Software क्या है और इसके कितने प्रकार हैं?

आज हम लोग Computer Software के बारे में जानेंगे | जिसमें हम लोग जानेंगे की Software क्या है और इसके कितने प्रकार हैं? यह एक ऐसा topic है जब भी Computer की बात आती है तो सबसे पहले ये सवाल आता है की software चाहे वो Computer के हो या Mobile के बिना इसके कोई भी काम नही किया जा सकता बिना Software के ये Device किसी काम के नहीं है, इसके बारे में आज विस्तार से हमलोग इस Article में जानेंगे |

एक Computer System अनेक इकाइयों का एक समूह होता है, जो एक या अनेक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु बनाया जाता है। उदाहरणार्थ- प्रयोगशाला भी एक System है, जिसका लक्ष्य विविध प्रकार के Experiment करना है तथा जिसकी अनेक इकाइयाँ Scientific researcher और Scientist equipment इत्यादि हैं। इसी प्रकार Computer भी एक System है, जिसका लक्ष्य different प्रकार के कार्य करना है तथा जिसकी Units Hardware तथा Software हैं। 

Software क्या हैं? What is Software in Hindi? 

Software, Programming Language में लिखे गए Instructions अर्थात् Programmes की वह Chain है, जो Computer System के कार्यों को Control करता है तथा Computer के विभिन्न Hardwares के बीच Coordination स्थापित करता है, ताकि किसी विशेष कार्य को पूरा किया जा सके। इसका Primary aim Data को Information में परिवर्तित करना है। Software के Instructions के अनुसार ही Hardware कार्य करता है। इसे प्रोग्रामों का समूह (Set of programs) भी कहते हैं। 

या ,

Computers में सैंकड़ो की संख्या में Program होते हैं, जो अलग-अलग कार्यों के लिए लिखे या बनाए जाते हैं। इन सभी Programs के समूह को सम्मिलित रूप से Software कहा जाता है। 

Software के प्रकार (Types of Software) 

Software को उसके कार्यों तथा संरचना के आधार पर दो प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है :-

  1. System Software
  2. Application Software

System Software क्या हैं

जो Program Computer को चलाने, उसकोControl करने, उसके विभिन्न भागों की देखभाल करने तथा उसकी सभी Capacities का अच्छे से उपयोग करने के लिए लिखे जाते हैं, उनको सम्मिलित रूप से System Software कहा जाता है। सामान्यतः System Software Computer के निर्माता द्वारा ही उपलब्ध कराया जाता है। वैसे यह बाद में बाजार से भी ख़रीदा जा सकता है। Computer से हमारा Contact या conversation System Software के माध्यम से ही हो पाता है।

या, 

Computer हमेशा System Software के नियंत्रण में ही रहता है, जिसकी वजह से हम सीधे Computer से अपना सम्पर्क नहीं बना सकते। वास्तव में System Software के बिना Computer से सीधा सम्पर्क नामुमकिन है, इसलिए System Software उपयोगकर्ता की सुविधा के लिए ही बनाया जाता है। System Software से हमें बहुत सुविधा हो जाती है, क्योंकि वह Computer को अपने नियंत्रण में लेकर हमारे द्वारा बताए गए कार्यों को कराने तथा Programs का सही-सही पालन करने के दायित्व अपने ऊपर ले लेता है। System Software में वे Program शामिल होते हैं, जो Computer System को Control करते हैं और उसके विभिन्न भागों के बीच उचित तालमेल बनाकर कार्य कराते हैं। 

कार्यों के आधार पर System Software को दो भागों में बाँटा गया है :- System Management Program और Developing Software

> Input Device क्या है और इसके  कितने प्रकार है?

