पत्र मुद्रा क्या है? इसके कार्य,प्रकार और विशेषताएं क्या है?

दोस्तों क्या आप जानते हैं कि पत्र मुद्रा क्या है? अगर नहीं तो आज हम लोग इस आर्टिकल में इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानेंगे । उसके कार्य इसके प्रकार और विशेषताओं के बारे में भी हमलोग आज इसमें जानेंगे और प्रयास करेंगे कि यह हमारे लिए किस प्रकार लाभदायक है बहुत से लोगों को इसके बारे में पता नहीं होता है । जिसके जानकारी के अभाव में वह पत्र मुद्रा को नहीं समझ पाते जिसे कि अंग्रेजी में पेपर मनी (Paper Money) भी कहते हैं समय बर्बाद ना करते हुए चलिए शुरू करते हैं ।

पत्र मुद्रा का इतिहास

पत्र मुद्रा का प्रयोग सर्वप्रथम नवीं शताब्दी में चीन में हुआ। इसके पश्चात् अन्य देशों में इसका प्रयोग होने लगा। 17वीं तथा 18वीं शताब्दी में इसका प्रयोग बड़े पैमाने पर होना प्रारम्भ हो गया था। भारत में पत्र मुद्रा 19वीं शताब्दी में उस समय प्रयोग में लाई जानी लगी जबकि 1806 में बैंक ऑफ बंगाल द्वारा सबसे पहले पत्र मुद्रा का निर्गमन किया गया।

वर्तमान युग में विश्व के लगभग सभी देशों में पत्र मुद्रा मान का प्रचलन है। इस मुद्रा प्रणाली के प्रचलन का इतिहास में पहला प्रमाण 9वीं शताब्दी में मिलता है। सत्रहवीं शताब्दी में लगभग सभी उन्नत राष्ट्रों में इसका प्रयोग होने लगा था परन्तु इस काल में पत्र मुद्रा बहुमूल्य धातुओं के सिक्कों की प्रतिनिधि मात्र थी। अठारहवीं शताब्दी में कुछ देशों में अपरिवर्तनीय पत्र मुद्रा का प्रचलन 20वीं शताब्दी में ही हुआ।

पत्र मुद्रा क्या है? What is Paper Money in Hindi?

पत्र मुद्रा विशेष प्रकार के कागज पर छपा हुआ एक प्रतिज्ञा पत्र (Promissory Note) होता है । जिसमें निर्गमन अधिकारी, सरकार अथवा केंद्रीय बैंक वाहक को मांगने पर उसमें लिखित राशि देने का वचन देता है । यह पत्र मांग पर्दे होता है । पत्र मुद्रा प्रायः एक निश्चित विधान के अंतर्गत निर्मित किया जाता है और इसके पीछे केंद्रीय बैंक द्वारा नियम के अनुसार स्वर्ण तथा विदेशी प्रतिभूतियां (Securities) कोष में रखी जाती है ।

भारत में एक रुपया, पचास, पच्चीस, दस, पाँच, तीन दो, एक पैसे का सिक्का धातु मुद्रा का उदाहरण हैं एवं एक, दो, पाँच, दस एवं सौ रुपये के कागजी नोट पत्र मुद्रा के उदाहरण हैं। इन नोटों में से एक रुपये के नोट का Issue Government of India द्वारा किया जाता है एवं चाँदी के रुपये के समान माना जाता है। शेष अन्य नोटों का निर्गमन Reserve Bank Of India (Central bank) द्वारा किया जाता है एवं ये नोट धारक की माँग पर (Bearer’s demand) प्रत्येक निर्गमन कार्यालय (Office of issue) द्वारा देय (payable) होते हैं।

पत्र मुद्रा की विशेषताएँ क्या है

पत्र मुद्रा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

(i) देश में पत्र मुद्रा (Paper Money) तथा सस्ती धातुओं के सिक्कों का प्रचलन होता है। 

(ii) सिक्कों का टंकण स्वतंत्र रूप से नहीं होता।

(iii) पत्र मुद्रा देश की Authentic एवं infinite method Admissible money होती है। यह Exchange के माध्यम और मूल्य के मापक का काम करती है।

(iv) पत्र मुद्रा स्वर्ण या किसी अन्य बहुमूल्य धातु में परिवर्तनीय नहीं होती।

(v) चलन का नियमन मुद्रा प्राधिकारी द्वारा किया जाता है। 

(vi) अन्तर्राष्ट्रीय भुगतानों के निमित्त मुद्रा प्राधिकारी को विदेशी विनिमय तथा स्वर्ण का कोष रखना पड़ता है।

