आज हमलोग इस पोस्ट में जानेगे की तरलता समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility- LAF) क्या है या किसे कहते है और इसके तरह-तरह के कार्य के बारे में भी जानेगे |
भारत की अर्थव्यवस्था एक विशाल संरचना है, और इसे स्थिर बनाए रखने की जिम्मेदारी भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के हाथ में है। RBI समय-समय पर कई मौद्रिक उपकरणों का उपयोग करता है, ताकि बैंकों में Liquidity का संतुलन बना रहे और अर्थव्यवस्था पर महंगाई या मंदी का प्रभाव नियंत्रित किया जा सके।
इसमें से एक है Liquidity Adjustment Facility । सरल शब्दों में, LAF वह व्यवस्था है जिसके अंतर्गत बैंक Repo Rate पर RBI से पैसा उधार लेते हैं और Reverse Repo Rate पर RBI के पास अपनी अतिरिक्त नकदी जमा करते हैं।
Liquidity Adjustment Facility (LAF) की परिभाषा
Liquidity Adjustment Facility (LAF) एक ऐसा मौद्रिक साधन है जिसे RBI ने बैंकों की Short term Liquidity को नियंत्रित करने के लिए लागू किया।
“LAF एक ऐसी व्यवस्था है जिसके तहत बैंक RBI से Short-term Loan लेकर अपनी नकदी की कमी को पूरा करते हैं और अतिरिक्त नकदी को RBI के पास जमा करके ब्याज अर्जित करते हैं।”
LAF का इतिहास
नरसिंहम समिति (1998) की संस्तुति पर LAF को क्रमिक रूप से पहले अन्तरिम रूप में 1999 में तथा अन्तिम रूप में 2000 में लागू किया गया। यह बाजार में दिन प्रतिदिन आधार पर Liquidity Adjustment करता है। यह Repo के माध्यम से कार्य करता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत Reserve Bank ब्याज की भिन्न भिन्न दरों पर बाजार में Liquidity की आपूर्ति करता है। इसने 2000 में Additional collateralized Facility (ACLF) को प्रतिस्थापित किया। इसका प्रमुख उद्देश्य Money Market में स्थिरता सुनिश्चित करना है तथा यह देखना है कि बाजार व्याज दर वांछित सीमा के भीतर बनी रहे।
29 मार्च 2004 से एक नयी संशोधित LAF स्कीम लागू की गयी, जिसकी प्रमुख बातें इस प्रकार थीं
- 7 दिनी Repo प्रतिदिन किया जायेगा।
- एक दिन पहले पूर्व निर्धारित (स्थिर) Repo प्रतिदिन होगा।
- एक दिन पहले निश्चित स्थिर दर पर Reverse Repo नीलामी
इस प्रकार नयी स्कीम में RBI द्वारा Repo Rate समय-समय पर निर्धारित की जायेगी। Reverse Repo की दर सामान्य रीपो दर से 1.5 प्रतिशत कम होगी। नयी स्कीम के तहत LAF की अवधि को 7 दिन से घटाकर 1 दिन कर दिया गया है।
• नकदी प्रबन्धन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए 28 नवम्बर, 2005 को रिजर्व बैंक ने दूसरी LAF सुविधा शुरू की। पर दिनी reverse Repo की 3000 करोड़ रुपये की ऊपरी सीमा हटाने के बाद अगस्त 6, 2007 से दूसरे LAF को समाप्त कर दिया गया है।
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LAF के उद्देश्य
Liquidity Adjustment Facility का मुख्य उद्देश्य केवल बैंकों की मदद करना ही नहीं, बल्कि पूरे financial system को संतुलित रखना है। इसके प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- Banking system में Liquidity Management करना।
- Repo और Reverse Repo Rate के जरिए Interest Rates को नियंत्रित करना।
- Inflation और Deflation पर नियंत्रण रखना।
- Money Market में वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना।
- अर्थव्यवस्था में Investment और Development को प्रोत्साहित करना।
LAF के प्रकार
LAF मुख्य रूप से दो दरों पर आधारित है:
1. Repo Rate
- यह वह दर है जिस पर RBI बैंकों को Short term Loan देता है।
- Bank अपनी Government Securities RBI के पास गिरवी रखकर पैसा उधार लेती हैं।
- Repo Rate कम होने पर बैंक सस्ता Loan ले सकते हैं, जिससे बाजार में नकदी की आपूर्ति बढ़ जाती है।
- Repo Rate बढ़ने से Loan महंगा हो जाता है, जिससे नकदी की आपूर्ति ने कमी आती है।
2. Reverse Repo Rate
- यह वह दर है जिस पर बैंक RBI के पास अपनी अतिरिक्त नकदी जमा करते हैं।
- इस पर बैंक को RBI से ब्याज मिलता है।
- Reverse Repo Rate अधिक होने पर बैंक को ज्यादा पैसा RBI के पास जमा करना होता है।
- Reverse Repo Rate कम होने पर बैंक बाजार में अधिक Loan देने लगते हैं।
LAF कैसे काम करता है?