> Output Device क्या है और इसके प्रकार

> Computer Architecture क्या है और इसके प्रकार हिंदी में

(1) System Management Program

ये वे Program होते हैं, जो System का Management करने के काम आते हैं। इन Programs का प्रमुख कार्य Input Output तथा Memory Devices और Processor के विभिन्न कार्यों का Management करना है। Operating System, Devices Drivers and System Utility, System Management Programs के प्रमुख उदाहरण हैं। 

(a) Operating System

इसमें वे Program शामिल होते हैं जो Computer के विभिन्न अवयवों के कार्यों को Control करते हैं, उनमें Coordination स्थापित करते हैं तथा उन्हें Manage करते हैं। इसका प्रमुख कार्य User तथा Hardware के मध्य एक Coordination स्थापित करना है। Operating System कुछ विशेष Programs का ऐसा व्यवस्थित समूह है, जो किसी Computer के संपूर्ण क्रियाकलापों को Control रखता है। यह Computer के साधनों के उपयोग पर नजर रखने और उन्हें व्यवस्थित करने में हमारी सहायता करता है।

Operating System आवश्यक होने पर अन्य Programs को चालू करता है, विशेष सेवाएँ देने वाले Programs का Machine Language में Translate करता है और उपयोगकर्ताओं की इच्छा के अनुसार Output निकालने के लिए Data का Management करता है। वास्तव में यह Programs को कार्य करने के लिए एक आधार उपलब्ध कराता है। उदाहरण MS DOS, WINDOWS XP/2000/98, UNIX, LINUX इत्यादि Operating System के कुछ उदाहरण हैं। 

Operating System के कार्य (Functions of Operating System) 

  1. Computer तथा उसके User के बीच Communication स्थापित करना। 
  1. Computer के सभी उपकरणों को नियन्त्रण में रखना तथा उनसे काम लेना।
  1. User द्वारा दिए Programs का पालन कराना। 
  1. सभी Programs के लिए आवश्यक साधन (Memory, CPU, Printer आदि) उपलब्ध कराना। 
  1. ऊपर बताए गए कार्यों में सहायक, दूसरे छोटे-छोटे कार्य करना या उनकी व्यवस्था करना। 

(b) Device Driver

ये एक विशेष प्रकार का Software होता है, जो किसी Device के Operation को समझाता है। ये Software किसी Device तथा User के मध्य Interface का कार्य करते हैं। किसी भी Device को सुचारु रूप से चलाने के लिए चाहे वो Printer, mouse, monitor or keyboard ही हो, उसके साथ एक Driver Program जुड़ा होता है। यह Operating System के Commands को Computer के विभिन्न भागों के लिए उनकी भाषा में परिवर्तित करता है। Device Drivers instructions का ऐसा समूह होता है जो हमारे Computer का परिचय उससे जुड़ने वाले Hardware से करवाते हैं। 

Utility Software क्या हैं

ये Program Computer के रख-रखाव से सम्बन्धित कार्य करते हैं। ये Programs Computer के कार्यों को सरल बनाने, उसे Error से दूर रखने तथा System के विभिन्न Security Works के लिए बनाए जाते हैं। Utility Program कई ऐसे कार्य करते हैं, जो Computer का उपयोग करते समय हमें कराने पड़ते हैं। उदाहरण के लिए, कोई Utility Program हमारी Files का Backup किसी External Storage पर लेने का कार्य कर सकता है। ये System Software के अनिवार्य भाग नहीं होते, परन्तु सामान्यतः उसके साथ ही आते हैं और Computer के निर्माता द्वारा ही उपलब्ध कराए जाते  हैं । 

कुछ Utility Software निम्न हैं :-

(a) Disk Compression 

ये Hard disc पर उपस्थित Information पर दबाव डालकर उसे Compressed कर देता है, ताकि Hard disc पर अधिक-से-अधिक Information स्टोर की जा सके। यह Utilitie स्वयं अपना कार्य करती रहती है तथा जरूरी नहीं कि उपयोगकर्ता को इसकी उपस्थिति की जानकारी हो। 