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पत्र मुद्रा प्रणाली परिवर्तनशील (convertible) और अपरिवर्तनशील (In-convertible) दो प्रकार की होती है।

आजकल पत्र Monetary system का अपरिवर्तनीय स्वरूप ही अधिक प्रचलित है। Non-Convertible Paper Money को चालू करते समय Govt या Central bank अपने पास कानून के अनुसार कुछ न कुछ स्वर्ण कोष रखती है, यद्यपि वह इस बात के लिए बाध्य नहीं होती कि कागजी नोटों को Metallic coins अथवा Precious coins अथवा Precious metal में परिवर्तित करे। 

Fiat money अपरिवर्तनशील पत्र मुद्रा का ही एक रुप है यह “Designated currency representative या Nominal currency होती है।” अर्थात् इसका Real Value इसके आंतरिक मूल्य से बहुत कम होता है जो कि आजकल सामान्यतया कागज की बनी होती है तथा चलन में डाली जाती है, लेकिन वैधानिक रूप से किसी अन्य वस्तु में परिवर्तनीय नहीं होती तथा इसका वास्तविकता में कोई निश्चित मूल्य नहीं होता।

पत्र मुद्रा के लाभ क्या है 

पत्र मुद्रा के मुख्य गुण या लाभ अग्रलिखित हैं

लचीलापन मुद्रा प्रणाली 

यह मुद्रा प्रणाली सर्वाधिक elastic होती है क्योंकि मुद्रा प्राधिकारी देश के उद्योग-व्यापार की आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त मात्रा में नोटों की निकासी करने हेतु स्वतंत्र होता है।

मितव्ययी मुद्रा प्रणाली

कागजी नोटों की निकासी करने तथा उनको चलाने में सरकार को बहुत थोड़ा-सा व्यय करना पड़ता है तथा इसके पीछे बड़ी मात्रा में धातु या धात्विक सिक्कों को कोष में रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

सुविधाजनक मुद्रा प्रणाली

व्यावहारिक दृष्टि से पत्र मुद्रा बहुत ही सुविधाजनक होती है। इस मुद्रा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने तथा भुगतान के लेन-देन में सुविधा रहती है।

मूल्य स्तर में स्थिरता

इस मुद्रा प्रणाली में मुद्रा की मांग और पूर्ति में पूर्ण साम्य रहने के कारण सामान्य मूल्य स्तर में स्थायित्व रहता है।

उत्पत्ति के साधनों का अधिकतम उपयोग

पूर्ण रोजगार की दशा कायम करने के हेतु हल्का Currency expansion आवश्यक है। Paper Money System के अन्तर्गत Currency Officer मुद्रा की मात्रा को नियमित करके उत्पत्ति के साधनों का पूर्ण उपयोग संभव बनाता है। 

विनिमय दर का क्षमता पूर्ण नियमन 

पत्र प्रणाली की मनोहरता इस बात में है कि मांग पूर्ति में असाम्य पैदा होने के तुरन्त बाद ही Foreign exchange के मूल्य में तीव्र स्थायित्व पैदा हो जाता है। इस तरह पत्र मुद्रा मान में Foreign exchange market में मांग पूर्ति एवं मूल्य सम्बन्धी नियम स्वतंत्रता और शीघ्रता के साथ उसी प्रकार क्रियाशील होते हैं जिस प्रकार की वैसे बाजार में लागू होते हैं जिससे माँग-पूर्ति में तीव्र अल्पकालीन उच्चावचन होते रहते हैं।

पत्र मुद्रा के हानियाँ क्या है

पत्र मुद्रा प्रणाली के प्रमुख दोष अथवा हानियाँ निम्नलिखित हैं

मुद्रा प्रचार का भय

अपरिवर्तनशील पत्र मुद्रा अधिक परिमाण में छप जाने के भय से अधिक अच्छी नहीं होती। इस मार्ग का अवलंबन करने वाली सरकारें जनता पर प्रत्यक्ष कर लगाकर, उसके प्रभाव से बचने हेतु अधिक नोट छापकर अज्ञात रूप से प्रबन्ध कर लेती है। जब एक निश्चित मात्रा से आगे अधिक मात्रा में कागजी नोट छापे जाते हैं तो इसका मूल्य कम हो जाता है तथा इस मुद्रा के प्रति जनता का विश्वास समाप्त हो जाता है।

कम विश्वसनीय मुद्रा प्रणाली 

चूँकि कागजी नोटों का चलन केवल सरकार की साख के आधार पर होता है इसलिए पत्र मुद्रा के प्रति जनता का अधिक विश्वास नहीं होता। 

