इंटरनेट क्या है | What is Internet in Hindi?

इंटरनेट क्या है? (What is Internet in Hindi) यह नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे दिमाग में तरह-तरह के वेबसाइट के नाम घूमने लग जाते हैं। इसे मुख्यता अंतरजाल कहा जाता है। इंटरनेट में इसका अर्थ होता है कंप्यूटरों का जाल। तो आज हमलोग इस आर्टिकल में इंटरनेट के बारे में जानकारी लेंगे और जानेंगे कि इंटरनेट के लाभ और हानि क्या है और यह किस प्रकार से काम करता तो चलिए शुरू करते है।

Internet, Communication का एक महत्वपूर्ण medium है। इंटरनेट के माध्यम से लाखों व्यक्ति Informations, Thoughts, Sound, Video Clips इत्यादि को Computers के जरिए पूरी दुनिया में एक-दूसरे के साथ शेयर कर सकते हैं। यह विभिन्न आकारों व प्रकारों के नेटवकों से मिलकर बना होता है।

इंटरनेट क्या है (Internet in Hindi) 

इंटरनेट एक विशाल नेटवर्क है जो कि दुनिया के बहुत सारे Computers और Electronic Devices को एक दूसरे से जोड़ने का काम करता है। इंटरनेट से जुड़े एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में डाटा को आसानी से भेजा जा सकता है।

Internet को Computer, Mobile, Smart TV, Gaming Control जैसे कई सारे Devices को Wired Connection के अलावा Wireless Network से भी जोड़ा जा सकता है।

जब दो या दो से अधिक Computer आपस में में जोड़े जाते हैं तो उसे Network कहते हैं। ठीक उसी प्रकार Private School, Colleges, Business, Governments जैसे कई सारे छोटे-छोटे Network होते हैं और इन नेटवर्क को आपस में जोड़ने का काम इंटरनेट करता है इसलिए इंटरनेट को हम नेटवर्कों का नेटवर्क (Network of Networks) भी कहते हैं।

इंटरनेट की खोज किसने की 

इंटरनेट की खोज में बहुत से लोगों का योगदान था। 1957 में शीत युद्ध के समय सबसे पहले Leonard Kleinrock ने अमेरिकी रक्षा विभाग को एक नई तकनीक से लैस करने की योजना बनाई थी। इस योजना के अंतर्गत कई कंप्यूटर्स को आपस में जोड़कर Informations को एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाना था। जिससे कि सैनिकों को जरूरी जानकारी बहुत ही आसानी से प्राप्त हो सके।

सन 1969 में ARPANET (ADVANCE RESEARCH PROJECT AGENCY Network) को बनाया गया जिससे कि किसी भी कंप्यूटर को किसी भी कंप्यूटर से जोड़ा जा सकता था।

सन 1980 का दशक आते-आते इसका नाम इंटरनेट पड़ गया। Vinton Cerf और Robert Kahn ने TCP/IP का आविष्कार किया। इन दोनों ने मिलकर सन 1974 में एक पेपर प्रकाशित किया। जिसका नाम था “The Fathers of the Internet” इस रिसर्च पेपर को पब्लिश करने के कारण ही Vint Cerf को इंटरनेट का जनक कहा जाता है।

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इंटरनेट का फुल फॉर्म

Internet का Full Form Interconnected Network होता है। इसे International Network भी कहते हैं जो बहुत बड़े नेटवर्क का जाल होता है इसलिए इसे “महाजाल” भी कहते हैं। ऐसे बहुत से जगहों पर World Wide Web या Simply The Web भी कहा जाता है।

इंटरनेट पर उपलब्ध Data को Protocol द्वारा नियन्त्रित किया जाता है। TCP/IP द्वारा एक फाइल कई छोटे भागों में फाइल Server द्वारा बाँटा जाता है। जिन्हें Packets कहा जाता है।

इंटरनेट का इतिहास (History of Internet in Hindi)

सन् 1969 में, Los Angeles में University of California तथा University of Utah ने ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) की शुरुआत की । इस Project का मुख्य लक्ष्य विभिन्न College, School तथा अमेरिकी Defence Ministry के कम्प्यूटरों को आपस में Connect करना था। यह दुनिया का पहला Packet Switching Network था।