(b) Disk Fragmenter

यह Computer की Hard disc पर विभिन्न जगहों पर बिखरी हुई Files को खोजकर उन्हें एक स्थान पर लाता है। इसका प्रयोग Files तथा Hard disc की खाली पड़ी जगह को व्यवस्थित करने में होता है। 

(c) Backup Utilities

यह Computer की Disc पर उपस्थित सारी Information की एक कॉपी रखता है तथा जरूरत पड़ने पर कुछ जरूरी Files या पूरी Hard disc के Data को Restore कर देता है। 

(d) Disk Cleaners 

ये उन Files को ढूँढ कर Delete करता है, जिनका बहुत समय से उपयोग नहीं हुआ है। इस प्रकार ये Computer की गति को भी Fast करता है।

(e) Anti-virus Scanners and Removers 

ये ऐसे Utility Programs है, जिनका प्रयोग Computer के Virus ढूंढने और उन्हें Delete करने में होता है। 

Application Software क्या हैं 

Application Software उन Programs को कहा जाता है, जो हमारा वास्तविक कार्य कराने के लिए लिखे जाते हैं, जैसे- कार्यालय के कर्मचारियों के वेतन की गणना करना, सभी लेन-देन तथा Account का हिसाब-किताब रखना, विभिन्न प्रकार की रिपोर्ट छापना, Stock की स्थिति का विवरण देना, पत्र-दस्तावेज़ तैयार करना इत्यादि। Computer वास्तव में इन्हीं कार्यों के लिए खरीदे या बनाए जाते हैं। 

ये कार्य हर Company या User के लिए अलग-अलग प्रकार के होते हैं, इसलिए हमारी आवश्यकता के अनुसार इनके लिए Program हमारे द्वारा नियुक्त Program द्वारा लिखे जाते हैं। हालाँकि आजकल ऐसे Program सामान्य तौर पर सबके लिए एक जैसे लिखे हुए भी आते हैं, जिन्हें Readymade Software या Package कहा जाता है, जैसे-MS-Word, MS-Excel, Tally, Corel Draw, Pagemaker, Photoshop आदि। 

सामान्यतः Application Software दो प्रकार के होते हैं :-

(i) General Purpose Software 

Programs का वह Group, जिन्हें User अपनी आवश्यकतानुसार अपने सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग में लाते हैं, General Purpose Software कहलाते हैं | उदाहरणार्थ- Graphics software। जिसके प्रयोग द्वारा उपयोगकर्ता निर्मित Data का Graphic graphics presentation करता है।

ये Software Special functions से सम्बन्धित होते हैं, परन्तु इनका उद्देश्य केवल Normal work करने के लिए होता है। जिसके कारण ये Software लगभग हर क्षेत्र, हर Organization तथा office में दैनिक रूप से उपयोग में लाए जाते हैं।

उदाहरण के लिए Spreadsheet, Database Management System, Graphics Software, Word Processing, Corel Draw, Paint, MS Power point  

(a) Word Processing Software

Word Processor एक विशेष प्रकार का Software है, जिसकी सहायता से Text या Document को संचालित किया जाता है। यह Software Document Preparation System के नाम से भी जाना जाता है। यह Software Print होने वाले मैटीरियल की Composition, Editing, Formatting और Printing आदि के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

इस Software में बनाए गए Documents को बनाकर उन्हें भविष्य में उपयोग करने के लिए Save कर दिया जाता है। तथा भविष्य में भी इन Documents में बदलाव किया जा सकता है। Word Processing Software, आज के समय में सर्वाधिक प्रयोग होने वाला Software है। उदाहरण के लिए Microsoft Word, Word Perfect (केवल Windows के लिए), Appleworks (केवल Apple के लिए), Openoffice Word आदि। 

