इस्लामिक बैंकिंग क्या है | Islamic Banking in Hindi

इस्लामिक बैंकिंग क्या है? (What is Islamic Banking in Hindi) यह नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे दिमाग में एक ही सवाल उभरता है कि यह इस्लाम धर्म से संबंधित बैंक है परंतु इसके साथ एक और सवाल हमारे दिमाग में आता है कि जब हमारे देश में इतने सारे Scheduled Commercial Bank मौजूद हैं तो फिर इस Bank की जरूरत क्यों पड़ी। तो आज हम लोग इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे कि इस्लामिक बैंक क्या है? यह किस प्रकार से कार्य करते हैं इसके लाभ और हानि के बारे में तो बिना देरी किए चलिए शुरू करते हैं।

इस्लामिक बैंकिंग का इतिहास (History of Islamic Banking)

इस्लामिक बैंक की शुरुआत 40 के दशक में हुई थी। सर्वप्रथम इस समय ही सैद्धांतिक और बुनियादी दृष्टिकोण विकसित किए गए। बाद में, 1963 में Sparkasse ने मिश्र के Mit-Ghamar में इस परियोजना को शुरू किया गया। इस परियोजना का उद्देश्य ब्याज मुक्त विद्या का परीक्षण करना था। इसे धीरे-धीरे विकसित किया गया और आज हम इसे इस्लामिक बैंकिंग के रूप में जानते हैं। राजनीतिक दबाव के कारण 1967 में इसका प्रयोग बंद कर दिया गया। इस्लाम ने इस बैंकिंग पद्धति को अच्छा और व्यवहारिक बताया है।

1971 में मिस्र सरकार ने Interest Free “Nasir Social Bank” की स्थापना की गई और 1973 में 20 सदस्य देशों के साथ “Islamic Development Bank” की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य सदस्य देशों को शरिया के अनुसार मुस्लिम समुदायों की सामाजिक प्रगति और आर्थिक विकास का समर्थन करना है। बैंक की वर्तमान सदस्यता में 56 देश शामिल हैं। इसके साथ ही बहुत से इस्लामिक बैंकों को विभिन्न देशों में खोला जाने लगा। नब्बे के दशक में उन्होंने अपने कार्यों को यूरोप और मध्य एशिया में फैला दिया। आज पूरी तरह से ब्याज मुक्त वित्तीय प्रणाली वाले तीन देश हैं: पाकिस्तान, सूडान और ईरान।

2006 में रिजर्व बैंक ने Islamic Banking की कार्यशैली का अध्ययन करने के लिए आनन्द सिन्हा की अगुवाई में एक समिति गठित की थी, जिसने मौजूदा नियमों में संशोधन का सुझाव दिया था। कुछ समय बाद इस मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया, लेकिन अपनी मलेशिया यात्रा के समय प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह इस्लामिक बैंकिंग से प्रभावित हुए। इसके बाद फिर इस्लामिक बैंकिंग पर हलचल हुई और वित्त मन्त्रालय के कहने पर योजना आयोग द्वारा गठित रघुराम राजन समिति की सिफारिशों पर भी गौर नहीं किया गय। परंतु केरल हाईकोर्ट के फैसले ने कुछ राहत दिया है। 

First Islamic Bank in India (Kerala)Cheraman Financial Services Limited
First Islamic Bank in the WorldMit-Ghamr Saving Bank
First Modern Commercial Islamic Bank in the WorldDubai Islamic Bank (DIB) 

इस्लामिक बैंकिंग क्या है? (What is Islamic Banking in Hindi)

इस्लामिक बैंकिंग को सरिया बैंकिंग या शरीयत बैंकिंग भी कहते हैं। इस्लामिक कानून व्यवस्था यानी सरिया के सिद्धांतों पर काम करने वाली बैंकिंग व्यवस्था को इस्लामिक बैंकिंग कहते हैं।