मध्य 80 के दशक मे, एक और Federal Agency, National Science Foundation ने एक नया उच्च क्षमता वाला नेटवर्क NSFnet बनाया, जो ARPANET से अधिक सक्षम था। NSFnet में केवल यही कमी थी कि यह अपने Network पर केवल Educational Research की ही अनुमति देता था, किसी भी प्रकार के private business की अनुमति नहीं। इसी कारण private organizations, तथा लोगों ने अपने खुद के नेटवर्क का निर्माण करना शुरू कर दिया जिसके बाद में ARPANET तथा NSFnet से जुडकर Internet का निर्माण किया गया।

इंटरनेट के लाभ (Advantages of Internet in Hindi)

इंटरनेट के लाभ निम्नलिखित हैं:

  1. दूसरे व्यक्तियों से आसानी से सम्पर्क कर सकते है।
  2. इसके माध्यम से दुनिया में कहीं भी, किसी से भी सम्पर्क किया जा सकता है।
  3. Internet पर Document को प्रकाशित करने पर पेपर की बचत होती है।
  4. यह कम्पनियों के लिए कीमती संसाधन है। जिस पर वे Business का Advertisement  तथा लेन-देन भी कर सकते हैं।
  5. एक ही जानकारी को कई बार Access करने के बाद उसे पुनः Search करने में कम समय लगता है।

इंटरनेट की हानियाँ (Disadvantages of Internet in Hindi)

इंटरनेट की हानियाँ निम्नलिखित हैं:  

  1. कम्प्यूटर में Virus के लिए सबसे जायदा जिम्मेदार Internet है।
  2. Internet पर भेजे गए Messages को आसानी से चुराया जा सकता है।
  3. बहुत-सी जानकारी जाँची नहीं जाती। वह गलत भी हो सकते है।
  4. Inappropriate Documents/Elements कभी-कभी गलत लोगों (आतंकवादी) द्वारा इस्तेमाल कर लिए जाते हैं।
  5. Cyber Fraud Credit/Debit Card की समस्त जानकारी को चुराकर उसे गलत तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं।

इंटरनेट का उपयोग (Uses of Internet in Hindi)

इंटरनेट से उपयोगकर्ता कई प्रकार की सेवाओं का लाभ उठा सकता है, जैसे कि Electronic Mail, Multimedia Display, Shopping, Real Time Broadcasting इत्यादि। इनमें में कुछ महत्वपूर्ण सेवाएँ इस प्रकार हैं:

(a) चैटिंग (Chatting)

यह बड़े स्तर पर उपयोग होने वाली text based transmission है, जिससे इंटरनेट पर आपस में बातचीत कर सकते हैं। इसके माध्यम से उपयोगकर्ता Picture, Video, Audio इत्यादि भी एक-दूसरे के साथ शेयर कर सकते हैं। उदाहरण- skype, yahoo, messenger इत्यादि।

(b) ई-मेल (Electronic-mail)

ई-मेल के माध्यम से कोई भी User किसी भी अन्य व्यक्ति को Electronic Form में सन्देश भेज सकता है और प्राप्त भी कर सकता है। ई-मेल को भेजने के लिए किसी भी User का E-mail Address होना बहुत आवश्यक है, जोकि विश्व भर में उस E-mail Service पर Unique होता है। ई-मेल में SMTP (Simple Mail Transfer Protocol) का भी इस्तेमाल किया जाता है। इसके अन्तर्गत Web Server पर कुछ Memory दिया जाता है, जिसमें सभी प्रकार के Mail Store होते हैं। E-mail Service का उपयोग User विश्वभर में कहीं से भी कभी भी कर सकता है। User ई-मेल Website पर User Name (जोकि सामान्यतः उसका E-mail Address होता है) व Password की सहायता से Log In कर सकता है और अपनी Profile को Manage कर सकता है। 

E-mail Address में दो भाग होते है – जो एक प्रतीक @ द्वारा अलग होते है। पहला भाग User Name तथा दूसरा भाग Domain Name होता है। उदाहरण के लिए, [email protected]। यहाँ पर hindifly User Name तथा gmail.com डोमेन नेम है। 

(c) वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग (Video Conferencing)

