आज हम लोग इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे कि Switching Network in Hindi क्या है? जिसमें हम लोग जानेंगे कि स्विच क्या है? इसका नाम तो लगभग आपने सुना ही होगा और देखा भी होगा पर क्या आप जानते हैं कि यह किस प्रकार का नेटवर्किंग डिवाइस है और यह किस प्रकार से काम करता है कितने प्रकार के होते हैं और स्विच की क्या-क्या विशेषताएं के फायदे और नुकसान क्या-क्या है?
Switching Network क्या है?
“Switching Network” का हिंदी में अर्थ होता है “स्विचिंग नेटवर्क” जिसे हम स्विच के नाम से भी जानते हैं। यह एक Network होता है जिसमें परिसंपत्तियों के बीच संचार को स्विच करके किया जाता है। इससे संचार को संवेदनशील बनाया जा सकता है और नेटवर्क की क्षमता बढ़ सकती है।
हम लंबी दूरी पर source से destination तक Transmit किए जाने वाले Data को मध्यवर्ती Switching Nodes के Network की सहायता से ले जाते हैं। Switching Nodes का उद्देश्य ऐसी Switching सुविधा प्रदान करना है, जो डाटा को नोड से नोड तब तक गतिशील करती रहे, जब तक कि वह अपने गंतव्य तक नहीं पहुँच जाए।
प्रत्येक स्टेशन एक नोड से जुड़ा हुआ होता है और नोड्स का सेट Communications Network के रूप में अथवा Switched Communication Networks के रूप में जाना जाता है। किसी स्टेशन से नेटवर्क में प्रवेश करने वाले डाटा को नोड से नोड तक स्विच करते हुए गंतव्य तक ले जाया जाता है।
स्विचिंग नेटवर्क के प्रकार (Types of Switching Network in Hindi)
1. Circuit Switching Networks
2. Message Switching Networks
3. Packet Switching Networks
इन तकनीकों में उनके Nodes द्वारा स्त्रोत से गंतव्य तक Information को एक लिंक से दूसरी तक स्विच किए जाने की विधि का अंतर होता है।
Circuit Switching Networks
Circuit Switching के माध्यम से Communication का अभिप्राय यह है कि दो Stations के मध्य एक समर्पित संचार मार्ग मौजूद है। इस मार्ग में Network Nodes के बीच Links का एक जुड़ा हुआ अनुक्रम उपस्थित होता है। Circuit Switching के माध्यम से संचार तीन भागों में बांट जाता है
- Circuit Establishment: इसके पूर्व कि कोई Signal भेजे जाएँ, स्टेशन से स्टेशन (End-to-End) तक पूरा सर्किट लगाना आवश्यक होता है।
- Data Transfer: अब Information को A से नेटवर्क के द्वारा E तक भेजा जा सकता है। नेटवर्क की प्रकृति के अनुसार डाटा है – A-4 लिंक 4 से होते हुए Internal Switching; 4-5 चैनल, 5 से होते हुए Internal Switching; 5-6 चैनल, 6 से होते हुए Internal Switching 6-E लिंक। सामान्यतः Connection Full Duplex होता है।
- Circuit Disconnect: Data Transfer की कुछ अवधि के उपरांत Connection को हटा लिया जाता है। सामान्यतः ऐसा दो Stations में से एक के Action के द्वारा किया जाता है। समर्पित संसाधनों को Deallocate करने के लिए 4, 5 और 6 Nodes पर Signals प्रसारित किए जाते हैं।
Circuit Switching तकनीकें
इन दिनों Circuit Switching में तीनों तकनीकों में से कोई भी तकनीक उपयोग में लाई जा सकती हैं
1. Space Division Switches
2. Time Division Switches
3. Hybrid (Time Space Switches)
(i) Space Division Switches: Space Division Switches Input और Outputs के मध्य हमें एक ऐसा अलग Physical Connection प्रदान करते हैं, जिससे कि विभिन्न Signals को Space में ही अलग-अलग किया जा सके।
(a) Crossbar Switches: Crossbar Switches को प्रदर्शित करता है। Crossbar Switch Crosspoints के एक Nx N ओर से निर्मित होता है, जो किसी Input को किसी भी उपलब्ध Output से Connect कर सकता है। जब किसी Incoming Line से एक Outgoing Line के लिए कोई Request आती है, Information को Input से Output में प्रवाहित होने में सहायता प्रदान करने के लिए उससे संबंधित Crosspoint को बंद कर दिया जाता है। Crossbar Switch को Non-Blocking कहा जाता है।
(b) Multistage Switches: Multistage Switch तीन चरणों वाले छोटे-छोटे Space Division Switches से निर्मित होता है । N Input को The Input Lines के N / n Group में समूहबद्ध किया जाता है। प्रथम चरण में n Input Lines का प्रत्येक Group एक ऐसे छोटे Switch में प्रविष्ट होता है, जो Crosspoints के एक n x n array से निर्मित होता है। प्रत्येक Input Switches में एक लाईन k मध्यवर्ती चरण के प्रत्येक N/nx N / n Switches से जुड़ी हुई होती है। बदले में प्रत्येक मध्यवर्ती स्विच में तृतीय चरण में एक-एक लाईन प्रत्येक N / n Switches से जोड़ी जाती है। बाद वाले Switches KxN हैं। n Input Lines का प्रत्येक सेट इसके प्रभाव से अंतिम चरण में Switches में से किसी एक के लिए k संभव मार्ग को साझा करता है।