यह सामान्य बैंकिंग प्रणाली से अलग होती है। शरीयत के अनुसार इसमें ऋण लेना और ऋण देना दोनों गुनाह माना जाता है इसलिए इसमें नाम मात्र के बराबर ऋण लिया जाता है। इस्लामिक बैंक का मुख्यालय मिश्र (काहिरा) में है। भारत में इसका आगमन 2011 में हुआ भारत में इसकी एकमात्र शाखा केरल के कोच्चि में है। इसमें राज्य सरकार की हिस्सेदारी 11% है।

इस्लामिक बैंकिंग में बैंक फंड के ट्रस्टी के रूप में भूमिका निभाता है। यहां लोग अपनी मर्जी से पैसा जमा करते हैं और जब चाहे निकाल सकते हैं। यह एक प्रकार का बचत खाता होता है। यहां बचत खाता पर ऋण नहीं दिया जाता है परंतु बैंक आपके पैसे (Money) से Profit कमाती है तो उस लाभ को खाताधारकों में बांट दिया जाता है गिफ्ट के रूप में।

> Universal Banking क्या है?

> Unit Banking क्या है?

> Mixed Banking क्या है?

इस्लामिक बैंकिंग के प्रकार (Types of Islamic Banking)

  1. रीबा (Riba)
  2. हराम और हलाली (Haram and Halali)
  3. घरारी (Gharari)
  4. मेसिर और क़िमारी (Messir and Kimari)
  5. शरीयत बोर्ड (Sharia Board)

रीबा (Riba)

रीवा का उद्देश्य ब्याज दर पर प्रतिबंध है यह इस्लाम का बुनियादी नियम है। जो कुरान और सन्ना से आता है। यह पारस्परिक बैंकिंग और इस्लामिक बैंकिंग के 20 सबसे अधिक ध्यान देने योग्य अंतर है क्योंकि पारस्परिक बैंकिंग में ऋण लिए हुए व्यक्ति से शुद्ध किया जाता है परंतु इस्लामिक बैंकिंग में इस पर प्रतिबंध है।

ब्याज मुक्त islamic banking system को देखते हुए ही बनाया गया है क्योंकि इसके अंतर्गत अगर संपत्ति और देनदारियों को इसकी हानि और लाभ दोनों के बीच उन्हें अपना पैसा साझा करना होता है। वैसे पारस्परिक बैंकिंग और Islamic Banking उतने भी अलग नहीं है, जितना लोग सोचते हैं। यही कारण है कि उनके साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। 

हराम और हलाली (Haram and Halali)

हराम और हलाल भी इस्लामिक बैंकिंग के दो सिद्धांत हैं। ये शब्द अक्सर इस्लामी खाद्य नियमों से जुड़े होते हैं।

शरीयत द्वारा अनैतिक, निषिद्ध और अशुद्ध माने जाने वाले सभी उत्पादों, सेवाओं और आर्थिक कार्यों को “हराम” कहा जाता है। हराम शब्द में; सूअर का मांस, शराब, हथियार, वेश्यावृत्ति, तंबाकू, अश्लील साहित्य, शामिल हैं।

घरारी (Gharari)

घरार का मतलब जोखिम, उद्यम, अनिश्चितता और धोखे होता है और इसे मना नहीं किया जाता है, लेकिन यह असाधारण रूप से उच्च घरार से बचने के लिए कहा जाता है। यह विशेष रूप से अनुबंध के इस्लामी कानून (Islamic law of contract) को प्रभावित करता है। आर्थिक असंतुलन के साथ हर आर्थिक लेन-देन कानून द्वारा सख्त और शून्य है। उच्च और निम्न घरार की व्याख्या से मुसलमानों के बीच असहमति और नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। एक आर्थिक संचालन में उच्च जोखिम से बचने के लिए पक्षों के अधिकारों और कर्तव्यों को व्यक्त करना होता है।

मेसिर और क़िमारी (Messir and Kimari)

