बैंक क्या है? इसके कार्य और प्रकार की जानकारी

जब भी हमारे मन में पैसे के सवाल पूछते हैं । तब हमारे सामने Bank का चित्र सामने आ जाता है यह कैसा जगह है जहां कि आपको लाखों करोड़ों रुपए एक स्थान पर देखने को मिल जाएंगे । अब सवाल उठता है कि असल में बैंक क्या है? (What is Bank)।

आसान भाषा में कहें तो हम कह सकते हैं कि बैंक एक ऐसा स्थान है जहां लोग पैसे रखने आते हैं और जरूरत पड़ने पर पैसे लेने आते हैं ।

एक समय था जब पैसों से संबंधित कोई भी काम करना होता था चाहे वह Deposit करना हो या Withdraw करना हो तो हमें सभी काम के लिए Bank के पास जाना पड़ता था और लंबी-लंबी कतारों में खड़े होकर हमें अपने नंबर का इंतजार करना पड़ता है

परंतु अब समय बदल चुका है । अब हमें बहुत से कामों के लिए बैंक जाने की आवश्यकता नहीं है हम अपने घर बैठे Internet Banking, Mobile Banking यह ऐसा कह सकते हैं कि Electronic Banking के माध्यम से बहुत सारे काम आसानी से कर सकते है ।

इसलिए आज हम लोग जानेंगे कि बैंक क्या होते हैं इसके कितने प्रकार होते हैं और यह काम किस तरह से करते हैं के विषय में पूरी जानकारी आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताऊंगा तो बिना देरी किए चलिए हम लोग जानते हैं बैंक के बारे में।

Bank Meaning in Hindi – अधिकोष होता है।

बैंक क्या है (What is Bank in Hindi)

बैंक वह व्यक्ति है जो अपने व्यवसाय की सामान्य गति में लोगों का रुपया जमा करता है और समय-समय पर उनके लिखित Cheques का भुगतान कर उन्हें वापस करता है।

या,

बैंक वह संस्था है जो अपने धन (Money) की सुरक्षा का ध्यान रखकर लोगों को धन उधार देती है। जब लोगों को धन की आवश्यकता नहीं रहती है तो वे अपने धन को उसके पास जमा करते हैं।

या,

कोई भी संस्था तथा व्यक्ति उस समय बैंक कहलाने का अधिकारी हो सकता है जब वह –

  1. Fixed deposit accounts या 
  2. Current accounts में रुपया जमा करता हो। 
  3. Cheque Issue करके अपने ऊपर लिखे हुए Cheques का भुगतान करता हो। 
  4. अपने Customers की ओर से Crossed अथवा Without Crossed Cheque इकट्ठा करता हो। 

इन सब कार्यों को करने के अतिरिक्त उसे निम्नलिखित दशाओं की पूर्ति करनी भी अनिवार्य होगी-

  1. Banking Business उसके स्वयं का निजी व्यवसाय हो. 
  2. जनता के सम्मुख वह इस बात की घोषणा करे कि वह एक banker है और Banking Business करता है तथा जनता उसे उसी रूप में समझती हो, 
  3. इस प्रकार व्यवसाय करने में उसे धनोपार्जन की इच्छा हो तथा Banking उसका प्रधान व्यवसाय हो, सहायक नहीं।”

सरल शब्दों में बैंक की परिभाषा इस प्रकार की जा सकती है कि- ”बैंक वह संस्था है जो धन का आदान-प्रदान करती है।”

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बैंक के क्या कार्य है? (Functions of Bank)

वैसे तो बैंक बहुत से कार्य करती है परन्तु इन्हें मुख्य रूप से दो भागो में बाँटा गया है जो निम्न प्रकार है –

मुख्य कार्य (Primary Function of Banks)

  1. जनता की बचत को धन-धरोहर के रूप में एकत्र करना। 
  2. व्यापारियों एवं साधारण जनता को ऋण देना। 

गौण कार्य (Secondary Function of Banks)

