आज हमलोग इस पोस्ट में जानेगे की तरलता समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility- LAF) क्या है या किसे कहते है और इसके तरह-तरह के कार्य के बारे में भी जानेगे |
नरसिंहम समिति (1998) की संस्तुति पर LAF को क्रमिक रूप से पहले अन्तरिम रूप में 1999 में तथा अन्तिम रूप में 2000 में लागू किया गया। यह बाजार में दिन प्रतिदिन आधार पर Liquidity Adjustment करता है। यह Repo के माध्यम से कार्य करता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत Reserve Bank ब्याज की भिन्न भिन्न दरों पर बाजार में Liquidity की आपूर्ति करता है। इसने 2000 में Additional collateralized Facility (ACLF) को प्रतिस्थापित किया। इसका प्रमुख उद्देश्य Money Market में स्थिरता सुनिश्चित करना है तथा यह देखना है कि बाजार व्याजदर वांछित सीमा के भीतर बनी रहे।
29 मार्च 2004 से एक नयी संशोधित LAF स्कीम लागू की गयी, जिसकी प्रमुख बातें इस प्रकार थीं
(i) 7 दिनी Repo प्रतिदिन किया जायेगा।
(i) एक दिन पहले पूर्व निर्धारित (स्थिर) Repo प्रतिदिन होगा।
(ii) एक दिन पहले निश्चित स्थिर दर पर उल्टा Repo नीलामी
इस प्रकार नयी स्कीम में RBI द्वारा Repo Rate समय-समय पर निर्धारित की जायेगी। उल्टी Repo की दर सामान्य रीपो दर से 1.5 प्रतिशत कम होगी। नयी स्कीम के तहत LAF की अवधि को 7 दिन से घटाकर 1 दिन कर दिया गया है।
• नकदी प्रबन्धन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए 28 नवम्बर, 2005 को रिजर्व बैंक ने दूसरी LAF सुविधा शुरू की। पर दिनी उल्टा Repo की 3000 करोड़ रुपये की ऊपरी सीमा हटाने के बाद अगस्त 6,2007 से दूसरे LAF को समाप्त कर दिया गया है।
उम्मीद करते है की तरलता समायोजन सुबिधा (Liquidity Adjustment Facility-LAF) Kya hai और इसके तरह तरह के कार्य के बारे में पूरी जानकारी मिल गयी होगी |
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