- जब अर्थव्यवस्था में पैसे की कमी होती है, तो RBI Repo Rate घटाता है ताकि बैंक आसानी से Loan ले सकें।
- जब अर्थव्यवस्था में पैसे की अधिकता होती है, तो RBI Reverse Repo Rate बढ़ाता है ताकि बैंक RBI के पास पैसा जमा करें।
- इस प्रकार RBI बाजार में Liquidity का Balance बनाए रखता है।
LAF और भारतीय अर्थव्यवस्था
LAF का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ता है।
- मुद्रास्फीति नियंत्रण: Repo Rate और Reverse Repo Rate बदलकर महंगाई को संतुलन में लाया जा सकता है।
- विकास को प्रोत्साहन: Repo Rate कम करने पर Loan सस्ता होता है, जिससे उद्योग और व्यापार को बढ़ावा मिलता है।
- निवेश में वृद्धि: कम Interest Rate से लोगों को निवेश करने की प्रेरणा मिलती है।
- वित्तीय स्थिरता: बैंकों को नकदी प्रबंधन में मदद मिलती है।
LAF का उदाहरण
मान लीजिए किसी बैंक को अचानक 1000 करोड़ रुपये की जरूरत है ताकि वह अपने ग्राहकों को Loan दे सके।
- बैंक अपनी सरकारी प्रतिभूतियाँ गिरवी रखकर RBI से Repo Rate पर Loan लेगा।
- दूसरी ओर, अगर बैंक के पास अतिरिक्त 500 करोड़ रुपये हैं, तो वह उसे RBI के पास Reverse Repo Rate पर जमा रखकर ब्याज कमाएगा।
LAF के फायदे
- Liquidity Management आसान हो जाता है।
- Repo और Reverse Repo Rate के जरिए Interest Rates में Stability आती है।
- महंगाई और मंदी को नियंत्रित किया जा सकता है।
- बैंकिंग सेक्टर में नकदी की कमी दूर होती है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था में संतुलन और विकास बनाए रखता है।
LAF की सीमाएँ
- यह केवल Short term Liquidity को नियंत्रित करता है।
- लंबी अवधि की आर्थिक समस्याओं का समाधान नहीं।
- पूरी तरह से बैंकों के अनुशासन पर निर्भर।
- यह कभी-कभी Interest Rates को प्रभावित कर Investment को slow कर देता है।
LAF से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
- LAF का संचालन “भारतीय रिज़र्व बैंक” करता है।
- इसमें Repo और Reverse Repo दोनों शामिल हैं।
- यह Monetary Policy का एक मुख्य अंग है।
- RBI हर 2 महीने में होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में Repo और Reverse Repo Rate तय करता है।
Frequently Asked Questions
RBI ने 2000 में इसे लागू किया, नरसिम्हम समिति की सिफारिश पर।
बैंकों की Short term Liquidity को नियंत्रित करना।
नहीं, अन्य देशों में भी केंद्रीय बैंक अलग-अलग नाम से इसे चलाते हैं।
Repo Rate बढ़ाकर Loan महंगा किया जाता है, जिससे खर्च और निवेश कम होता है और इस तरह से महंगाई नियंत्रित की जाती है।
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