(b) Electronic Spreadsheets 

इस Software के द्वारा उपयोगकर्ता अपने Data को ‘Row’ तथा ‘Column’ के रूप में व्यवस्थित कर सकते हैं। ये Row और Column सामूहिक रूप से Spreadsheets कहलाते हैं। इन Softwares में अधिकतर Spreadsheets बनाने, उन्हें Save, Edit और Format करने के Feature होते हैं। उदाहरण के लिए Microsoft Excel, Corel Quateron Pro, Lotus 1-2-3 आदि। 

(c) Database Management System 

Organised Data का ऐसा Collection, जिसमें जरूरत पड़ने पर Data को Access, Retrieve तथा Format किया जा सके, Database Management System कहलाता है। इस Software का कार्य Database को Create, Access और Manage करना होता है। इस Software का प्रयोग करके Database में Data को जोड़ा जा सकता है, सुधारा जा सकता है और Delete किया जा सकता है। साथ-ही-साथ Data को Sort and Retrieve भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए Microsoft Axis, Corel Paradox, Lotus Approach आदि। 

(d) Desktop Publishing Software 

इन Softwares का प्रयोग Graphic डिजाइनरों द्वारा किया जाता है। इन Softwares का प्रयोग Desktop Printing तथा On Screen Electronic Publishing के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए Quarkxpress, Adobe Pagemaker, 3B2, Corel Draw आदि। 

(e) Graphics Software 

ये Software Computer पर पड़ी इमेज में बदलाव करने और उन्हें सुन्दर बनाने की अनुमति देते हैं। इन Softwares के द्वारा Images को Retouch, Colour adjust, Enhance Shadow व Glow जैसे विशेष इफैक्ट्स दिए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए Adobe PhotoShop, Pizap आदि|

(f) Multimedia Software 

Text, Audio, Video, Images तथा Animation आदि के Combination को Multimedia कहते हैं। वे Software जो ये सारी सुविधा प्रदान करते हैं वह Multimedia Software कहलाते हैं। 

> Commercial Paper और Certificate of Deposit में क्या अंतर है?

> Liquidity Adjustment Facility क्या है?

> Endorsement क्या है और इसके कितने प्रकार होते है?

Presentation Software क्या हैं

Presentation का अर्थ है अपने Thoughts, messages तथा other information को एक ऐसे सरल रूप में किसी ग्रुप के सामने प्रस्तुत करना, जिससे उस ग्रुप को वह Information आसानी से समझ आ सके। Presentation Software इसी उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जाता है जो सूचना को Slide के रूप में प्रदर्शित करता है। 

Presentation Software तीन मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं :-

  • यह एक Text Editor प्रदान करता है जो Text को Insert तथा Format करने की अनुमति देता है। 
  • Graphic चित्रों को Insert तथा अपने हिसाब से बदलने की सुविधा प्रदान करता है। 
  • सामग्री को प्रदर्शित करने के लिए एक Slide-Show प्रणाली प्रदान करता है। 
  • इस Software का प्रयोग करके उपयोगकर्ता अपनी Presentation को अधिक आकर्षक बना सकता है। 

उदहारण के लिए Microsoft PowerPoint, Corel Presentations इत्यादि। 

(ii) Specific Purpose Software 

ये Software किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति हेतु बनाए जाते हैं। इस प्रकार के Software का अधिकांशतः केवल एक उद्देश्य होता है। सामान्य रूप से उपयोग किए जाने वाले कुछ Specific Purpose Software निम्न हैं :- 

(a) Inventory Management System and Purchasing System 

इस प्रकार के Software अधिकतर जनरल स्टोरर्स या ऐसे संस्थानों में उपयोग किए जाते हैं, जिनमें Physical Resources की आवश्यकता होती है। 

किसी Stock में उपस्थित Goods and Material की सूची को Inventory कहते हैं। 

(b) Payroll Management System

आधुनिक समय में लगभग प्रत्येक संस्थान के द्वारा अपने कर्मचारियों के वेतन तथा अन्य भत्तो का हिसाब रखने के लिए इस Software का प्रयोग किया जाता है। यह Software कर्मचारियों के वेतन, भत्ते इत्यादि का हिसाब-किताब रखता है।