मेसिर और किमार का अर्थ है: भाग्य का खेल, जिसमें आप दुर्घटना से आसानी से कुछ जीत सकते हैं। यह भाग्य के खेल की स्थिति है, जब संपत्ति का अधिग्रहण एक निश्चित घटना के लिए किया जाता है। यदि शेयर बाजार में पूंजी निवेश मेसीर और किमार के सिद्धांत के तहत आता है तो मुसलमान समस्या में हैं, लेकिन अधिकांश इस्लामी न्यायविद इस प्रकार के पूंजी निवेश को तब तक निर्धारित करते हैं जब तक उद्यमों की गतिविधियों को हलाल के रूप में निर्धारित किया जा सकता है। इसमें शेयरों के साथ उद्यम को भाग्य का खेल माना जाता है।

शरीयत बोर्ड (Sharia Board)

Islamic Financial Institution के रूप में काम करने से पहले, प्रत्येक बैंक एक प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है। इस्लामिक बैंक का प्रबंधन शरीयत बोर्ड को सूचित करता है और सलाह देता है। Sharia audits में विशिष्ट विशेषज्ञता वाले आंतरिक कर्मचारी होते हैं। उन्हें लगातार परिचालन गतिविधियों को नियंत्रित करना होगा और परिणामों के बारे में शरीयत बोर्ड को सूचित करना होगा। The Islamic Financial Services Board (IFSB), जो पारंपरिक बैंकों के लिए Banking Supervision पर बेसल समिति के समान है, एक अतिरिक्त बाहरी Sharia audit की सिफारिश करता है, जो वर्ष में एक बार होता है।

Shariah Board द्वारा लिए गए निर्णय Islamic Banks के लिए बाध्यकारी हैं और बोर्ड के सदस्यों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। इससे विभिन्न इस्लामिक बैंकों की तुलना करना मुश्किल हो जाता है। शरीयबोर्ड का आकार, संरचना और स्थापना वित्तीय संस्थान के Association के articles या comparable documents के साथ-साथ देश के वैधानिक प्रावधानों पर निर्भर करती है। शरीयत बोर्ड के सदस्यों को Sharia-scholars कहा जाता है और वे Islamic jurists हैं।

इस्लामिक बैंक कैसे काम करता है?

  • यहां बैंक ना ब्याज लेता है ना देता है तो आप अपने कर्मचारियों को यह वेतन कहां से देता है और अन्य खर्चे कहां से पूरे करते हैं? दरअसल इस्लामिक बैंकिंग पिछले दरवाजे से अपनी सारी सुविधाओं को पूरा करता है। इसमें खाताधारक के जमा पूंजी से या मकान दुकान या फिर जमीन को खरीदना है और उसे खरीदार के पास लाभ लेकर बेच देता है। इस्लामिक बैंक खरीदार को यह EMI की सुविधा भी देता है।
  • यहां तक की इससे बैंक को जो मुनाफा होता है उसे अपने खाताधारकों के बीच बांट दिया जाता है। इसके साथ-साथ बैंक अपने खर्चों को भी इससे पूरा करती है अगर बैंक को किसी प्रकार का घाटा होता है तो इसका घाटा भी खाताधारकों में बांट दिया जाता है और घाटे को पूरा किया जाता है।
  • इस्लामिक बैंकिंग कई देशों में प्रचलित है। जैसे: Standard Chartered and Hong Kong और Shanghai Banking Corporation अपने Banking Operation के तहत Islamic Banking को आगे बढ़ा रहे हैं।
  • इसका मुख्य मकसद सरिया के सिद्धांत के अनुसार ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना है। यह पूंजी के लेनदेन के खिलाफ नहीं है परंतु इसके कुछ नियमों का पालन करना होता है।

> Social Banking क्या है?

> Branchless Banking क्या है?

> Mutual Banking क्या है?

