Commercial Bank क्या है और इसके क्या कार्य है?

वाणिज्यिक या व्यापारिक बैंक क्या है (Commercial Bank kya hota hai) और इसके क्या कार्य है? इसका नाम लेते ही साफ़ जाहिर हो जाता है की ये bank business करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है परंतु ऐसा नहीं है इसके बहुत से कार्य है जो की प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देते परंतु यह अंदर ही अंदर Central Bank के नियमानुसार काम करता रहता है जिसके अंतर्गत हमारे देश की Economy सुचारु रुप से चल सके | हमारी Economy में कमर्शियल बैंक जिससे कि हम लोग व्यापारिक बैंक या वाणिज्यिक बैंक भी कहते हैं इसका बहुत बड़ा हाथ है |

वाणिज्यिक या व्यापारिक बैंक क्या है? What is Commercial Bank in Hindi? 

व्यापारिक बैंक एक Financial Instituition है जो Money तथा Credit में व्यापार करती है, जो न केवल Money को लोगों से Deposit के रूप में स्वीकार करती है तथा आवश्यकता पड़ने पर Entrepreneurs and associates को उधार देती है बल्कि इससे भी अधिक महत्वपूर्ण कार्य Credit Creation के रूप में करती है। 

वाणिज्यिक बैंक के क्या कार्य है? (Functions of Commercial Bank)

वाणिज्यिक बैंक के कार्य निम्नलिखित हैं:

1.जमा राशियाँ प्राप्त करना (To Receive Deposits): 

Modern banks का एक महत्वपूर्ण कार्य लोगों का अतिरिक्त धन जमा के रूप में प्राप्त करना है। Bank पाँच प्रकार के Account में लोगों की इच्छानुसार निक्षेप जमाएँ (Deposits) प्राप्त करते हैं:-

(i) Current Account

यह Account प्राय: उद्योगपतियों, व्यापारियों एवं अन्य व्यवसायियों द्वारा खोला जाता है। इस Account में जमा करने वाला जब चाहे तब रुपया जमा कर सकता है और निकाल सकता है। प्राय: बैंक इस प्रकार के Account में जमा धनराशि पर Interest नहीं देती है, क्योंकि उसे जमा कर्ता की माँग को पूरा करने के लिए सदैव अपने पास नकद कोष तैयार रखना पड़ता है।

(ii) Saving bank Account

यह Account प्राय: कम आय वाले व्यक्तियों द्वारा खोला जाता है। इस Account में से जमा कर्ता सप्ताह के एक या दो बार ही रुपया निकाल सकता है, किंतु जमा कितनी बार भी कर सकता है। रुपया निकालने के लिए जमा कर्ता को Cheque की सुविधा भी दी जाती है। इस Account में जमा धनराशि पर थोड़ी मात्रा में (प्राय: 4.50 रुपया सैकड़ा) सालाना Interest भी दी जाती है। बचत Account से देश में पूँजी संचय को प्रोत्साहन मिलता है।

(iii) Fixed Deposit Account

इस Account में एक निश्चित अवधि (जो तीन माह से 10 वर्ष तक हो सकती है) के लिए धनराशि जमा करायी जा सकती है। जिस निश्चित अवधि के लिए धनराशि या रुपया जमा कराया गया है उस निश्चित अवधि के समाप्त होने से पहले रुपया नहीं निकाला जा सकता है। इस Account में Interest की दर अन्य Account की अपेक्षा ऊँची होती है। अवधि जितनी अधिक होती है, Interest की दर भी उतनी ही अधिक होती है। इस Account में वे लोग अपना रुपया जमा करते है जिनके पास कुछ निश्चित रुपया होता है, जिससे वे निश्चित आय चाहते हैं और उस रुपये को किसी जोखिम में डालना नहीं चाहते हैं।

(iv) Home Saving Account

कुछ Banks द्वारा savings को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से जमा कर्ता Customer को घर ले जाने के लिए (Saving Box) गुल्लक दे जाते हैं, जिसमें वे अपनी छोटी-छोटी बचतों को जमा करते रहते हैं। इन गुल्लकों की चाबी बैंक के पास रहती है। एक निश्चित अवधि के बाद गुल्लक को बैंक में जाकर खोला जाता है और उससे प्राप्त धनराशि को जमा कर्ता के Account में जमा कर दिया जाता है। इस प्रकार के Account पर Interest की दर बहुत की कम होती है |

(v) Other Deposit Accounts

वर्तमान में Depositors की को अनेक नये-नये प्रकार के Accounts में भी Deposit किया जाने लगा है, जैसे:

  1. अनिश्चितकालीन जमा खाता, 
  2. आवर्ती जमा खाता, 
  3. प्रतिदिन बचत जमा खाता, 
  4. मासिक जमा योजनाएँ, 
  5. वार्षिकी या निवृत्ति योजनाएँ।

2. Advancing Loans

Bank जितना रुपया जमा के रूप में प्राप्त करते हैं उसका अधिकांश भाग ज़रूरतमंद व्यावसायियों, व्यापारियों, किसानों आदि को ऋण के रूप में दे देते हैं। इन ऋणों पर बैंक इतना Interest वसूल करती है कि जिससे बैंक के खर्च तथा जमाकर्ताओं को दिया जाने वाला Interest आसानी से निकल आये। 

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Bank द्वारा किस प्रकार का Loan दिया जाता है?

Banks द्वारा निम्नलिखित प्रकार के ऋण प्रदान किये जाते हैं:

(i) Simple loan 

यह ऋण उन व्यक्तियों को दिया जाता है जो बैंक के पास अपनी कोई वस्तु Security के रूप में रख देता है। इस ऋण का रुपया ऋणी के Current Account में जमा कर दिया जाता है जिसे वह ऋणी आवश्यकतानुसार रुपया निकाल सकता है। बैंक चाहे जब इस प्रकार का ऋण वापस माँग सकता है।

(ii) Cash Credit

इसके अन्तर्गत, Bank ऋणी की निश्चित Security के बदले में ऋण देता है। ऋण का रुपया ऋणी व्यक्ति के नाम से खोले गये Account में जमा कर दिया जाता है। ऋणी अपनी आवश्यकतानुसार Account में से थोड़ा-थोड़ा रुपया निकालता रहता है। परन्तु उसे वास्तव में निकाली गई रकम पर Interest देना पड़ता है।

(iii) Bank Overdraft

कभी-कभी बैंक अपने विश्वसनीय Current  Account वाले ग्राहकों को Overdraft की सुविधाएँ भी देता है, जो एक प्रकार से ऋण ही है। बैंक ऐसे ग्राहकों को अनेक Account में जमा रुपयों से अधिक रकम निकालने के लिए Cheque जारी करने की अनुमति दे देता है। ग्राहक अपनी जमा रकम से अधिक राशि निकालने पर बैंक को Interest चुकाता है।

(iv) discounting of Bills of Exchange

Banks द्वारा दिया जाने वाला यह एक अन्य प्रकार का ऋण है। यदि bills of exchange के वाहक को तत्काल नकद रुपयों की आवश्यकता है तो वह बैंक में जाकर bills of exchange को, Discount कटवा कर भुना सकता है। किसी अच्छी पार्टी द्वारा स्वीकृत bills of exchange को बैंक तुरंत ले लेता है और उसके वाहक को bills of exchange का वर्तमान मूल्य दे देता है या उसके Account में जमा कर देता है। bills of exchange Mature हो जाने पर बैंक उस बिल को स्वीकार करने वाली पार्टी से बिल का पूरा भुगतान प्राप्त कर लेता है।

3. Agency Function

बैंक अपने ग्राहकों के लिए एजेंसी कार्य भी सम्पन्न करता है। इनमें से कुछ कार्य तो नि:शुल्क किये जाते हैं और कुछ कार्यों के लिए ग्राहकों से निश्चित शुल्क या कमीशन लिया जाता है। 

बैंक के प्रमुख एजेंसी-कार्य (Agency Function) निम्नलिखित हैं:

(i) धन का स्थानान्तरण (Collecting customer money)

बैंक अपने ग्राहकों को bank draft द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान को रुपया भेजने में सहायता देता है और इस सेवा के लिए थोड़ा सा शुल्क लेता है।

(ii) ग्राहकों का रुपया एकत्र करना

बैंक दूसरे Banks से अपने ग्राहकों द्वारा जमा कराये गये cheque, Bill, Draft, Hundi तथा अन्य Exchange deeds का भुगतान प्राप्त करके उनके रुपये को ग्राहक के Account में जमा करते हैं।

(iii) अंशों एवं प्रतिभूतियों का क्रय विक्रय

बैंक अपने ग्राहकों के लिए मिश्रित पूँजी कंपनियों के Shares तथा government Securities को खरीदता तथा बेचता है।

(iv) विभिन्न भुगतान प्राप्त करना

बैंक अपने ग्राहकों के अंशों व ऋण-पत्रों पर दिये जाने वाले लाभांश तथा Interest, किराया व अन्य प्राप्तियाँ वसूल करके उनके Account को जमा करते हैं।