Video Conferencing के माध्यम से कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का Group किसी अन्य व्यक्ति या समूह के साथ दूर होते हुए भी आमने-सामने रहकर बात कर सकते हैं। इस Communication में High Speed Internet Connection की आवश्यकता होती है व इसके साथ एक Camera, Microphone, Video Screen तथा एक Sound System की भी जरूरत होती है।

(d) ई-लर्निंग (E-learning)

इसके अन्तर्गत Computer Based Training, Internet Based Training, Online Education इत्यादि सम्मिलित हैं। जिसमें User को किसी विषय पर आधारित जानकारी को Electronic रूप में प्रदान किया जाता है। इस जानकारी को वह किसी भी Output Medium पर देखकर शिक्षा ग्रहण कर सकता है। यह कम्यूटर या इंटरनेट से ज्ञान को प्राप्त करने का एक माध्यम है।

(e) ई-बैंकिंग (E-banking)

इसके माध्यम से User विश्वभर में कहीं से भी अपने Bank Account को Manage कर सकता है। यह एक Automated System का अच्छा उदाहरण है, जिसमें User (Withdraw, transfer, mobile recharge इत्यादि) के साथ उसका Bank Account भी Manage होता रहता है। E-Banking से किसी भी Electronic Device (PC, Mobile आदि) इत्यादि पर इंटरनेट की सहायता ली जा सकती है। इसके मुख्य उदाहरण हैं- Bill Payment Service, Fund Transfer, Railway Reservation, Shopping इत्यादि।

(1) ई-शॉपिंग (E-shopping)

इसे Online Shopping भी कहते हैं। जिसके माध्यम से User कोई भी सामान; जैसे- Books, Clothing, Household Items, Toys, Hardware, Software तथा Health Insurance इत्यादि को खरीद सकता है। इसमें खरीदे गए सामान की कीमत चुकाने के लिए Cash, Online Delivery व E-Banking का प्रयोग करते हैं। यह विश्वभर में कहीं से भी की जा सकती है।

(g) ई-रिजर्वेशन (E-reservation)

यह किसी भी वेबसाइट पर किसी भी वस्तु या सेवा के लिए स्वयं को या किसी अन्य व्यक्ति को Reserved करने के लिए प्रयुक्त होती है। जैसे- Railway Reservation, Airways, Ticket Booking, Hotel Rooms Booking इत्यादि में। इसकी सहायता से User को Ticket Counter पर खड़े रहकर प्रतीक्षा नहीं करनी होती। इसे इंटरनेट के माध्यम से किसी भी जगह से कर सकते है।

(h) सोशल नेटवर्किंग (Social Networking)

यह इंटरनेट के माध्यम से बना हुआ Social Network होता है। इसके माध्यम से उस सोशल नेटवर्क के अन्तर्गत आने वाला कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से सम्पर्क कर सकता है चाहे वे दोनों कहीं भी हो Social Networking Social sites पर की जा सकती है तथा Communication Text, Pictures, Videos इत्यादि के रूप में भी स्थापित हो सकता है।

कुछ social networking sites इस प्रकार है: Facebook, Myspace इत्यादि।

(i) ई-कॉमर्स (E-commerce)

इसके अन्तर्गत सामानों का लेन-देन, व्यापारिक सम्बन्धों को बनाए रखाना व व्यापारिक जानकारियों को शेयर करना इत्यादि आता है, जिसमें धनराशि का लेन-देन इत्यादि भी सम्मिलित है। दूसरे शब्दों में, यह इंटरनेट से सम्बन्धित व्यापार हैं।

(i) एम-कॉमर्स (M-commerce)

यह किसी भी वस्तु या सामान इत्यादि को Wireless Communication के माध्यम से Buy तथा Sell के लिए प्रयोग होता है। इसमें Wireless Devices, जैसे- Mobile, Tablet इत्यादि का प्रयोग होता है। संक्षेप में, जो कार्य E-commerce के अन्तर्गत होते हैं, वही सब कार्य Mobile इत्यादि पर करने को एम-कॉमर्स कहते हैं।

