Financial Inclusion क्या है? (वित्तीय समावेशन क्या है) नाम सुनकर ही समझ में आ जाता है कि यह पैसों से संबंधित मुद्दा है क्योंकि इसके साथ नाम Financial जुड़ा है परंतु मैं आपको बता दूं कि यह हमारी देश की अर्थव्यवस्था से संबंधित है तो आज हम लोग इस आर्टिकल में जानेंगे कि यह हमारे अर्थव्यवस्था के लिए क्यों जरूरी है और इसका हमारे अर्थव्यवस्था के प्रति क्या योगदान है चलिए समय का बर्बाद ना करते हुए शुरू करते हैं।
वित्तीय समावेशन क्या है? (What is Financial Inclusion in Hindi)
वित्तीय समावेशन समाज के सभी वर्गों के लिए आवश्यक वित्तीय उत्पादों और सेवाओं को पहुचने की प्रक्रिया है। वैसे क्षेत्र जहां Bank नहीं पहुंच सकते, वहां बैंक अपना KIOSK Banking या फिर Retail Banking के माध्यम से बैंकिंग सुविधाओं को प्राप्त करवाता है। यह देश के नागरिकों को Banking System से जोड़ने की प्रक्रिया से संबंधित है।
किसी भी देश के सर्वांगीण विकास के लिए उस देश की वित्तीय व्यवस्था का मजबूत होना अत्यधिक आवश्यक है एवं वित्तीय व्यवस्था तभी मजबूत होगी जब देश का एक-एक नागरिक financial system से जुड़े। Financial Inclusion Meaning in Hindi वित्तीय समावेशन के नाम से भी जाना जाता है।
मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र, जहां हमारे देश की आधे से ज्यादा आबादी निवास करती हैं, उन लोगों को Banking System से जोड़ना। Financial Inclusion के तहत वर्ष 2014 में पीएम जन धन योजना (PMJDY) की शुरुआत की गई थी, जो की वित्तीय समावेशन का बहुत अच्छा उदाहरण है।
वित्तीय समावेशन के उद्देश्य (Objectives of Financial Inclusions)
- वित्तीय समावेशन (Financial inclusion) समाज और अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में मदद करता है। इससे बचत, निवेश में वृद्धि होती है जिससे हमारे देश का आर्थिक विकास को गति मिलती है।
- इससे लोगों को पैसा बचत करने की आदत लगती है मुख्य तक कमजोर वर्ग वालों के लिए जिससे उनकी आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे ठीक होती है।
- बैंकिंग सेवाओं और उत्पादों की उपस्थिति का उद्देश्य बचत की आदत को विकसित करके बैंकों को लाभ प्रदान करना है। वैसे स्थान जहां बैंक नहीं पहुंच पाते उनके लिए यह औपचारिक ऋण के रास्ते भी बनाता है जो परिवार, दोस्तों और साहूकारों पर निर्भर हैं।
- इसकी सहायता से ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोगों को एक जगह से दूसरी जगह तक पैसा भेजने में काफी लाभ मिला जिसमें के इन्हें पहले बहुत ज्यादा मैं के तरीकों से एक जगह से दूसरे जगह तक पैसा भेजना पड़ता था।
- इसके माध्यम से सरकार द्वारा उत्पादों पर Subsidy देने और नगद भुगतान करने के बजाय Account Holder के बैंक खातों में direct benefit transfer (DBT) के माध्यम से सरकारी लाभ हो और Subsidy का पैसा उनके खातों में पहुंचाना।
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वित्तीय समावेशन के लाभ (Advantage of Financial Inclusion)
- इसके अंतर्गत अधिक खाता खुलते हैं, जिस कारण से अधिक पैसा जमा होता है और उन पैसों को Loan लेने वाले इच्छुक व्यक्ति को ऊंची ब्याज दरों पर उधार दिया जाता है जिससे बैंक को मुनाफा प्राप्त होता है।
- इसके अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा ग्राहक बनाए जाते हैं ताकि वह बैंकिंग सुविधाओं का लाभ उठाने के साथ-साथ बैंक के वित्तीय उत्पादों का भी उपभोग करें और बैंकों को मुनाफा प्राप्त हो।
- वित्तीय प्रणाली में छूटे हुए वैसे लोग जो बैंकिंग प्रणाली से जुड़े हुए नहीं थे, उनको जोड़ना। जिनके लिए बैंकिंग प्रणाली सिर्फ एक प्रवेश मात्र है। वह पूंजी बाजार, मुद्रा बाजार जैसे स्थानों पर पैसा लगाते हैं जिससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है
वित्तीय समावेशन के हानि (Disadvantage of Financial Inclusion)