(ii) Time Division Switches: जैसा हम जानते हैं कि Time Division Multiplexing (TDM) किस तरह से एक Single High Speed Line द्वारा multiple physical lines को बदल सकता है। ज्वड में किसी फ्रेम के भीतर एक Slot Single Connection से संबंधित होता है। Time Slot Interchange (TSI) विधि किसी Space Switch में Cross points के स्थान पर Memory में slot की Reading तथा writing को बदल कर देती है।
(iii) Hybrid Time Space/Time– यहाँ हम एक ऐसी Hybrid Switch Design पर विचार कर रहे है, जिसमें Input व Output चरणों मे TSI Switches प्रयुक्त किए जाते हैं तथा मध्यवर्ती चरण में crossbar space switch प्रयुक्त होता है। इन Switches को Time-Space-Time Switches कहा जाता है। Designesकी विधि के प्रथम चरण में Space Division Switch में Input Lines और TSI Switch में Time Slots के मध्य ठीक-ठीक तालमेल स्थापित करने की आवश्यकता होती है। मानाकि हम multi stage space switch के प्रथम चरण में n x k स्विच को n x k TSI स्विच से प्रतिस्थापित कर देते हैं,
Message Switching
message Switching को वर्णनात्मक शब्दावली Store एण्ड Forward द्वारा अधिक जाना जाता है। इस Mechanism में एक Node (आमतौर पर अनेक Disc वाला एक विशेष Computer) Message ग्रहण करता है, यथोचित Roor के Free होने तक इसे stored रखता है और फिर इसे आगे प्रेषित कर देता है।
Store and Forward को एक Switching तकनीक माना जाता है, क्योंकि किसी Transmission के Sender और Receiver के मध्य कोई सीधी लिंक नहीं होती है। अकेले एक मार्ग से Node को Message Deliver किया जाता है, फिर उसे दूसरे मार्ग से उसके Destination के लिए Rerooted कर दिया जाता है।
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Packet Switching Networks क्या है?
1970 के आस-पास लंबी दूरी के Digital Data Architecture Packet Switching के लिए एक नए प्रकार के स्विचिंग की तकनीक ने समय के साथ एक सुविस्तृत की मूलभूत तकनीक सैद्धांतिक रूप से आज भी वैसी ही है, जैसी यह 1970 के आरंभिक समय के Networks में थी तथा लंबी दूरी के Data Communication के लिए Packet Switching कुछ प्रभावशाली तकनीकों में से एक है।
हम देखेंगे कि Packet Switching के अनेकानेक लाभ ( अनुकूलता संसाधनों की साझेदारी, संशक्तता, संवेदनशीलता) एक कीमत के साथ आते हैं। Packet Switching नेटवर्क पैकेट Switching Nodes का एक distributed set होता है। आदर्श रूप से सभी Packet Switching Nodes को संपूर्ण Network की अवस्था का सदैव पता रहता है।
Packet Switching की स्विचिंग तकनीकें
यदि किसी स्टेशन को एक ऐसा Message Packet Switching Networks के माध्यम से प्रेषित करना है, जिसकी लंबाई अधिकतम पैकेट साईज से भी बड़ी है, तो वह मैसेज को Packets में विभाजित कर देता और इन Packets को एक बार में एक करके नेटवर्क पर भेजेगा।
नेटवर्क्स की दो विधियाँ प्रयुक्त की जाती हैं-
(i) Datagram Packet Switching और (ii) Virtual Circuit Packet Switching।
(i) Datagram Packet Switching: इस विधि में प्रत्येक पैकेट के साथ स्वतंत्र रूप से कार्य किया जाता है। इसमें पूर्व में प्रेषित किए गए Packets का कोई उल्लेख नहीं होता है।
डाटाग्राम विधि के लाभ (Advantages of Datagram Process)
1. इस विधि में Call Setup चरण की उपेक्षा की जाती है। इसलिए यदि कोई स्टेशन केवल एक अथवा कुछ ही Packets प्रेषित करना चाहे तो datagram delivery त्वरीत होगा।
2. चूँकि यह अधिक पुरान है, इसलिए यह अधिक लचीला या अनुकूलनीय भी है।
3. datagram delivery built-in से अधिक विश्वसनीय है। Virtual Circuits उपयोग के दौरान यदि कोई नोड फेल होता है, तो उस नोड से होकर गुजरने वाले समस्त Virtual Circuits लुप्त हो जाते हैं। datagram delivery में यदि कोई Node फेल होता है, तो बाद में आने वाले Packets उस नोड को Bypass करते हुए एक Optional root की तलाश कर सकते है।