(c) Hotel Management System 

होटलों के विभिन्न कार्यों को व्यवस्थित करना ही Hotel Management कहलाता है। इसके अन्तगर्त Marketing, Housekeeping, Billing, Administration जैसे कार्य आते है। 

(d) Reservation System 

Reservation System या Central Reservation System एक ऐसा Computerise System है, जिसके प्रयोग से उपयोगकर्ता ट्रेन या वायु यातायात के बारे में विभिन्न जानकारी प्राप्त कर सकता है। इसके अतिरिक्त इस Software के द्वारा ट्रेन या हवाई जहाज़ आदि में उपलब्ध सीटों, Births या टिकटों के बारे में विभिन्न जानकारियाँ प्राप्त की जी सकती है। 

(e) Report Card Generator 

इस प्रकार के Softwares का प्रयोग विभिन्न स्कूलों या कॉलेजों के Examination विभाग द्वारा विद्यार्थियों के Results तैयार करने में किया जाता है। ये Software विभिन्न Mathematical Calculations करता है और जाँच करता है, कि Students अपनी कक्षा की परीक्षा में पास हुआ या फेल। 

(f) Accounting Software 

ये Software एक ऐसा Application Software है,जो विभिन्न खातों के लेन-देन का लेखा-जोखा रखता है। यह Software लेखांकन (Accounting) की जानकारियाँ रखता है। लेखांकन Software कई प्रकार के होते हैं। 

(i) Accounts Payable Software

(ii) Bank Reconciliation Software

(iii) Budget Management Software 

g) Billing System 

ये एक प्रकार का Software है। जो Bills की प्रक्रिया को पूरा करता है। ये उन वस्तुओं तथा सेवाओं (Services) के मूल्य की जाँच करता है, जो किसी ग्राहक को प्रदान किए जाते है 

System एवं Application Software में अन्तर 

System SoftwareApplication Software
>> Computer System के लिए System Software होना अति आवश्यक है।
>> System Software को विकसित करना अधिक जटिल होता है।
>> यह Hardware को Operate कर Application को रन करता है।
>> System Software को Customise नहीं किया जा सकता।
>> System Software महँगे होते हैं।
>> Computer System के लिए Application Software का होना आवश्यक नहीं है।
>> Application Software को विकसित करना जटिल नहीं होता।
>> यह प्रयोग कर्ता द्वारा दिए गए कार्य को ही करता है।
>> Application Software को Customise किया जा सकता है।
>> Application Software सस्ते होते हैं। 

Programming Languages क्या हैं 

Computer एक Machine है तथा हमारी सामान्य बोलचाल की भाषाओं मे लिखे | Programs को नहीं समझ सकता। इसलिए Computer के लिए विशेष प्रकार की भाषाओं में Program लिखे जाते हैं। इन भाषाओं को Programming Languages कहते हैं। इन भाषाओं की अपनी एक अलग व्याकरण (Grammar) होती है और Program लिखते समय उनके व्याकरण का पालन करना आवश्यक है। आजकल ऐसी सैकड़ों भाषाएँ प्रचलन में हैं।

ये भाषाएँ Computer और Programmer के बीच Contact या communication बनाती है। Computer उनके माध्यम से दिए गए instructions के समझकर उनके अनुसार कार्य करता है। ये instruction इस प्रकार दिए जाते हैं, कि उनका क्रमशः पालन करने से कोई कार्य पूरा हो जाए।

Programming language को तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है-

(i) Low Level Languages

(ii) Middle Level Languages और

(iii) High Level Languages

Low Level Languages 

Low Level Languages Computer की Internal procedure के अनुसार बनाई जाती है तथा ऐसी languages में लिखे गए Programs के पालन करने की गति अधिक होती है, क्योंकि Computer उसके instructions का सीधे ही पालन कर सकता है। इनके दो प्रमुख उदाहरण हैं:- Machine language तथा Assembly language