- इसके अंतर्गत खोले गए खातों का रखरखाव बहुत महंगा होता है क्योंकि प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) के अंतर्गत खोले गए खातों में से 58% खातों में कोई लेन-देन नहीं होता, परंतु उसे सुचारू रूप से चलाने के लिए बैंकों को खर्च करनी पड़ता है।
- अधिक ग्राहकों को शामिल करने से बाजार में Competition बढ़ जाता है। जिस कारण से सभी बैंक का अपना कस्टमर बढ़ाने के लिए खाता खोलने लग जाते हैं इसमें से बहुत सारे खाते ऐसे होते हैं जिसमें पर्याप्त रूप से Documents उपलब्ध नहीं होते है।
- साहूकारों को हमेशा से ही मुझे प्याज दर पर पैसा लेन देन के लिए बदनाम किया गया है लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि वह अचानक से कोई मदद पड़ जाने पर पैसा लेकर उनकी मदद के लिए खड़े रहते हैं परंतु बैंक के साथ ऐसा नहीं है।
KIOSK Banking क्या है (KIOSK Banking in Hindi)
KIOSK एक प्रकार का बैंकिंग मॉडल है। जो बिना बैंक विशेष प्रकार की बैंकिंग सेवाएं प्रदान करता है। सामान्य सेवा केंद्रों और Business Correspondents के माध्यम से एक लैपटॉप से बैंकिंग ग्राहकों को विशेष प्रकार की बैंकिंग सेवाएं प्रदान करना।
वित्तीय समावेशन का दायरा बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय ने बैंकों को निर्देश दिया है कि common service centers (CSC) के माध्यम से बैंकिंग का कियोस्क मॉडल को स्थापित किया जाए।
“हमारी वित्तीय समावेशन पहले 4 राज्यों जैसे केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में फैली हुई है। दक्षिण भारतीय बैंक वित्तीय समावेशन योजना के तहत 31/12/2014 को 115 गांवों में है, जिसमें KIOSK Banking का मुख्य स्थान है।”
कियोस्क मॉडल की मुख्य विशेषताएं (Key Features of KIOSK Model)
- KIOSK एप्लिकेशन प्लेटफॉर्म और डेटाबेस स्वतंत्र है।
- Bank Authorization के साथ ऑनलाइन खाता खोलना।
- बैंक सीबीएस में बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के ऑनलाइन लेनदेन।
- समर्थन एईपीएस लेनदेन (ऑन-अस और ऑफ-अस)
- यूआईडी ग्राहकों के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का उपयोग करके कार्ड रहित लेनदेन को सक्षम बनाता है।
शाखा रहित बैंकिंग (Branchless Banking)
- सेवा उनके दरवाजे पर उपलब्ध कराई गई
- बुनियादी बैंकिंग सेवाओं की उपलब्धता
- ग्रामीणों के लिए कोई चालान/वाउचर की आवश्यकता नहीं
- छोटे मूल्य के ऋण आसानी से मिल जाना (Overdraft सुविधा)
- छोटे मूल्य की जमाराशियों का स्वीकार किया जाना।
Financial Inclusion के अंतर्गत दी जाने वाली सेवाएं:
- Cash Deposit
- Cash Withdrawal
- Balance Enquiry
- Mini Statement
- Transfer of funds between accounts
- Self Help Group Accounts
- Aadhaar Enabled Payment System की सुविधा
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वित्तीय समावेशन पर समितियों के सुझाव
वित्तीय समावेशन के इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आजादी के समय से ही RBI एवं Govt. of India प्रयत्नशील रहे है। अब तक इस लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से निम्न कदम उठाये जा चुके हैं:
(i) 1955 से लेकर 1980 तक लगातार Banks के राष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया जारी रही। यह मुख्यतः Banking System को सुरक्षित बनाने के लिए एवं Banks का विस्तार Rural Areas में भी करने के लिए किया गया।
(ii) 1969 में Lead Bank की अवधारणा प्रस्तुत की गई जिसके अंतर्गत वह बैंक जिसकी किसी भी जिले में सर्वाधिक शाखाएं होंगी। उसे वह District Financial Inclusion के उद्देश्य से गोद लेना होगा।
(iii) 1975 में Regional Rural Banks की स्थापना हुई जिनका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के लिए एवं कुटीर उद्योगों की स्थापना के लिए ऋण प्रदान करने का था।