(v) अन्य प्रकार के भुगतान करना

बैंक अपने customers के आदेशानुसार उनकी बीमा पॉलिसी के प्रीमियम, मकान किराया, Interest व अन्य बिलों का भुगतान करता है।

(vi) ट्रस्टी व एक्जीक्यूटर कार्य

बैंक अपने ग्राहकों के आदेश पर उनकी सम्पत्ति की व्यवस्था, Management आदि का दायित्व उठाते हैं। ग्राहकों के वसीयतनामों को सुरक्षित रखते हैं और उन्हें मृत्योपरान्त कार्यान्वित करते हैं।

4. कागजी मुद्रा का निर्गमन

प्रत्येक देश का Central bank कागजी मुद्रा का निर्गमन करता है। भारत में नोटों का निर्गमन का कार्य केवल “भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India)” ही करता है।

5. विदेशी व्यापार का क्रय विक्रय

Bank foreign currencies का क्रय-विक्रय भी करता है। प्रायः विदेशी विनिमय के क्रय-विक्रय का कार्य विदेशी Exchange Banks द्वारा किया जाता है। भारत में कुछ Commercial bank भी अपने अन्य कार्यों के साथ-साथ मुद्राओं का व्यवसाय भी करते हैं।

6. आन्तरिक तथा विदेशी व्यापार का अर्थ प्रबंध

बैंक Bill of Exchange को Discount करके आन्तरिक तथा विदेशी व्यपार का अर्थ-प्रबंध (Finance) करते हैं। कभी-कभी हुण्डियों तथा बिलों की जमानत (Security) पर बैंक Short Term Loan भी देते हैं।



बैंक के अतिरिक्त कार्य:

(i) लॉकर्स की सुविधा

बैंक प्राय: अपने ग्राहकों को Lockers की सुविधाएँ भी देते हैं। इनमें लोग अपने मूल्यवान आभूषण, आवश्यक कागज़ात, कंपनियों के अंश व ऋण पत्रों आदि को सुरक्षित रख सकते है। इस सेवा के लिए बैंक उनसे साधारण वार्षिक शुल्क लेते हैं।

(ii) यात्री चैक जारी करना

बैंक यात्रियों के लिए यात्री चैक या गश्तीसाख प्रमाण-पत्र (Circular Letters of Credit) जारी करते हैं जिससे यात्रियों को यात्रा के समय नकद रुपया ले जाने की जोखिम से मुक्ति मिल जाती है।

(iii) साख संबंधी सूचनाएँ

बैंक अपने ग्राहकों को विश्वसनीय साख सम्बन्धी सूचनाएँ देते हैं, जिससे ग्राहकों को व्यापार में अधिक सहायता मिलती है और व्यापारिक जोखिमों का भय भी खत्म हो जाता है।

(iv) आर्थिक आंकड़ों का संकलन

आजकल प्रत्येक देश में Central bank  देश के Banking, money trading तथा industries आदि से सम्बन्धित तथ्यों एवं आंकड़ों का संकलन करता है और उन्हें समय-समय पर प्रकाशित करता है। इससे देश की आर्थिक स्थिति का ज्ञान होता है, जिसके आधार पर बैंक अपनी नीतियों का निर्माण कर सकते हैं।

(v) ऋण पत्रों का अभिगोपन

कभी-कभी बैंक व्यापारिक कंपनियों द्वारा पूँजी प्राप्त करने के लिए जारी किये गये ऋण पत्रों का अभिगोपण (Under writing) भी करते हैं। Banks की इस सेवा से Industrialists तथा businessmen को बहुत लाभ होता है। क्योंकि इस कार्य से उन्हें पूँजी प्राप्त करने में सुविधा रहती है।

(vi) विनिमय-बिल स्वीकार करना

कभी-कभी बैंक अपने ग्राहकों पर लिखे गये Bill of Exchange को भी स्वीकार करते हैं। इससे ऋण-दाता का ऋणी की साख पर विश्वास सुदृढ़ हो जाता है।

उपरोक्त अध्ययन से स्पष्ट है कि Modern bank National economy में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वास्तव में, आर्थिक शरीर में बैंक रूधिर-वाहिनियों की भाँति कार्य करते हैं और National economy को स्वस्थ एवं सरल बनाने में अधिकाधिक प्रयत्नशील रहते हैं। आधुनिक युग में बिना एक सुसंगठित banking system के किसी भी देश का आर्थिक विकास संभव नहीं हो सकता।

आज आपने क्या सीखा

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा आर्टिकल वाणिज्यिक या व्यापारिक बैंक क्या है (Commercial Bank kya hai in hindi) और इसके क्या कार्य है? के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी इसके लिए आपको और कहीं जाने की जरूरत नहीं है|

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