चलन का सीमित क्षेत्र 

पत्र मुद्रा के चलन का क्षेत्र देश की चारदीवारी तक ही होता है जिसके फलस्वरुप देश की आंतरिक और वाह्य अर्थव्यवस्थाओं में पूर्ण सामंजस्य स्थापित नहीं हो पाता।

सट्टेबाजी को प्रोत्साहन मिलना 

जब पत्र मुद्रा स्फीति कारक प्रवृत्ति को जन्म देती है तो सामान्य मूल्य स्तर में अधिक उतार-चढ़ाव होने से सट्टेबाजी को बढ़ावा मिलता है।

विदेशी विनिमय में अस्थिरता 

पत्र मुद्रा मान वाले देश की आंतरिक कीमतों में होने वाले प्रत्येक उच्चावचन का विदेशी विनिमय दरों में अस्थिरता एवं अनिश्चितता के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

स्वयं संचालकता का अभाव 

पत्र मुद्रा प्रणाली स्वर्ण माप की तरह स्वयं संचालित पद्धति नहीं होती है जिस पर देशी और विदेशी कारणों का प्रभाव पड़ता है।

उत्तम पत्र मुद्रा प्रणाली की आवश्यक दशाएँ 

पत्र मुद्रा प्रणाली को ग्रहण करते समय किसी देश की सरकार को सुरक्षा की दृष्टि से निम्नोक्त बातों पर ध्यान रखना चाहिए। 

(क) देश में मुद्रा प्रसार उस समय तक होना चाहिए जब तक कि देश की Industrial, commercial और exchange सम्बन्धी आवश्यकताएँ हैं।

(ख) स्फीतिकारक प्रवृत्ति को रोकने हेतु कानून की ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि एक निश्चित सीमा के आगे नोटों की निकासी करने हेतु मुद्रा अधिकारी को सुरक्षित कोष की व्यवस्था करनी पड़े।

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पत्र मुद्रा (Paper Money) के कितने प्रकार होते हैं ? उनके दोष क्या-क्या है?

पत्र मुद्रा के चार प्रकार हैं, जो निम्न हैं

1. प्रतिनिधि पत्र मुद्रा ( Representative Paper Money)

2. परिवर्तनशील पत्र मुद्रा (Convertible Paper Money) 

3. अपरिवर्तनशील पत्र मुद्रा (Inconvertible Paper Money) 

4. प्रादिष्ट पत्र मुद्रा (Fiat Paper Money)

प्रतिनिधि पत्र मुद्रा क्या है? ( What is Representative Paper Money)

प्रतिनिधि पत्र मुद्रा वह कागजी मुद्रा है जिसे निर्गमित करने के लिए उसके बराबर सोना या चाँदी Reserve fund के रूप में रखना अनिवार्य होता है। इस पत्र मुद्रा द्वारा बहुमूल्य धातुओं का प्रतिनिधित्व किया जाता है। यह मुद्रा सोने, चांदी या प्रामाणिक मुद्रा में परिवर्तनीय होती है।

प्रतिनिधि पत्र मुद्रा के गुण

(i) मुद्रास्फीति का भय न होना 

प्रतिनिधि पत्र मुद्रा में मुद्रास्फीति की स्थिति उत्पन्न नहीं हो पाती क्योंकि इसको निर्गमित करने के लिए उतने ही मूल्य के बराबर धातु अर्थात् सोना या चाँदी आरक्षित कोष में रखना अनिवार्य होता है। सोना या चाँदी बहुमूल्य धातुएँ होने के कारण असीमित मात्रा में उपलब्ध नहीं होते। अत: पत्र मुद्रा का अत्यधिक मात्रा में निर्गमन होने का भय नहीं रहता।

(ii) विश्वास

इसमें जनता का अधिक विश्वास रहता है क्योंकि कागजी नोटों के पीछे शत-प्रतिशत सोना और चाँदी आरक्षित कोष में होने के कारण नोटों के स्थान पर सोना चाँदी प्राप्त किये जा सकते हैं।

(iii) धातुओं में घिसावट का न होना 

इस मुद्रा में बहुमूल्य धातुओं की घिसावट से होने वाली हानि नहीं है क्योंकि सोने-चांदी के सिक्कों के प्रचलन के स्थान पर कागजी नोट चलन में होते हैं। सोना व चाँदी तो नोटों की आड़ के रूप में रखे जाते हैं। 

प्रतिनिधि पत्र मुद्रा के दोष

(i) लोचहीनता (Elasticity)