  1. Customers की विविध सेवाएँ करना। 
  2. अन्य कार्य।

Primary Functions of a Bank in Hindi

1. जनता की बचत को धन-धरोहर के रूप में एकत्र करना : बैंकों का यह कार्य अत्यन्त ही महत्वपूर्ण है। प्रत्येक समझदार व्यक्ति भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कुछ धन बचाता है। लोग इस बचत को बैंकों में जमा कर देते हैं। इससे उन्हें दो लाभ होते हैं। पहला लाभ तो यह होता है कि बैंकों में उनका धन सुरक्षित रहता है तथा दूसरा लाभ यह होता है कि जो धन उनके घर पर बेकार रहता है बैंकों में जमा कर देने पर उन्हें उस पर कुछ ब्याज भी मिल जाता है। Businessman एवं Industrialist बैंक में इसलिए धन जमा करने लगे हैं कि उन्हें भुगतान, लेन-देन में तथा उसे एक स्थान से दूसरे स्थान भेजने में बड़ी सुविधा होती है। बैंक जनता से प्राय: खातों के आधार पर जमा प्राप्त करता है

Fixed Deposit Account: बैंक के इस Accounts में एक निश्चित समय के लिए रुपया जमा किया जाता है। समय पूरा होने के पहले इसमें से रुपया नहीं निकाला जा सकता है। परन्तु यदि कभी इस Accounts में रुपया जमा करने वाले को समय पूरा होने के पहले ही रुपया निकालने की आवश्यकता पड़ जाती है तो बैंक जमा की जमानत पर ऋण भी देता है। इस प्रकार की जमा पर ब्याज की दर बहुत ऊंची होती है।

Current Account: ऐसी जमा की विशिष्टता यह होती है कि जमा करने वाली संस्था अथवा व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार कभी भी रुपया जमा कर सकता है और निकाल सकता है। इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इस Accounts में रुपया जमा करने वालों को एक Passbook और एक Cheque book मिलती है। जब रुपया निकालने की आवश्यकता पड़ती है तब जमादाता को Passbook न तो भेजना पड़ता है और स्वयं बैंक जाना पड़ता है। वह Cheque लिख कर जिनको चाहे दे सकता है। उसको यह भी अधिकार होता है कि वह जब चाहे तब और जितना चाहे उतना रुपया Cheque द्वारा निकाल सकता है। परन्तु Current Account खोलने पर एक प्रतिबंध यह है कि जमादाता की एक निश्चित Minimum Amount Bank के पास सदैव रहना आवश्यक है। परन्तु आजकल कई बैंक इस Accounts पर भी ब्याज देने लगे हैं।

Saving Bank Account: कुछ देशों में विशेषकर भारत में इस Accounts का महत्वपूर्ण स्थान है। इस प्रकार के धरोहर का उद्देश्य साधारण कोटि के मनुष्यों में संचय की कल्पना उत्पन्न करना है। इस Accounts में छोटी-छोटी रकमों को जमा किया जाता है। इस Accounts से रुपया निकालने में कुछ प्रतिबंध लगा दिये जाते हैं, जैसे-सप्ताह में एक बाद ही अथवा दो बार ही रुपया निकाला जाता है अथवा सप्ताह में कई बार मिलाकर एक सीमित रकम तक ही निकाली जा सकती है। इस प्रकार समय का अथवा रकम का प्रतिबंध रहता है। बैंक इस Accounts में जमा की हुई रकम पर कुछ ब्याज भी देता है।

Home safe account: इसका उद्देश्य बच्चों में संचय की भावना उत्पन्न करना है। इस प्रकार के Accounts के प्रारंभ होने पर Bank Customer को अपना ताला लगाकर एक Locker देता है। ग्राहक उसे अपने घर ले जाकर समय-समय पर कुछ बचत का पैसा डालता रहता है। एक निश्चित समय बाद वह Locker Bank में ले जाकर खोली जाती है और वह राशि Customer के Accounts में जमा कर दी जाती है इसमें भी Saving Bank Account की तरह ही Interest मिलता है।

2. साधारण जनता एवं व्यापारियों को ऋण देना 

रिकार्डो के अनुसार-“कोई व्यक्ति बैंकर तभी बन सकता है जबकि वह दूसरों को पैसा देना प्रारम्भ करे।” इस प्रकार जमा की हुई राशि को फिर से अन्य लोगों को उधार देना बैंक का प्रमुख कार्य है । ऋण देने के कई ढंग हैं। 