(iv) 1982 में NABARD की स्थापना की गई जो कि एक ऐसा Financial Institution है जो उन Banks एवं वित्तीय संस्थाओं को ऋण प्रदान करता है जो कृषि तथा ग्रामीण विकास के लिए आगे ऋण प्रदान करते हैं।
(v) प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को दिये जाने वाले ऋण को भारतीय एवं विदेशी Banks के ऊपर अनिवार्य रूप से लागू किया गया ताकि समाज के उस वर्ग को भी संस्थागत ऋण की प्राप्ति हो सके जिसे बैंक आम तौर पर ऋण प्रदान नहीं करना चाहते।
(vi) 1998 में Kisan Credit Card की अवधारणा लागू की गयी जिसके माध्यम से किसानों को कम ब्याज दर पर कृषि के उद्देश्य से ऋण प्रदान किया जाता है।
(vii) समाज के निम्न वर्ग को Bank Account प्रदान करने के उद्देश्य से No frills AC / Bank account/ Saving Account Banks ने खोलना प्रारम्भ किया। जिसके अन्तर्गत खाता शून्य जमा राशि पर ही प्राप्त किया जा सकता है।
(viii) बैंक मित्र/बैंक साथी की अवधारणा को लागू किया गया जिसके माध्यम Banks को एवं Banking Services को लोगों के घरों तक पहुंचाया गया।
(ix) खान समिति, रंगराजन समिति एवं नचिकेत मोर समिति की स्थापना की गयी। जिन्होंने समय-समय पर इस पूरी प्रक्रिया को गति प्रदान करने के उद्देश्य से दिये।
(x) 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जन धन योजना का शुभारम्भ। Nachiket More Committee Report Financial Inclusion के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से RBI ने नचिकेत मोर के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया। इस समिति ने अपने सुझाव 2014 में प्रस्तुत किये। इस समिति के अनुसार, आधार को Bank Account प्रदान करने के उद्देश्य से मुख्य पहचान पत्र बनाया जाये। अगले 12 महीनों में देश की 50% आबादी को Banking System से जोड़ा जाये एवं उसके बाद के 12 महीनों में शत प्रतिशत आबादी को Banking System से जोड़ने का प्रयास किया जाये।
इस समिति ने Payment Bank एवं Small Finance एवं Small Finance Bank के रूप में वर्गीकृत Banks की स्थापना का सुझाव दिया। समिति ने यह भी खुलासा किया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 15 मिनट की पैदल दूरी पर बैंक शाखाओं की स्थापना की जाये। परंतु समिति के अनुसार वित्तीय समावेशन के लिए ऐसा कोई भी कदम न उठाया जाये जो देश के वित्तीय स्थायित्व के लिए खतरा है।
Frequently Asked Question
उत्तर: भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख वर्गों की औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच नहीं है। उन्हें बैंकिंग के दायरे में लाना और उन्हें बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करना। Financial Inclusion की पहल 2005-06 से की जा रही थी।
समाज के बहिष्कृत वर्ग को बैंकिंग के दायरे में लाने से बैंकों को वित्तीय मध्यस्थों के रूप में आर्थिक विकास में योगदान करने और विभिन्न परियोजना वित्तपोषण के लिए ऋण आवंटन के माध्यम से सक्षम किया जा सकेगा, जिससे परिवारों, व्यवसायों को उनके आर्थिक लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
उत्तर: ग्रामीण क्षेत्रों में खराब बुनियादी ढांचा और दूरसंचार Connectivity Financial Literacy की कमी बैंकिंग गतिविधियों के लिए आवश्यक दस्तावेजों की उपलब्धता पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारों के बीच सीमित प्रौद्योगिकी अपनाने और जानकारी बैंकिंग सेवाओं की मापनीयता के लिए स्थानीय समर्थन का अभाव।
(1) Nationalization of banks (2) Public sector lending target (3) Zero balance accounts
उत्तर: 28 अगस्त 2014 को
Conclusion
दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा आर्टिकल Financial Inclusion क्या है? (वित्तीय समावेशन क्या है) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी ।
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