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इंटरनेट का मालिक कौन है

हर वस्तु का कोई ना कोई मालिक होता है पर बात जब इंटरनेट की आती है कि इंटरनेट का मालिक कौन है या फिर इंटरनेट पर किसका अधिकार है तो इस प्रश्न के उत्तर दो हो सकते हैं।

  1. कोई भी नहीं
  2. बहुत से लोग
  1. कोई नहीं का मतलब है – कि इंटरनेट का कोई भी एक मालिक नहीं है और किसी भी देश कि सरकार या कंपनी को इंटरनेट पर एकाधिकार नहीं कहने का अर्थ है – इंटरनेट पर पूर्ण अधिकार किसी का भी नहीं है।
  1. बहुत से लोगों का अर्थ है – हजारों लोग और कई संगठन इंटरनेट के मालिक हैं क्योंकि इंटरनेट को Use करने के लिए हमें Optical Cable, IP Address, Domain Name, Router, Internet Tower जैसे कई सारी चीजों की जरूरत होती है और इन चीजों के मालिक अलग-अलग हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर “इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों” को हम मालिक कह सकते हैं।

इंटरनेट की विशेषताएं

a) वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web)

वर्ल्ड वाइड वेब (www) विशेष रूप से formatted documents को  Support करने वाले Internet Server की एक प्रणाली है। यह 13 मार्च 1989 को पेश किया गया था। Documents Markup Language HTML में formatted होते हैं तथा दूसरे Documents के लिए Link, साथ ही Graphics, Audio और Video File को Support करते है। user Cradly, Interactive, Multimedia Documents (Graphics, audio, video, animation और text) इत्यादि इसके Special Features हैं।

b) वेब पेज (Web Page)

Web बहुत सारे Computer Documents या Web Pages का Collection है। ये Documents HTML में लिखे जाते हैं तथा Web Browser द्वारा प्रदर्शित किए जाते है। ये दो प्रकार के होते हैं- Static तथा Dynamic। static web page हर बार Access करने पर एक ही matter दिखाते हैं तथा Dynamic Web Page की matter हर बार बदल सकती है।

(c) वेबसाइट (Website)

एक Website Web Pages का Collection होता है, जिसमें सभी Web Page Hyperlink द्वारा एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। किसी भी वेबसाइट का पहला पेज होमपेज कहलाता है। उदाहरणHttp://lete.org इत्यादि।

(d) वेब ब्राउजर (Web Browser)

वेब ब्राउजर एक Application Software है, जिसका प्रयोग वर्ल्ड वाइड वेब Content को ढूंढने, निकालने व प्रदर्शित करने में होता है। ये प्रायः दो प्रकार को होते है

(i) टेक्स्ट वेब ब्राउजर (Text Web Browser)

इस वेब ब्राउजर में Text आधारित सूचना को प्रदर्शित किया जाता है। उदाहरण – Lynx

(ii) ग्राफिकल वेब ब्राउजर (Graphical Web Browser)

यह Text तथा Graphics सूचना दोनों को Support करता है। उदाहरण – Firefox, Chrome, Netscape, Internet Explorer इत्यादि।

(e) वेब सर्वर (Web Server)

यह एक computer program है, जोकि HTML पेजों या फाइलों की जरूरतों को पूरा करता है। web client Users से सम्बन्धित Requested Program है। प्रत्येक Web Server जोकि इंटरनेट से जुड़े होते हैं, का एक Unique Address होता है जिसे IP Address कहते हैं।

उदाहरण- Apache HTTP Server, Internet Information Services इत्यादि।

(1) वेब एड्रेस (Web Address)

इंटरनेट पर Web Address किसी Special Web Page की Location को पहचानता है। Address को URL (Uniform Resource Locator) भी कहते हैं। URL इंटरनेट से जुड़े Host कम्यूटर पर फाइलों के Internet Address को दर्शाते हैं। टिम बर्नर्स ली (Tim Berners lee) ने वर्ष 1991 में पहला URL बनाया, जोकि वर्ल्ड वाइड वेब पर Hyperlinks को प्रकाशित करने में इस्तेमाल होता है।

उदाहरण- “http://www.google.com/services/index.htm” 

http Protocol Identifier 
www World Wide Web 
google.com Domain Name
/services/ Directory
index.htm Webpage 

g) डोमेन नेम (Domain Name)