इनमें निम्नलिखित प्रमुख है –

Overdraft: “जिन merchants का Current Account होता है, उनको बैंक कभी-कभी यह अधिकार देता है कि वे अपनी जमा रकम से अधिक रकम भी निकाल सकते हैं। इस अधिक रकम को अधिविकर्ष (Overdraft) कहते हैं।

“Overdraft  की रकम, अवधि तथा उस पर Interest Rate क्या होगी-इसे Bank तथा Businessman पहले निश्चित कर लेते हैं। जैसे-जैसे व्यापारी Overdraft लेता जाता है, वैसे-वैसे रकम बढ़ती जाती है और अन्त में वह निश्चित रकम तक पहुँच कर रुक जाती है। कुछ लोग ऋण और Overdraft दोनों को समान मानते है। परन्तु दोनों में अन्तर है। ऋण की कुल रकम पर ब्याज देना पड़ता है परन्तु Overdraft की उसी रकम पर ब्याज देना पड़ता है जो रकम निकाल ली गई है। जो रकम नहीं निकाली गई है उस पर Interest नहीं देना पड़ता है। मान लीजिये की Overdraft की रकम 2000 तय हुई है, परन्तु व्यापारी ने 1000 की रकम ही निकाली है तब उसे इतनी ही रकम पर ब्याज देना पड़ेगा। Customers के लिए Overdraft loan से अधिक आकर्षक है।

Loans and Advances: कोई भी व्यक्ति अच्छी जमानत देकर बैंक से ऋण ले सकता है। बैंक साधारणतया अल्पकाल के लिए ही ऋण देते हैं। ऋण साधारण व्यक्ति भी देते हैं परन्तु बैंक के ऋण देने और साधारण व्यक्तियों के ऋण देने में अन्तर है। साधारण व्यक्ति नगद रुपयों में ऋण देते हैं, परन्तु बैंक नगद रुपयों में ऋण नहीं देते। वे ऋणी के नाम एक खाता खोल देते हैं और उस Accounts में ऋण-रकम जमा कर देते हैं। बैंक ऋणी को एक Passbook और एक Cheque Book देती है तथा उन्हें अधिकार देती है कि ऋणी उस ऋण की सीमा तक Cheque द्वारा रुपया निकाल सकता है।

Cash Credit: यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें बैंक अपने ग्राहक को अच्छी जमानत के आधार पर एक निश्चित मात्रा तक ऋण लेने का अधिकार देता है। Customer जितनी रकम निकालता है उसी पर उसे Interest देना पड़ता है। Cash credit और Overdraft दोनों में बहुत असमानता है। दोनों में प्रधान अंतर यह है कि Overdraft का अधिकार Current Accounts में रुपया जमा करने वाले को ही दिया जाता है और Cash credit कोई भी अच्छी जमानत देकर ले सकता है। 

Loan at call, or Short Notice: यह ऋण अच्छी Bail पर 3 दिन से लेकर 10 दिन तक के लिए दिया जाता है। कभी-कभी रात्रि को देकर सबेरे वापस ले लिया जाता है। Bank इस पर 1 प्रतिशत या 1 1/2 प्रतिशत Interest लेते हैं। ऐसे ऋणों की विशेषता यह है कि Bank कभी भी इन्हें वापस माँग सकता है और Customer कभी भी (समय के अन्दर) इन्हें वापस कर सकता है। यदि कोई व्यापारी समय के अन्दर इन्हें वापस नहीं कर पाता है तो bank guarantee को बेचकर रुपया प्राप्त कर सकता है। ऐसे ऋणों को प्राय: फटका बाजार के दलाल लेते हैं।

Discounting of Bills or Hundis: bank अपने Customers की सुविधा के लिए उनके द्वारा लिखे गये bills या हुंडियों का समय से पहले ही भुगतान कर देते हैं तथा भुगतान की तिथि से लेकर शोधन तिथि के समय पर कुछ ब्याज ले लेते हैं, यही बैंक का लाभ है। कई अर्थों में बिलों तथा हुंडियों को भुनाना Bank के लिए अधिक सुविधाजनक है क्योंकि ये आवश्यकता पड़ने पर रुपयों में शीघ्र ही परिवर्तित किये जा सकते हैं। इन्हें Central Bank द्वारा भुनाया जा सकता है या Stock Exchange (शेयर बाजार) में बेचा जा सकता है। इनमें लगी हुई रकम एक निश्चित समय के लिए होती है। उसके बाद बैंक को पैसा वापस मिल जाता है।