इस्लामी बैंकिंग के लाभ (Advantage of Islamic Banking)

इस्लामिक बैंकिंग का आधार “Justice in Exchange” है। अनैतिकता का मतलब है कि पूरे समाज को नुकसान पहुंचाना ऐसा इस्लामिक बैंकिंग में मना किया गया है। इस्लामी वित्त के साधनों से बचना चाहिए: –

  • ब्याज दरों का लगाना, यह शोषण के सबसे बुरे रूपों में से एक है। जो ब्याज दर इसमें नहीं लगाये जाते है।
  • Contract पर काम करना जिसमें अनिश्चितता को दर्शाता है। इसमें भौतिक शर्तों को निर्दिष्ट किए बिना बेचने के लिए सहमत होना या जो विक्रेता के कब्जे में नहीं है, उस वस्तु की बिक्री शामिल करना।
  • हेज फंड में डील करना क्योंकि उनमें मेसिर (सट्टा लेनदेन) का तत्व होता है।
  • ऐसे लेन-देन जिनमें प्रतिबंधित और हानिकारक उद्योग जैसे ड्रग्स, अवैध हथियार, वेश्यावृत्ति और पोर्नोग्राफ़ी शामिल हैं उसे तुरंत रोकना।

इस्लामिक बैंकिंग के नुकसान (Disadvantage of Islamic Banking)

  1. आदर्श निवेश मॉडल सुविधाजनक नहीं: Islamic Banking के आदर्श निवेश मोड मुदारबाह और मुशरकाह मॉडल हैं। मुदराबा मॉडल में, एक पार्टी पूंजी प्रदान करती है, और दूसरी पार्टी उस पूंजी का निवेश करती है। इस मॉडल में लाभ पूर्व निर्धारित अनुपात में वितरण किया जाता है। इस्लामिक बैंकिंग के तहत चल रहे बैंक के पैसों को गैर इस्लाम के कार्यों में नहीं लगाया जा सकता है। इसलिए इसे Muslim Bank भी कहा जाता है। 
  1. Liquidity Instruments की अनुपस्थिति: Liquidity की कमी और अधिकता की समस्याओं के प्रबंधन के लिए Liquidity साधनों का उपयोग किया जाता है। कुछ सबसे महत्वपूर्ण Liquidity Instruments: Treasury bills और other market securities हैं। दुर्भाग्य से, कई इस्लामी बैंकों में liquidity की कमी है।
  1. Advanced technology and media का अभाव: हमारी लगातार बढ़ती डिजिटल दुनिया में सभी बैंक धीरे-धीरे डिजिटलाइज होते जा रही है। जो कि अपने खाताधारकों को घर बैठे बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है। जिसमें कि मोबाइल बैंकिंग, इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग जैसी सुविधाएं शामिल है जो कि इस्लामिक बैंकिंग के पास नहीं हैं। वर्तमान में कुछ बैंकों ने अपनी वेबसाइट और एप्लीकेशन लॉन्च किए हैं।

भारत में इस्लामिक बैंकों की सूची (Islamic Bank in India)

  • Atharvved Finance Corporation.
  • TAMEEM IMPEX.
  • Associated Industrial Credit Society Al-Siraat Investment & Banking.
  • The Bank of Tokyo-Mitsubishi UFJ, Ltd.
  • Baitun Nasr Urban Cooperative Society.
Frequently Asked Questions (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
इस्लामिक बैंकिंग की शुरुआत कब हुई थी?

उत्तर: 1973 में।

इस्लामिक बैंक का मुख्यालय कहां है?

उत्तर: मिस्र की राजधानी काहिरा में

भारत में इस्लामिक बैंक का एकमात्र मुख्यालय कहां है?

उत्तर: केरल (कोच्चि)

सर्वप्रथम इस्लामिक बैंकिंग की शुरुआत किसने की?

उत्तर: Sparkasse ने

Islamic Financial System किस आधार पर काम करती है?

उत्तर: Sharing Risk and Return

“Sukuk” शरिया कानून से किस प्रकार संबंधित है?

उत्तर: Investment Certificate

इस्लामिक बैंकिंग एक शब्द में,

दोस्तों, आज की जानकारी काफी महत्वपूर्ण थी जिसमें इस्लामिक बैंकिंग के बारे में बहुत ही अच्छी तरीके से जानकारी देने का प्रयास किया गया जिसमें की इस्लामिक बैंकिंग क्या है? यह किस प्रकार के कार्य करती हैं? इसके बारे में जानकारी देने का प्रयास किया गया। उम्मीद है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया तो आप अपनी प्रसन्नता और उत्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Google+, Twitter इत्यादि पर Share जरूर करे। 

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