Domain Network resources का एक समूह है, जिसे User के समूह को allotted किया जाता है। Domain Name इंटरनेट पर जुड़े हुए कम्प्यूटरों को पहचानने व लोकेट करने के काम में आता है। डोमेन नेम हमेशा Unique होना चाहिए। इसमें हमेशा Dot (.) द्वारा अलग किए गए दो या दो से अधिक भाग होते हैं।

उदाहरण-google.com, yahoo.com इत्यादि।

Domain organizations तथा देशों के प्रकार द्वारा व्यवस्थित किए जाते हैं। Domain Name में अन्तिम भाग Organisation या देश के प्रकार को अंकित करता है। उदाहरण के लिए, 

info Informational Organisation
com Commercial Institute
gov  Government
edu  Educational
mil  Military
net  Network Resources 
org  Non-profit Organisation 
in India
an  Australia 
fr  France
nz  New Zealand 
uk   United Kingdom

सामान्यतः, यदि डोमेन नेम के अन्तिम भाग में तीन अक्षर है तो वह संगठन को दर्शाता है तथा दो अक्षर है तो वह देश का दर्शाता है।

(h) डोमेन नेम सिस्टम (Domain Name System)

यह डोमेन नेम को IP Address में Translate करता है। Servers को पहचानने के लिए Domain Name System का प्रयोग होता है। Servers की Addressing, Numbers पर भी आधारित होती है।

उदाहरण- 204.157.54.9 इत्यादि, सभी IP Address हैं।

(i) ब्लॉग्स (Blogs)

यह एक Web Page या Website होती है, जिसमें किसी व्यक्ति विशेष की सलाह, दूसरी Sites के Link नियमित रूप से Record होते हैं। किसी भी सामान्य ब्लॉग में Text, Images व अन्य Blogs, Web Pages या किसी अन्य Topic से सम्बन्धित Media के Link होते हैं, इनमें मुख्य रूप से Textual, Artistic Images, Photographs, Videos, Music इत्यादि सम्मिलित हैं।

(ii) न्यूज़ग्रुप्स (Newsgroups)

यह एक online discussion group होता है, जिसके अन्तर्गत Electronic Bulletin Board System तथा Chat Sessions के द्वारा बातचीत करने की अनुमति प्रदान की जाती है। यह Newsgroups विषयों को उनके पदक्रम में संगठित करने के काम में आता है। जिसमें Newsgroup का पहला अक्षर प्रमुख विषय की श्रेणी को व उपश्रेणियाँ उपविषय द्वारा दर्शायी जाती है।

(k) सर्च इंजन (Search Engine)

सर्च इंजन इंटरनेट पर किसी भी विषय के बारे में सम्बन्धित जानकारियों के लिए प्रयोग होता है। यह एक प्रकार की ऐसी वेबसाइट होती है, जिसके Search Bar में किसी भी Topic को लिखते है, जिसके बाद उससे सम्बन्धित जानकारी हमारे पास आ जाती हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं: google – http://www.google.com, yahoo – http://www.yahoo.com इत्यादि।

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इंटरनेट कनेक्शन के प्रकार 

इंटरनेट एक्सेस के लिए कुछ Internet Connection इस प्रकार है:

1. डायल-अप कनेक्शन (Dial-up Connection)

Dial-up पूर्व उपस्थित Telephone Line की सहायता से इंटरनेट से जुड़ने का एक माध्यम है। जब भी User Dial-up Connection को चलाता है, तो पहले Modem Internet Service Provider (ISP) का फोन नम्बर डायल करता है। जिसे Dial-up Calls को प्राप्त करने के लिए तैयार किया गया है व फिर ISP Connection स्थापित करता है। जिसमें सामान्य रूप से 10 Seconds लगते हैं। सामान्यतः शब्द ISP उन कम्पनियों के लिए प्रयोग किया जाता है। जो Users को Internet Connection प्रदान करती है।

उदाहरण के लिए, कुछ प्रसिद्ध ISP के नाम है- Airtel, MTNL, Vodafone आदि।

2. ब्रॉडबैण्ड कनेक्शन (Broadband Connection)