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Secondary Functions of a Bank in Hindi

बैंक में Customers की सेवा-सम्बन्धी कार्य

बैंक अपने Customers की सेवा निम्नलिखित ढंग से करती है:

  1. Customers के Cheque का रुपया दूसरे बैंकों से इकट्ठा करके Customers के नाम में जमा कर लेते हैं।
  2. Customers द्वारा लिखे गये विपत्रों का भुगतान वे उनकी ओर से प्राप्त कर लेते हैं और उनकी आज्ञा होने पर वे उनके द्वारा स्वीकृत विपत्रों का भुगतान भी कर देते हैं। .
  3. यदि कभी Customers को दूसरे स्थान में रुपया भेजने की आवश्यकता होती है तो वे Bank में उतना रुपया जमा कर और Bank से Bank Draft लेकर उस स्थान को भेज सकते हैं। Draft दिखाने पर उस स्थान की Bank की शाखा उतना रुपया दे देती है।
  4. बैंक Customer की आज्ञा मिलने पर समय-समय पर उनके Insurance premium, चंदा या कंपनी के Shares पर रकम चुकाते रहते हैं।
  5. बैंक अपने Customers के प्रतिनिधि, संरक्षक एवं सलाहकार का भी कार्य करते हैं।
  6. वे अपने Customers की मूल्यवान् वस्तुओं को सुरक्षित रखते हैं, जैसे-गहना, जरुरी कागजात आदि।

4. अन्य कार्य 

बैंक के अन्य कार्यो में दो प्रमुख कार्य हैं – नोट छापना और देश की मुद्रा का विभिन्न देशों की मुद्राओं में अदल-बदल करना। 

नोट छापने के कार्य को Ordinary banks के हाथों से छीनकर सरकार ने अपने हाथ में ले लिया है। यह कार्य अब Government bank या Central bank ही कर सकते हैं। Change of currency के कार्य को Exchange bank सम्पन्न करते हैं।

बैंक के प्रकार (Types of Bank in Hindi)

प्रारम्भ में जब Banking का क्षेत्र अविकसित था, बैंक प्रायः सभी प्रकार के कार्य करते थे। लेकिन जैसे-जैसे Banking का क्षेत्र विकसित होता गया वैसे-वैसे बैंकों ने भी एक विशेष कार्य को ही अपनाया। इस तरह अलग-अलग कार्य करने के कारण बैंकों की अलग-अलग श्रेणियाँ बन गयी। 

बैंकों को उनके विशेष कार्यो के आधार पर निम्नलिखित रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है:

व्यापारिक बैंक (Commercial Bank): Commercial bank वे होते हैं जो देश के व्यापार तथा उद्योग के लिए Short Term Loan प्रदान करते हैं। ये अधिकतर 3 माह के लिए ऋण प्रदान करते हैं। ये कभी-कभी वर्ष के लिए भी ऋण देते हैं। ये Bank सभी प्रकार के Accounts में रुपया जमा करते हैं परन्तु इन्हें Current Accounts में सबसे अधिक जमा पूंजी प्राप्त होती है। ये Bank अधिकतर चल सम्पत्ति की जमानत पर ऋण देते हैं। भारत में Punjab National Bank, Central Bank, Allahabad Bank इत्यादि इसी श्रेणी के Bank हैं।

औद्योगिक बैंक (Industrial Bank): ये वे Bank हैं जो उद्योग-धंधों के विकास के लिए Long Term Loan देते हैं। ये बैंक 5 वर्ष से 20 वर्ष तक की अवधि के लिए ऋण प्रदान करते हैं। इन बैंकों का उद्देश्य उद्योग-धंधों को उनकी इमारत, मशीन तथा फर्नीचर आदि के लिए Long Term Loan प्रदान करना है। भारत में “Industrial Finance Corporation, Industrial Development Bank and Industrial Credit and Exchange Corporation” इसके अंतर्गत आते है 

विनिमय बैंक (Exchange Bank): ये वे बैंक हैं जो विदेशी व्यापार की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते ये Foreign exchange bills का क्रय-विक्रय करते हैं। हमारे देश में बड़े-बड़े Industrial और commercial banks की परिभाषा आदि औद्योगिक बैंकों के उदाहरण हैं। केन्द्रों पर Foreign exchange banks की शाखाएं है। भारत में Exchange Bank अधिकतर विदेशी हैं।