यह मुद्रा लोचहीन होती है क्योंकि सोना और चांदी के कोषों में वृद्धि किये बिना मुद्रा की बढ़ी हुई आवश्यकता के अनुसार पत्र मुद्रा का विस्तार नहीं किया जा सकता। इसमें पत्र मुद्रा का निर्गमन सोने और चांदी पर आधारित होता है।

(ii) सोने और चांदी के दोष का निरर्थक पड़े रहना 

इस प्रणाली के अन्तर्गत सोने और चांदी के आरक्षित कोष व्यर्थ पड़े रहते हैं अर्थात् आरक्षित कोष में रखी गयी धातुयें किसी अन्य प्रयोग में नहीं लगाई जा सकती।

(ii) संकटकाल तथा निर्धन देशों के लिए अनुपयुक्त 

यह प्रणाली संकटकाल मुद्रा के विस्तार की आवश्यकता को पूरा नहीं कर सकती तथा इसे निर्धन देशों द्वारा, जिनके पास सोने और चांदी का अभाव है, नहीं अपनाया जा सकता।

2. परिवर्तनशील पत्र मुद्रा क्या है? (What is Convertible Paper Money)

परिवर्तनशील पत्र मुद्रा शत-प्रतिशत बहुमूल्य धातु (सोना और चांदी) Reserve fund के रूप में नहीं रखा जाता है अर्थात् इसमें Reserve fund पत्र मुद्रा की मात्रा के बराबर रखना आवश्यक नहीं होता। इसमें पत्र मुद्रा देश की प्रमाणित मुद्रा में परिवर्तनशील होती है। पत्र मुद्रा के बदले में मुद्रा अधिकारी देश की प्रमाणित मुद्रा देने के लिए बाध्य होता है। परिवर्तनशील पत्र मुद्रा के आरक्षित कोष के रूप में सोना और चांदी पत्र मुद्रा की कीमत से कम होता है। सरकार द्वारा सोने और चांदी को पहले से निश्चित की गई कीमतों पर क्रय-विक्रय किया जाता है। विदेशी-भुगतानों के लिए सोने-चांदी का एक अलग से कोष रखा जाता है। इस प्रकार की पत्र मुद्रा के आरक्षित कोष के रूप में बहुमूल्य धातु के अतिरिक्त Authentic और token coins तथा Certified securities की भी व्यवस्था की जाती है।

परिवर्तनशील पत्र मुद्रा के गुण

(i) Elastic प्रणाली 

इसमें सरकार द्वारा बिना शत-प्रतिशत सोने और चांदी का आरक्षित कोष रखे नोटों का निर्गमन किया जा सकता है । अत: इसमें प्रतिनिधि पत्र मुद्रा की तुलना में अधिक लोचकता होती है। 

(ii) धातु की बचत 

इस प्रणाली में कागज के नोट प्रचलन में होते हैं। फलतः, बहुमूल्य धातुओं को सिक्के के रूप में चलाने के परिणामस्वरूप उसकी घिसावट से होने वाली हानि नहीं

(ii) विश्वास

इस प्रणाली के अन्तर्गत कागजी नोटों के पीछे कुछ-न-कुछ मात्रा में सोना और चांदी आड़ के रूप में रखा जाता है। अत: इसमें जनता का विश्वास बना रहता है। सरकार नोटों को सोना व चाँदी में परिवर्तित करने की व्यवस्था भी करती है।

(iv) विदेशी भुगतानों में आसानी

व्यक्तियों को Paper Money के स्थान पर विदेशी भुगतानों के लिए सोना और चांदी सरकार से प्राप्त हो सकता है। इस प्रकार विदेशी भुगतानों में सुविधा रहती है तथा विदेशी व्यापार प्रोत्साहित होता है।

परिवर्तनशील पत्र मुद्रा के दोष

(i) प्रतिनिधि पत्र मुद्रा की तुलना में इस प्रणाली में कम विश्वास

इस प्रणाली में नोटों के निर्गमन के पीछे शत-प्रतिशत सोना और चांदी न होने के कारण प्रतिनिधि पत्र मुद्रा की अपेक्षा जनता का विश्वास कम होता है।

(i) अधिक मुद्रा के निर्गमन का भय

इसमें नोटों के पीछे बहुमूल्य धातु कम मात्रा में होती है। अत: अधिक नोट निर्गमित होने का भय रहता है।

(3) अपरिवर्तनशील पत्र मुद्रा क्या है? (What is Inconvertible Paper Money) 