ब्रॉडबैण्ड का इस्तेमाल हाई स्पीड इंटरनेट Access के लिए होता है। यह इंटरनेट से जुड़ने के लिए टेलीफोन लाइनों को प्रयोग करता है। Broadband Users को Dial-up Connection से तीव्र गति पर इंटरनेट से जुड़ने की सुविधा प्रदान करता है। Broadband में विभिन्न प्रकार की High Speed Transmission Techniques भी सम्मिलित है, जोकि इस प्रकार

(a) डिजिटल सब्स्क्राइबर लाइन (DSL- Digital Subscriber Line)

यह एक लोकप्रिय Broadband Connection है, जिसमें Internet Access Digital Data को Local Telephone Network के तारों द्वारा Transmit किया जाता है। यह डायल सेवा की तरह है, किन्तु उससे अधिक तेज गति से कार्य करता है। इसके लिए DSL Modem की आवश्यकता होती है, जिससे Telephone Line तथा Computer को जोड़ा जाता है।

(b) केबल मॉडम (Cable Modem)

इसके अन्तर्गत Cable Operators, Coaxial Cable के माध्यम से इंटरनेट की सुविधाएँ भी प्रदान करते हैं। इसकी Transmission Speed 1.5 Mbps या इससे भी अधिक हो सकती है।

(c) फाइबर ऑप्टिक (Fiber Optic)

Fiber optic technology electrical signals के रूप में उपस्थित डेटा को Light form में बदल उस प्रकाश को पारदर्शी ग्लास Fiber, जिसका व्यास मनुष्य के बाल के लगभग बराबर होता है, के जरिए Receiver तक भेजता है।

(d) ब्रॉडबैण्ड ऑवर पावर लाइन (Broadband over Power Line)

निम्न तथा माध्यम Voltage के Electric Power Distribution Network पर Broadband Connection की Service को Broadband Over Power Line कहते हैं, यह उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, जहाँ पर पॉवर लाइन के अलावा कोई और माध्यम उपलब्ध नहीं है। उदाहरण- Rural Area इत्यादि।

3. वायरलेस कनेक्शन (Wireless Connection)

Wireless broadband client के स्थान और Service Provider के बीच Radio link का प्रयोग कर घर या व्यापर इत्यादि को इंटरनेट से जोड़ता है। wireless broadband Fixed या Moving होता है। इसे Cable या Modem इत्यादि की आवश्यकता नहीं होती व इसका प्रयोग हम किसी भी क्षेत्र में, जहाँ DSL व Cable इत्यादि नहीं पहुंच सकतें, वहां इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

(a) वायरलैस फिडेलिटी (Wireless Fidelity- WIFi)

यह एक universal wireless तकनीक है, जिसमें radio frequencies को Data Transfer करने में प्रयोग किया जाता है। WiFi Cable या Wires के बिना ही High Speed से इंटरनेट सेवा प्रदान करती है। इसका प्रयोग हम Restaurants, Coffee Shops, Hotels, Airports, Conventions, Centers और City Parks इत्यादि में कर सकते हैं।

(b) वर्ल्ड वाइड इण्टरऑपरेबिलिटी फॉर माइक्रोवेव एक्सेस (Wimax – Worldwide Interoperability for Microwave Access)

Wimax Systems Residential तथा Enterprise Customers को इंटरनेट की सेवाएं प्रदान करने के लिए बनाई गई है। यह Wireless Max तकनीक पर आधारित है।

Wimax मुख्यतः ज्यादा दूर व ज्यादा Users के लिए WiFi की भाँति होता है, किन्तु उससे भी ज्यादा गति से इंटरनेट सुविधा प्रदान करने के लिए प्रयुक्त होता है। Wimax को Wimax forum ने बनाया था, जिसकी स्थापना जून, 2001 में हुई थी।

(c) मोबाइल वायरलेस ब्रॉडबैण्ड सर्विसेज (Mobile Wireless Broadband Services)

Broadband Services Mobile व Telephone Service Provider से भी उपलब्ध है। इस प्रकार की सेवाएँ सामान्य रूप से Mobile Users के लिए उचित है। इससे प्राप्त होने वाली Speed बहुत कम होती है।

(d) सेटेलाइट (Satelite)