सहकारी बैंक (Cooperative Bank): ये वे साख संस्थाएँ हैं जो सहकारिता के आधार पर संगठित होती हैं और अपने सदस्यों को Low interest rate पर ऋण देती है। इन बैंकों के सदस्य प्राय: गरीब किसान, मजदूर या कारीगर होते हैं। ये लोग थोड़ा-थोड़ा रुपया एकत्रित करके Cooperative Bank स्थापित कर लेते हैं। ये बैंक अपने सदस्यों को उत्पादन कार्यों के लिए Low interest rate पर ऋण प्रदान करते हैं। भारत में 1950 ई० से ऐसे Bank कार्य कर रहे हैं। यहाँ इनके तीन स्वरुप हैं। आधार रुप में Co-operative credit societies हैं जो किसानों व कारीगरों की आर्थिक सहायता करती है। इन समितियों की आर्थिक सहायता के लिए जिलों में Central Bank हैं और इन Bank की आर्थिक सहायता व निरीक्षण के लिए राज्यों में Cooperative Bank हैं।

भूमि बन्धक बैंक (Land Mortgage Bank): ये वे बैंक हैं जो किसानों को उनकी भूमि बंधक रखकर लम्बे समय के लिए ऋण देते हैं। किसानों को भूमि में स्थाई सुधार करने, कुएँ बनवाने, भूमि व भारी कृषि यंत्र खरीदने आदि के लिए लंबे समय के लिए ऋण लेने की आवश्यकता होती है। Land Development Bank इन्हीं कार्यो के लिए ऋण प्रदान करते हैं। भारत में इन Banks की बहुत कमी है। 

केन्द्रीय बैंक (Central Bank): प्रत्येक देश में देश की Money व्यवस्था सुचारु रुप से संचालित एवं नियंत्रित करने के लिए एक Central Bank होता है। यह देश का Apex Bank होता है और देश के अन्य सभी बैंक इसके नियंत्रण में कार्य करते हैं। यह बैंकों की Money तथा Credit सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति करके तथा इसकी साख निर्माण-शक्ति पर नियंत्रण रखकर इसको आर्थिक संकट से बचाता है। सरकारी कोष इसी के अधिकार में होता है। देश की Paper Money के निर्गमन पर भी इसका अधिकार होता है।

इस प्रकार यह Bank देश की Money एवं Credit system पर नियंत्रण रखकर Money की आंतरिक तथा वाह्य क्रयशक्ति को स्थिर रखता है। हमारे देश का Central Bank Reserve Bank of India है।

देशी बैंकर (Indigenous Banker): प्राय: सभी देशों में कुछ व्यक्ति अकेले ही या साझेदारी रूप में Banking व्यवसाय करते हुए पाये जाते हैं। हमारे देश की Economy में इनका बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। यहां वे महाजन, साहूकार, सर्राफ, चेट्टी, सेठ आदि के नामों से प्रसिद्ध हैं। ये अपनी पूँजी से Business करते हैं। बड़े Banker जमा के रुप में भी जनता से रुपया लेते हैं। ये Banking Business के साथ-साथ अन्य कार्य करते कुछ हैं। इनकी Interest Rate बहुत ऊंची होती है। ये किसानों, मजदूरों, कारीगरों, व्यापारियों से ऋण देते हैं। ऐसे बैंकरों को देशी बैंकर (Indigenous Banker) कहते हैं।

बचत बैंक (Savings Bank): यह बैंक समाज के गरीब तथा औसत आय वाले व्यक्तियों में मितव्ययिता की आदत डालने के लिए मुख्य रूप से कार्य करता है। गरीब तथा औसत आय वाले व्यक्ति को अपनी छोटी रकम बचाने का साधन इस प्रकार के बैंकों द्वारा दिया जाता है। इसमें छोटी-से-छोटी रकमों को भी जमा किया जा सकता है। हमारे देश में Postal Savings Bank ही अधिक लोकप्रिय हो पाये हैं। दूसरे देशों में स्वंतत्र Saving Bank भी स्थापित है।