(a) Machine Languages 

ये भाषा केवल Binary Digit (0 या 1) से बनी होती है। प्रत्येक Computer के लिए उसकी अलग Machine language होती है। machine language का प्रयोग first generation के Computers में किया जाता था तथा इनमें त्रुटियों का पता लगाना एवं उन्हें ठीक करना लगभग असंभव होता है। 

(b) Assembly Languages 

ये भाषाएँ पूरी तरह Machine languages पर आधारित होती है, परन्तु इनमें 0 से 1 की chains के स्थान पर अंग्रेजी के अक्षरों और कुछ गिने चुने शब्दों को Code के रूप में प्रयोग किया जाता है। इन भाषाओं में लिखे गए Programs में Error का पता लगाना एवं उन्हें ठीक करना सरल होता है। 

Medium Level Languages

ये Language low level तथा High level languages के मध्य Bridge का कार्य करती है। C भाषा को Medium Level Languages कहा जाता है, क्योंकि इसमें high level तथा low level दोनों languages के गुण है। 

High Level Languages 

ये Languages Computer की Internal procedure पर आधारित नहीं होती है। इन Languages में English के कुछ चुने हुए शब्दों और साधारण गणित में प्रयोग किए जाने वाले Symbols का प्रयोग किया जाता है। इनमें Errors का पता लगाना और उन्हें ठीक करना सरल होता है, किंतु इन Languages में लिखे Programmers को machine language में Compiler या Interpreter के द्वारा Translated कराया जाना आवश्यक होता है।

Linker

जब वास्तविक भाषा में लिखे Program को Machine language में Translate किया जाता है, तो इस प्रकार प्राप्त होने वाले Output को Object Program या Object File कहा जाता है। जिसके बाद Linker नामक Program सभी Object file को मिलाकर एक वास्तविक Executable File बना देता है। 

Loader

Loader एक प्रकार का System Software है, जो किसी Executable Program को Main memory में load करने का कार्य करता है। यह एक instructions की Series होती है, जो Program को Hard disc या Floppy से memory में भेजती है। ये Operating System का वह हिस्सा है, जो Disc पर पड़ी Executable File को Main memory पर load करता है और इसका Execution शुरू करता है।

कुछ उच्च स्तरीय भाषाएँ तथा उनके अनुप्रयोग क्षेत्र (Some High Level Languages & Their Application Areas)

भाषा (Language)वर्ष(Year)डवलपर (Developer)अनुप्रयोग क्षेत्र (Application Area)प्रकृति(Nature)
FORTRAN (Formula Translation)1957Programs के एक समूह ने बेल प्रयोगशाला में विकसित की।गणित के क्षेत्र के लिए (विशेष कर Calculation के लिए)Compiled
ALGOL (AlgorithmicLanguage)1958यूरोपियन तथा अमेरिकी Computer वैज्ञानिकों ने सामूहिक रूप सेविकसित कीScientific application के लिएCompiled
LISP (List Processing)1958John mccarthy ने MIT Institute में विकसित कीArtificial Intelligence के क्षेत्र मेंCompiled और Interpreted
COBOL (Common Business OrientedLanguage)1959Grace hopper ने विकसित कीBusiness Purpose केलिएCompiled
BASIC (Beginner’s allPurpose Symbolic Instruction Code)1964John G. Kemeny और E. Kutz ने डर्टमाउथ कॉलेज न्यू हैमिसपायर मेंविकसित की।शिक्षण कार्य के लिएIntegrated
PASCAL1970Niklos with ने विकसित की।शिक्षण कार्य के लिएCompiled
C1972Dennis Ritchie ने Bell Laboratory में विकसित की।System Programming के लिएCompiled
C++1983Bazarne Strostrup ने Bell Laboratory में विकसित की।System object Programming के लिएCompiled
JAVA1995James gosling ने Sun micro System में विकसित की।Internet आधारित Programming के क्षेत्र में Compiled और Interpreted