Satellite, Telephone तथा Television Services के लिए आवश्यक लिंक उपलब्ध कराते हैं। इसके साथ broadband services में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।

Intranet क्या है

एक संगठन के भीतर Personal Computer Networks का समूह Intranet कहलाता है। intranet डेटा Share करने की क्षमता तथा संगठन के कर्मचारियों के समय ज्ञान को बेहतर बनाने के लिए Network Technologies के प्रयोग द्वारा व्यक्तियों या व्यक्तियों के समूह के बीच संचार की सुविधा को आसान करता है।

Extranet क्या है

Extranet एक Personal Network है जो सुरक्षित रूप से Vendors, Partners, Customers या अन्य व्यवसायों के साथ व्यापार की जानकारी साझा करने के लिए Internet Technologies तथा Public Telecommunication System का उपयोग करता है। Extranet को एक संगठन के Intranet के रुप में भी देखा जा सकता है जो संगठन से बाहर के Users के लिए बढ़ा दिया गया हो। 

ISDN क्या है (What is ISDN in Hindi)

ISDN का Full Form Integrated Services Digital Network होता है। वह एक Digital telephone service है, जिसका उपयोग Voice data and control notifications इत्यादि को single telephone line पर transmit करने में किया जाता है। इसका प्रयोग व्यापारिक उद्देश्यों के लिए होता है।

Interconnecting Protocols क्या है

Protocol नियमों का वह सेट है जोकि Data Communication की देख-रेख करता है। उसे Interconnecting Protocol कहते है। कुछ Protocol इस प्रकार है:

(a) TCP/IP (Transmission Control Protocol/Internet Protocol): TCP/IP, end to end Connectivity (जिसमें डेटा की Formatting, addressing transmission के Routes और इसे प्राप्त करने की विधि इत्यादि सम्मिलित हैं) प्रदान करता है। इस प्रोटोकॉल के मुख्य रूप से दो भाग हैं: (i) TCP (ii) IP

(i) TCP: यह Message को Sender के पास ही Packets के एक सेट में बदल देता है। जिसे Receiver के पास पुनः इकट्ठा कर Message को वापस हासिल कर लिया जाता है। इसे Connection Oriented Protocol भी कहते हैं।

(ii) IP: यह विभिन्न कम्प्यूटरों को नेटवर्क स्थापित करके आपस में Communication करने की अनुमति प्रदान करता है। IP Network पर Packet भेजने का कार्य सँभालती है। यह अनेक Standard के आधार पर Packets के Address को बनाए रखता है। प्रत्येक IP Packet में Source तथा Destination का पता होता है।

(b) फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (File Transfer Protocol-FTP): Protocol के द्वारा इंटरनेट Users अपने कम्प्यूटरों से फाइलों को विभिन्न Websites पर Upload कर सकते हैं या वेबसाइट से अपने PC में Download कर सकते हैं। FTP Software के उदाहरण हैं- Filezilla, Kasablanca, ftp, Konqueror इत्यादि।

(c) हाइपरटैक्स ट्रांसफर प्रोटोकॉल (Hypertext Transfer Protocol): यह इस बात को सुनिश्चित करता है कि Messages को किसी प्रकार Format व Transmit किया जाता है व विभिन्न Commands के उत्तर में web Server तथा Browser क्या Action लेंगे। HTTP एक Stateless Protocol है, क्योंकि इसमें प्रत्येक Information Independent होकर काम करते है।

(d) हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज (Hypertext Markup Language): इसका प्रयोग Web Pages के Design बनाने में इस्तेमाल होता है। Markup language , Markup (< – – >) tag का एक सेट होता है। जो Web Browser को यह बताता है कि Web Page पर Words, Images इत्यादि को Users के लिए किस प्रकार दिखाता है।

(e) टेलनेट प्रोटोकॉल (Telnet Protocol): Telnet session valid username तथा Password को enter करने पर शुरू हो जाता है। यह एक Network Protocol है, जिसमें Virtual Connection का इस्तेमाल करके bidirectional text oriented communication को Local Area Network पर प्रदान किया जाता है।