9. विभिन्न प्रकार के बैंक

आधुनिक युग में स्थान-स्थान पर ऐसी संस्थायें पायी जाती हैं जो सच्चे अर्थ में तो Bank नहीं है क्योंकि Bank के सम्पूर्ण कार्य इन संस्थानों द्वारा संपादित नहीं किये जाते रखा जाता है। ये निम्नलिखित प्रकार के हैं:

विनियोग बैंक (Investment Bank): इंग्लैंड और अमेरिका में बहुत से विनियोग बैंक (Investment Bank)  हैं। इनका कार्य पूंजी को विभिन्न प्रकार के Investment में लगाना है।

मजदूर बैंक (Labor bank): अमेरिका में श्रमिक संघ अपने-अपने बैंक खोले हुए हैं जिनमें उनके सदस्यगण अपनी आय का कुछ हिस्सा बचत के रूप में जमा करते हैं।

व्यापारिक महाजन (Business tycoon): लंदन के कुछ बड़े-बड़े व्यापारी द्रव्य के लेन-देन का भी कार्य करते हैं जो व्यापारिक महाजन (Business tycoon) के नाम से विख्यात हैं।

विद्यार्थी बैंक (Student bank): विद्यालयों या महाविद्यालयों से सम्बन्धित छात्रों के द्रव्य जमा रखने के लिए एक संस्था खोल दी जाती है, जिसे विद्यार्थी बैंक (Student bank) के नाम से पुकारा जाता है।

डिसकाउन्टिंग संस्थाएँ (Discounting institutions): इस तरह की संस्थाएँ मुख्य रूप से लंदन में पायी जाती है। इनका प्रमुख कार्य विनिमय पत्रों को भुनाना है। इसके अतिरिक्त आजकल Blood Bank, Eye Bank आदि नामधारी संस्थाएँ भी खुल रही हैं, पर ये वस्तुत: बैंक नहीं भण्डार मात्र हैं।

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बैंक के लाभ (Advantages of Bank)

1. देश का औद्योगिक एवं आर्थिक विकास : किसी भी देश का Economic Development उन देश के industrial development के ऊपर निर्भर होता है। बड़े पैमाने पर उत्पत्ति के लिए पूँजी की आवश्यकता होता है। बिना पूँजी के किसी प्रकार का उत्पादन कार्य नहीं हो सकता। बैंक का मुख्य कार्य समाज के उन व्यक्तियों का धन जमा करना होता है जिनके लिये वह अनावश्यक है। इस प्रकार का धन एकत्रित करके Bank उस धन को उत्पादन कार्यों के लिए पूँजी के रुप में अन्य व्यक्तियों को (ऋण के रुप में) देता है। इससे देश में उद्योग-धन्धे पनपने लगते हैं और देश की आर्थिक प्रगति होने लगती है।

2. आन्तरिक एवं विदेशी व्यापार में वृद्धि: एक स्थान से दूसरे स्थान पर धन भेजने में सहायता देकर, व्यापारियों के bill of exchange, bill इत्यादि पत्रों को भुनाकर और आवश्यकता पड़ने पर Short Term Loan देकर आधुनिक युग में बैंक आन्तरिक एवं विदेशी व्यापार को नवीन चेतना प्रदान करता है।

3. मुद्रा-प्रणाली में लोच : बैंक साख का सृजनकर्ता है। देश की आवश्यकतानुसार बैंक Credit Creation करके अथवा संकुचन करके monetary system में लचीलापन उत्पन्न कर देता है। इससे देश में मुद्रा संकुचन या मुद्रा स्फीति का भय रहता और देश की आर्थिक प्रगति में कोई बाधा नहीं पड़ती है।

4. बचत करने की आदत डालना : धन को सुरक्षित रखने की सुविधा और उस पर ब्याज देकर Bank बचत करने की प्रेरणा देता है। विभिन्न प्रकार के खातों में लोग अपना अनावश्यक धन जमा कर सकते हैं। बैंक ग्राहक को आभूषण, आवश्यक पत्र आदि भी रखने की सुविधा प्रदान करता है। इससे देश में पूंजी का संचय होता है।।

5. पूँजी की उत्पादकता में वृद्धि : प्राय: बैंक में वे लोग ही रुपया जमा करते हैं, जिनके पास रुपये का कोई उत्पादक उपयोग नहीं होता है। बैंक इस रुपये को उन व्यक्तियों को ऋण के रुप में देती है जो इसे उत्पादक कार्य में लगाने की क्षमता रखते हैं।