Language Translators

Translate कराना इसलिए आवश्यक होता है, क्योंकि Computer केवल अपनी ये ऐसे Program हैं, जो विभिन्न Programming languages में लिखे गए Programmes का Machine language में लिखे हुए Program का ही पालन कर सकता है। अनुवाद Computer की Machine language में करते हैं। यह Language Translators को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है :-

  1. Assembler

यह एक ऐसा Program होता है, जो Assembly Language में लिखे गए किसी Program को पढ़ता है और उसका अनुवाद Machine language में कर देता है। Assembly Language के Program को Source Program कहा जाता है। इसका Machine language में Translate करने के बाद जो Program प्राप्त होता है, उसे Object Program कहा जाता है। 

  1. Compiler

यह एक ऐसा Program होता है, जो किसी Programmer द्वारा high level Programming Language में लिखे गए Source Program का Translate Machine language में करता है। Compiler Source Program के प्रत्येक Statement या instruction का Translate करके उसे Machine language के instructions में बदल देता है। प्रत्येक high level Language के लिए एक अलग Compiler की आवश्यकता होती है। 

  1. Interpreter

यह किसी Programmer द्वारा High-level Programming Language में लिखे गए Source Program का Translate Machine language में करता है, परन्तु यह एक बार में source Program के केवल एक Statement को Machine language में Translate करता है और उनका पालन कराता है। इनका पालन हो जाने के बाद ही वह Source Program के अगले Statement का Machine language में translate करता है। मूलतः compiler और Interpreter का कार्य समान होता है, अंतर केवल यह है कि compiler जहाँ Object Program बनाता है, वहाँ वहीं Interpreter कुछ नहीं बनाता। इसलिए Interpreter का उपयोग करते समय हर बार Source Program की आवश्यकता पड़ती है।

Note:
>> Visual Basic: एक Interpreted language है। 
>> Firmware: ये Hardware और Software का Combination होता है। उदाहरण के लिए, ROM, PROM और EPROM आदि। 
>> Freeware: ये अधिकांशतः Copyrighted Software होते है। ये Software इनके बनाने वालों के द्वारा बिना किसी Free के उपलब्ध कराए जाते हैं। उदाहरण के लिए Instant messaging, Google toolbar, आदि।
>> Pseudocode: यह एक Programming language नहीं है, किंतु किसी Program को समझाने का Informal तरीका है। दूसरे शब्दों में, Pseudocode किसी Program की रूपरेखा है, जो इस तरह से लिखी जाती है, कि जरूरत पड़ने पर इसे Program में तब्दील किया जा सके। 
>> Control Structures: ये एक Statement या एक से अधिक Statements का एक समूह है, जो Program में instructions के Execution का क्रम से पालन कराता है। 
>> Looping: Looping एक प्रकार का Control Structure है, जो किसी Program में किसी विशेष Condition को बार-बार Repeat है। 
>> Specific Restrictions के आधार पर Software के प्रयोग का Legal Rights Software License के माध्यम से दिया जाता है।
आज आपने क्या सीखा

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा आर्टिकल Software क्या है और इसके कितने प्रकार हैं? के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी इसके लिए आपको और कहीं जाने की जरूरत नहीं है|

यदि आपके मन में इस Article को लेकर कोई Doubt है या आप चाहते हैं कि इसमें कुछ सुधार होना चाहिए तब इसके लिए आप नीचे Comment लिख सकते हैं आपकी इन्हीं विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मौका मिलेगा |

यदि आपको यह लेख Software क्या है और इसके कितने प्रकार हैं? अच्छा लगा हो इससे आपको कुछ सीखने को मिला हो तो आप अपनी प्रसन्नता और उत्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Google+, Twitter इत्यादि पर Share करे |

Leave a Comment