(1) यूजनेट प्रोटोकॉल (Usenet Protocol): इसके अन्तर्गत कोई Central Server या administrator नहीं होता है। इस सेवा के तहत इंटरनेट Users का एक Group किसी भी विशेष विषय पर अपने विचार/सलाह आदि का आपस में आदान-प्रदान कर सकते हैं।

(g) पॉइण्ट-टू-पॉइण्ट प्रोटोकॉल (Point to Point Protocol): यह एक Dial Account हैं जिसमें कम्प्यूटर को इंटरनेट पर सीधे जोड़ा जाता है। इस आकार के Connection में एक Modem की आवश्यकता होती है, जिसमें data को 9600 Bits/Second से भेजा जाता है।

(h) वायरलैस एप्लीकेशन प्रोटोकॉल (Wireless Application Protocol): WAP Browser, Mobile Devices में प्रयोग होने वाले Web Browser है। यह Protocol Web Browser को सेवाएं प्रदान करता है।

(i) वॉयस ऑवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (Voice Over Internet Protocol): यह IP Networks पर voice communication का Distribution करने में प्रयोग होती है, जैसे- IP Calls 

इन्हें भी जानें

> Googling – Google Search Engine पर किसी Data को Search करना गूगलिंग कहलाती है।
> POP3 – यह ई-मेल को निकालने के लिए प्रयोग होने वाला Protocol है। Mouse Potato – वह व्यक्ति, जो अपना ज्यादातर समय कम्प्यूटर पर ही बिताता है उसे माउस पॉटेटो कहते हैं। इन्हें Comp head के नाम से भी जाना जाता है।
> PHP – यह एक Coding Language है, जोकि international Web pages को बनाने के काम आती है। इसका नाम hypertext preprocessor है। 
> Cookie – कूकी एक छोटा सन्देश है जो Web Server द्वारा Web Browser को दिया जाता है। Browser सन्देश को Text File में Store करता है।
> Junk Mail – इच्छा के विरुद्ध प्राप्त हुए E-mail को Junk E-mail कहते हैं।
Frequently Asked Questions
इंटरनेट की शुरुआत कब हुई?

उत्तर: Internet की शुरुआत जनवरी 1, 1983 से हुई।

भारत में इंटरनेट कब शुरू हुआ था?

उत्तर: भारत में Internet की शुरुआत 14 अगस्त 1995 को किया गया।

भारत में इंटरनेट सर्वप्रथम किसके द्वारा चालू किया गया?

उत्तर: State-Owned Videsh Sanchar Nigam Limited (VSNL) के द्वारा।

वेबसाइट के पहले पेज को क्या कहते हैं?

उत्तर: Home Page

WWW का Full Form क्या होता है?

उत्तर: World Wide Web

WWW की खोज किसने की थी?

उत्तर: Tim Berners Lee

Youtube इंटरनेट पर कब आया था?

उत्तर: 2005 में

इंटरनेट पर कंप्यूटर की पहचान कैसे होती है?

उत्तर: IP Address से

डोमेन नेम क्या है? 

उत्तर: एक Web Address

पहली वेबसाइट अस्तित्व में कब आया था?

उत्तर: 1991 में

वर्ल्ड वाइड वेब कब शुरू हुआ था?

उत्तर: 1991 में

इंटरनेट पर किए जाने वाले कार्य को क्या कहते हैं?

उत्तर: Surfing

इंटरनेट की Speed को मापने की इकाई क्या है?

उत्तर: इंटरनेट की Speed को मापने की इकाई Megabits Per Second है।

आज आपने क्या सीखा?

मुझे उम्मीद है कि आप कोई मेरी आर्टिकल इंटरनेट क्या है? (What is Internet in Hindi) जरूर पसंद आई होगी। मेरी हमेशा से यह कोशिश रहती है कि Readers को इंटरनेट की परिभाषा के विषय में पूरी जानकारी दी जाए। जिससे उन्हें किसी दूसरे Sites या इंटरनेट में उस Article के बारे में खोजने की जरूरत ना हो।

इससे आपके समय की बचत भी होगी और एक ही जगह पर सभी Information आपको मिल जाएंगे। यदि आपके मन में इस आर्टिकल को लेकर कोई Doubt है या आप चाहते हैं कि इसमें कुछ सुधार होना चाहिए तो आप हमें Comment करके बता सकते हैं।

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