6. भुगतान करने की सुविधा: बैंक Cheques का उपयोग बढ़ाती है। चेकों द्वारा भुगतान करने में सुविधा रहती है। रुपये गिनने, परखने एवं भेजने में जो समय व्यय होता है, उसकी बचत हो जाती है और जोखिम भी नहीं रहती है। नगद रुपया पास में रखने की आवश्यकता नहीं रहती है।

8. साख मुद्रा के लाभ : साख मुद्रा का प्रचलन बैंकों के कारण ही सम्भव हो सकता है। साख से अनेक लाभ होते हैं जिसका विवरण अलग अध्याय में किया गया है। मुद्रा

9. सरकारी अर्थ प्रबन्ध की सुविधा : बैंक आवश्यकता पड़ने पर सरकार को ऋण प्रदान करती है। Government Securities के विक्रय का कार्य भी बैंक करती हैं। भारतवर्ष में Reserve bank of india जिन स्थानों पर पहले नहीं थी वहाँ Imperial Bank ही सरकारी बैंक का कार्य करता था।

10. ग्राहकों को विभिन्न सेवाएँ : बैंक अपने ग्राहक को अनेक सेवाएँ प्रदान करते हैं जैसे उनके भुगतानों का लेन-देन करना, ऋण-पत्रों को खरीदना तथा बेचना, उनके ट्रस्टी तथा प्रतिनिधि के रुप में कार्य करना, आर्थिक स्थिति के बारे में सूचना देना, आर्थिक सूचनाएँ तथा ऑकड़े एकत्र करता तथा प्रकाशित करना इत्यादि। इन सेवाओं द्वारा बैंक अपने ग्राहकों को चिन्ता से मुक्त कर देते हैं।

11. सेवाएँ : लोग अपनी बहुमूल्य वस्तुओं को बैंक के पास सुरक्षित रख सकते हैं। जिससे चोरी का भय नहीं रहता है।

अतः स्पष्ट है कि बैंक ही देश के व्यापार एवं वाणिज्य जगत का Artery Centre of Trade है।

कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न (Frequently Asked Questions)

बैंक में कौन-कौन से पद होते हैं?

बैंकों में विशेषज्ञ अधिकारी के प्रमुख पद

1. Information Technology Officer

2. Agricultural Officer

3.Law Officer

4.HR / Personal Officer

5.Marketing Officer

6.Official Language Officer

7. Probationary officer

8. Clerk

बैंक की आय का मुख्य स्रोत क्या है?

बैंक Industries companies और व्यक्तियों को कई तरह के Loan देते हैं इस Loan से मिलने वाले Interest ही Banks की कमाई का मुख्य स्रोत है ।

भारत में किस बैंक ने सबसे पहले ATM को Introduced किया था?

Hong Kong & Shanghai Banking Corporation ATM का Concept सबसे पहले भारत में सन 1987 में लाया और सबसे पहला एटीएम इन्होंने Andheri East Mumbai में लगाया ।

किस भारतीय बैंक में अपना सबसे पहला Overseas Bank खोला था और कब?

भारत में सबसे पहले Overseas Bank खोलने वाला बैंक Bank Of India था जो कि लंदन में 1946 में खोला गया था ।

भारत का सबसे पुराना Public Sector Bank कौन है?

भारत का सबसे पुराना Public Sector Bank Allahabad Bank है ।

भारत का वह कौन सा बैंक है जिसे सबसे पहले ISO Certification प्राप्त हुआ?

Canara Bank को सबसे पहले ISO Certification प्राप्त हुआ ।

किस भारतीय बैंक ने सबसे पहला Mobile ATM Launch किया था?

ICICI ने सबसे पहला Mobile ATM Launch किया था ।

भारत का सबसे बड़ा बैंक कौन सा है?

भारत का सबसे बड़ा बैंक State Bank Of India है ।

बैंक का हिंदी नाम क्या है?

बैंक का हिंदी नाम अधिकोष है ।

आज आपने क्या सीखा 

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको Basic Knowledge of Banking हमारे आर्टिकल बैंक क्या है? इसके प्रकार और कार्य क्या-क्या है? के माध्यम से पूरी जानकारी मिल गई होगी ।

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