की तरह पहना जा सकता है तथा दोनों Speaker मनुष्य के कान के ऊपर आ जाते हैं।

Head Phoneइसीलिए इसकी आवाज सिर्फ इसे पहनने वाला व्यक्ति ही सुन सकता है। किसी-किसी Head Phone के साथ Mic भी लगा होता है, जिससे सुनने के साथ-साथ बात भी की जा सकती है। इस उपकरण का प्रयोग प्रायः टेलीफोन ऑपरेटरों, कॉल सेण्टर ऑपरेटरों, कमेण्टेटरों आदि द्वारा किया जाता है। इसे स्टेरियों फोन्स, हेडसेट या कैन्स के नाम से भी जाना जाता है। 

5. Projector

यह एक प्रकार का Output Device है, जिसका प्रयोग Computer से प्राप्त सूचना या डेटा को एक बड़ी Screen पर देखने के लिए करते हैं। इसकी सहायता से एक समय में बहुत सारे लोग एक समूह में बैठकर कोई परिणाम देख सकते हैं। इसका प्रयोग क्लास रूम ट्रेनिंग या एक बड़े Conference Hall जिसमें ज्यादा संख्या में दर्शक हों, जैसी जगहों पर किया जाता है। इसके द्वारा छोटे चित्रों को बड़ा करके सरलतापूर्वक देखा जा सकता है। यह एक प्रकार का अस्थायी आउटपुट डिवाइस हैं।

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इनपुट/आउटपुट पोर्ट (Input/Output-I/O Port) क्या है? 

Peripheral Devices को Computer से जोड़ने के लिए जिस माध्यम का प्रयोग होता है, उन्हें इनपुट/आउटपुट पोर्ट (Inputvsoutput Port) कहते हैं। यह एक External Interface होता है, जिसमें इनपुट/आउटपुट डिवाइस; जैसे: प्रिण्टर, Modem और Joystick आदि को कम्यूटर से जोड़ते हैं। 

इनपुट/आउटपुट पोर्ट निम्न प्रकार के होते हैं:

1. Parallel Port

Parallel Port एक माध्यम होता है,जिसमें आठ या उससे अधिक Wires को जोड़ सकते हैं। इसमें आठों तारों से एक साथ डेटा Transfer होता है। इसी वजह से इसकी डेटा Transmission की Speed काफी तेज होती है। इसका प्रयोग Computer से Printer को जोड़ने के लिए किया जाता है। 

2. Serial Port

Serial Port के द्वारा एक बार में एक ही बिट डेटा भेजा जा सकता है। इसके द्वारा काफी धीमी गति से Data Transfer होता है। इसका प्रयोग Modem, Plotter, Bar code Reader आदि को Computer से जोड़ने के लिए करते हैं। इस Port को Communication Port अथवा COM भी कहा जाता है। 

3. Universal Serial Bus (USB)

यह सर्वाधिक प्रयोग में आने वाला बाहा पोर्ट है जो लगभग सभी Computer में लगा होता है। सामान्यतः दो से चार USB पोर्ट Computer में लगे होते हैं। USB में Plug और Play फीचर होते हैं जो किसी Device को Computer से जोड़ने तथा चलाने में सहायक होते हैं। एक सिंगल USB पोर्ट में 127 Devices को Connect जा सकता है। 

4. Fire Wire

इसका प्रयोग ऑडियों, वीडियो या Multimedia डिवाइसेज़ जैसे की वीडियो कैमरा आदि को जोड़ने के लिए किया जाता है। यह एक महँगी तकनीक है, जिसका प्रयोग बड़ी मात्रा में Data Transfer करने के लिए करते हैं। Hard Disk Drive और नई DVD Drive को Wire के द्वारा Computer से Connect किया जाता है। इसके द्वारा 400 ME/Second की दर से Data Transferred किया जा सकता है। 

> Modem का प्रयोग डेटा को प्राप्त (Receive) तथा प्रेषित करने में किया जाता है। 
> Computer को चलाए जाने के लिए आवश्यक युक्तियों को Standard Devices कहा जाता है, जैसे- Keyboard, Floppy Drive, Hard Disk आदि। 
> Monitor की refresh rate Hertz में नापी जाती है। 
> मजबूत चुम्बकीय क्षेत्र बनने के कारण Monitor की स्क्रीन काली या रंगहीन हो जाती है। जो एक वायरस की तरह कार्य करता है। अतः Monitor का प्रयोग करते समय सभी चुम्बकीय उपकरण हटा देने चाहिए। 
> Graphic Display Unit Monitor Alpha Numeric अक्षरो के साथ-साथ Graph एवं Diagram को भी प्रदर्शित कर सकते हैं।

आज आपने क्या सीखा

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा आर्टिकल Output Device क्या है और इसके कितने प्रकार है? (What is Output Device in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी इसके लिए आपको और कहीं जाने की जरूरत नहीं है|

यदि आपके मन में इस Article को लेकर कोई Doubt है या आप चाहते हैं कि इसमें कुछ सुधार होना चाहिए तब इसके लिए आप नीचे Comment लिख सकते हैं आपकी इन्हीं विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मौका मिलेगा |

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