इस प्रणाली में कागजी नोट इस प्रकार निर्गमित किये जाते हैं कि सरकार द्वारा इन कागजी नोटों को प्रामाणिक सिक्कों या सोने व चांदी में परिवर्तित करने का कोई आश्वासन नहीं दिया जाता। इस मुद्रा की स्थिति में धातु-कोष नहीं रखे जाते। यह मुद्रा सरकार की साख पर आधारित होती है। इसमें निर्गमित नोटों की आड़ में ऋण-पत्रों (Securities), बॉण्ड (Bonds), कोषागार बिल (Treasury bills) आदि को रखा-जा सकता है।

अपरिवर्तनशील पत्र मुद्रा के गुण 

(i) अधिक elastic प्रणाली 

यह प्रणाली अत्यधिक elastic है क्योंकि इसमें बिना सोने व चांदी के आरक्षित कोषों के, सरकार अपनी इच्छा अनुसार कितनी भी मात्रा में नोट निर्गमन करने की व्यवस्था कर सकती है।

(ii) धातुओं का लाभदायक प्रयोग : इस प्रणाली में धातुओं को आरक्षित निधि के रूप में नहीं माना जाता। अत: इसमें धातुओं की बचत होती है तथा इन बहुमूल्य धातुओं को अन्य लाभदायक प्रयोगों में लगाया जा सकता है।

अपरिवर्तनशील पत्र मुद्रा के दोष

(i) कम विश्वास

इस मुद्रा में जनता का विश्वास कम रहता है क्योंकि यह बहुमूल्य धातुओं में परिवर्तनशील नहीं होती।

(ii) मुद्रास्फीति की सम्भावना

इस प्रणाली में सरकार इच्छानुसार अधिक मात्रा में नोटों का निर्गमन कर सकती है। अत: कभी-कभी आवश्यकता से अधिक मुद्रा का निर्गमन हो जाता है तथा मुद्रास्फीति का संकट उत्पन्न हो जाता है। यह प्रणाली एक सुनिश्चित स्वयंचालित प्रणाली नहीं है।

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4. प्रादिष्ट (आज्ञा प्राप्त) मुद्रा क्या है? (What is Fiat Paper Money)

यह मुद्रा अपरिवर्तनशील पत्र मुद्रा का ही एक रुप है। इस मुद्रा के पीछे किसी भी रूप में आरक्षित कोष नहीं रखे जाते। जब संकटकाल में सरकार को मुद्रा की आवश्यकता होती है तथा आरक्षित कोष में रखने के लिए Bond, Securities आदि भी नहीं होते तो ऐसी दशा में Fiat Paper Money के निर्गमन की व्यवस्था की जाती है। यह प्रादिष्ट मुद्रा कहलाती है। इसका निर्गमन सीमित मात्रा में होता है तथा इसके पीछे किसी भी प्रकार की आड़ नहीं होती।

प्रादिष्ट पत्र मुद्रा गुण

(i) नियंत्रित रुप में अपनाने पर मितव्ययी एवं elastic 

यह मुदा अन्य पत्र मुद्राओं से अधिक मितव्ययी और elastic होंगी यदि इसे सुनिश्चित नियंत्रण रखते हुए अपनाया जाय।

(ii) आर्थिक विकास में सहायक 

ऐसे पिछड़े व अल्पविकसित देशों में जहाँ वित्त की कमी के कारण आर्थिक विकास रुका हुआ है। यह मुद्रा प्रणाली सहायक हो सकती है। 

प्रादिष्ट पत्र मुद्रा के दोष

(1) अत्यधिक मुद्रास्फीति की स्थिति 

इस प्रणाली में अत्यधिक मुद्रास्फीति का होना स्वाभाविक है। अत्यधिक मुद्रास्फीति समाज के लिए हानिकारक होती है। 

(ii) जनता में विश्वास का नितान्त अभाव 

इस मुद्रा में जनता का बिल्कुल विश्वास नहीं होता क्योंकि इसके पीछे किसी भी प्रकार के आरक्षित कोष की व्यवस्था नहीं की जाती। 

(iii) विदेशी व्यापार में कठिनाई 

इसमें विदेशी व्यापार में भुगतान सम्बन्धित कठिनाईयों में वृद्धि हो जाती है क्योंकि इस मुद्रा का धातुओं से कोई सम्बन्ध नहीं होता। इससे विनिमय दर अस्थिर स्थिति में बनी रहती है।

आज आपने क्या सीखा

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा आर्टिकल पत्र मुद्रा क्या है? इसके कार्य,प्रकार और विशेषताएं क्या है? (What is Paper Money in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी इसके लिए आपको और कहीं जाने की जरूरत नहीं है ।

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