(ii) वर्चुअल सर्किट : इसमें कोई भी Packets को प्रेषित किए जाने के पहले एक पूर्व planned route निर्मित किया जाता है। उदाहरणार्थ मान लीजिए कि E को प्रेषित किए जाने के लिए A के पास एक अथवा अधिक मैसेज है। वह सर्वप्रथम call request packet के रूप में जाना जाने वाला एक special control packet E से Logical Connection का अनुरोध करते हुए 4 को प्रेषित करता है। Node 4 द्वारा Request और उसके बाद आने वाले सभी Packets को 5 के लिए रूट करने का निर्णय लिया जाता है। यह इस Request और समस्त उतरवर्ती Packets को 6 के लिए रूट करने का निर्णय लेता है।
वर्चुअल सर्किट के लाभ (Advantages of Virtual Circuits)
यदि दो Stations Long term तक डाटा का आदान-प्रदान करना चाहें, तो Virtual Circuits के निम्नलिखित अपने लाभ हैं:
1. सर्वप्रथम, network virtual circuit के साथ ही साथ sequencing और error control से संबंधित सेवाएँ प्रदान कर सकता है। sequencing का अर्थ इस तथ्य से होता है कि चूँकि समस्त Packets एक ही रूट का अनुपालन करते है, अस्तु अपने वास्तविक क्रम में आते हैं। error control सेवा यह सुनिश्चित करती है कि Packets यथोचित Sequence में ही आएँ और वे सभी सर्वशुद्ध रूप में भी आएँ।
स्विचिंग नेटवर्क के लाभ (Advantages of Switching Network)
- नेटवर्क का Bandwidth बढ़ा देता है।
- यह Personal Computer पर Work load बहुत ही कम कर देता है क्योंकि यह केवल एक Device को सूचना भेजने का काम करता है।
- स्विच का उपयोग करने से नेटवर्क को दिखाने में काफी आसानी हो जाती है क्योंकि या Network पर Traffic को बहुत ही कम कर देता है।
स्विचिंग नेटवर्क के नुकसान (Disadvantages of Switching Network)
- नेटवर्क स्विच के द्वारा Network Connectivity को ढूंढ पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
- Multitasking करने के लिए Design और Configuration की बहुत ज्यादा जरूरत होती है।
- Bridge की तुलना में ज्यादा महंगे होते हैं।
X.21 क्या है?
यह सर्वाधिक प्रयुक्त किया जाने वाला protocol standard है। यह Standard एक Host System और एक Packet Switching Network के मध्य Interface दर्शाता है। इस Standard को packet switching networks हेतु Interfacing के लिए तथा ISDN में Packet Switching के लिए प्रयुक्त करने हेतु लगभग पूरी दुनिया में उपयोग किया जाता है। इस standard में Protocol के तीन Label होते है।
1. Physical Level
2. Link Level
3. Packet Level
ये तीनों Label OSI Model की निम्नतम तीन Layers से संबंधिता होते है। Physical Label जुड़े हुए Station (Computer Terminal) और उस Station को Packet Switching Node से जोड़ने वाली Link के मध्य physical interface को संभालता है। Standard User Machines को data terminal equipment (DTE) के रूप में और उस Packet Switching Node को जिससे DTE जुड़ा हुआ होता है, Data Circuit Terminating Equipment (DCE) के रूप में उल्लेखित करता है। X.25 physical layer specification का उपयोग X.21 के रूप में पहचाने जाने वाले Standard में करता है।
पैकेट फॉर्मेट (Packet Format)
X. 25 में प्रयुक्त होने वाले basic packet formats को प्रदर्शित किया गया है। User Data के लिए डाटा को कुछ Maximum Size के Blocks में विभाजित किया जाता है और Data Packet बनाने के लिए प्रत्येक ब्लॉक के साथ 24 Bit, 32 Bit अथवा 56 Bit का Header जोड़ा जाता है। 15 bit sequence number का उपयोग करने वाले virtual circuits के लिए Header 00110000 Value वाले protocol identifier octet से प्रारंभ होता है। हेडर 12 bit virtual circuit number (जिसे 4 बिट ग्रुप नंबर और 8 बिट चैनल नंबर के रूप में व्यक्त किया जाता है) से बना होता है P (S) और P (R) Fields Flow Control और error control के कार्य में Virtual Circuit के आधार पर मदद करती है।
Frequently Asked Questions
उत्तर: Circuit Switched
उत्तर: Packet Switching and Circuit Switching
उत्तर: Network Layer
उत्तर: Routing Table
आज आपने क्या सीखा
मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी यह आर्टिकल स्विच क्या है? (Switching Network in Hindi)। आपको पसंद आई होगी और हमेशा से हमारा यह प्रयास रहा है की पढ़ने वालों को इस बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जा सके और उन्हें किसी भी दूसरे साइट पर जाने की जरूरत ना पड़े। इससे उनके समय की बचत भी होगी और एक ही जगह पर उन्हें सभी प्रकार की जानकारी भी मिल जाएगी।
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