पुस्तक पर निबंध | Essay on Book in Hindi

हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में पुस्तक पर निबंध हिंदी में (Book essay in Hindi) पड़ेंगे जो कि आपको Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। पुस्तक पर निबंध (Essay writing on Book) के अंतर्गत हम पुस्तक से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।

Essay on Books in Hindi 500 Words

प्रस्तावना

जीवन में पुस्तकों का होना बहुत ही जरूरी है।। अगर आपके पास एक अच्छी पुस्तक होगी तो आप उसके ज्ञान से दुनियाभर के ज्ञान को अपने अंदर समेट सकते हैं। पुस्तक मनुष्य के जीवन का आधार मानी जाती है। 

पुस्तके कई विषयों में उपलब्ध होती है जैसे कि अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, भूगोल, इतिहास, सामाजिक शास्त्र ,राजनीतिक शास्त्र, इत्यादि। दुनिया में भाषाओं में पुस्तकें उपलब्ध जैसे कि धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक इत्यादि ऐसे किताबें बाजार में मौजूद है जो जिंदगी के कई समस्याओं को हम किताब से पढ़कर आसानी से उसे सुलझा सकते हैं।

पुस्तक का इतिहास (History of Books in Hindi)

अगर हम लोग पुस्तकों के इतिहास की बात करें तो पुस्तकों का इतिहास काफी प्राचीन है। पुस्तकों की कहानी पन्नों की छपाई के साथ शुरू की गई थी और यह आज वर्तमान में पुस्तकों के भंडार के साथ दुनिया के किसी भी पुस्तक को पढ़ने और उसे समझने से पहले उसकी इतिहास को जाना हमारे लिए बहुत ही जरूरी है। पुस्तकों की पहली छपाई 1440 में फ्रांस के प्रिंटिंग प्रेस में शुरू की गई थी। उसके बाद पुस्तकों के प्रचार प्रसार में विश्व धर्म मैं इसे फैलाया गया। पुस्तकों का इतिहास मध्यकालीन से जुड़ा हुआ है। पुस्तकों को पहली बार फ्रांस में पड़ा और लिखा गया था और उसके बाद यह धरती के हर कोने कोने में इसे पहुंचाया गया। इसके 15 साल बाद पहली बार 1455 में सबसे पहली छपाई बाइबल की गई थी।

दुनिया की पहली पुस्तकएन्हेदुअन्ना
पहली किताब कब बनी थीदूसरी और पांचवीं शताब्दी ई. के बीच।
विश्व में प्रकाशित पहली पुस्तकThe Diamond Sutra
पहली हिंदू किताबऋग्वेद संहिता
पहली मुस्लिम किताबद फर्स्ट मुस्लिम: द स्टोरी ऑफ मुहम्मद

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पुस्तक का महत्व

यदि मनुष्य और पशु में भेद किया जाए तो केवल बुद्धि द्वारा ही किया जा सकता है। बुद्धि तथा ज्ञान के बिना मनुष्य निश्चय ही संसार का एक दयनीय प्राणी होता। अनादिकाल से मनुष्य अपने ज्ञान का ही परिष्कार करता आ रहा है।

ज्ञान उसे या तो गुरु से मिलता है या पुस्तकों से। गुरु तो सीमित समय तक ही ज्ञान दे सकता है, या यों कहना चाहिए कि गुरु तो केवल ज्ञान-प्राप्ति का पथ-प्रदर्शन ही करता है। वास्तव में पुस्तके गुरुओं की भी गुरु होती हैं। अच्छी पुस्तकों को हम अपनी हितैषी* मान सकते हैं। ज्ञान-प्राप्ति और बुद्धि के विकास के लिए विभिन्न प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन आवश्यक है। कार्लाइल का कथन है कि ‘मानव-जाति ने जो कुछ किया, सोचा और पाया है, वह पुस्तकों के जादू भरे पृष्ठों में सुरक्षित है।’

बालक में जीवन-शक्ति और इच्छा शक्ति दोनों होती हैं। जीवन में कुछ बनने की और कुछ प्राप्त करने की हर बच्चे के मन में अभिलाषा होती है। अच्छी पुस्तकों के अध्ययन से बालक का सही मार्गदर्शन होता है। जीवन में सफलता के उच्चतम सोपान पर पहुँचने के लिए महापुरुषों, वैज्ञानिकों, साहित्यकारों एवं अन्य उच्च पद पर आसीन होने वाले व्यक्तियों की जीवनियों और आत्मकथाओं का अध्ययन करना श्रेयस्कर होता है। इनके अध्ययन से हमारे व्यक्तित्व का विकास होता है।

पुस्तकें पढ़ने से हमें पता चलता है कि हमें प्रकृति से भी प्रेम करना चाहिए और अपने आसपास के पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों के जीवन की गतिविधियों पर ध्यान रखना चाहिए। बचपन से ही प्रकृति-प्रेमी जगदीशचन्द्र बसु लहराते पौधों को, मुस्कराती पत्तियों को मुग्धभाव से टकटकी लगाकर देखते और सोचते तथा प्रश्न करते कि आख़िर इन निर्जीव पदार्थों में गति कैसे आ गई? निरन्तर अध्ययन से एक दिन उनकी जिज्ञासा शांत हो ही गई और कल्पना साकार हो गई। उन्होंने प्रमाणित कर दिया कि पेड़-पौधे निर्जीव नहीं हैं बल्कि उनमें भी जीवन है, स्पन्दन है, गति है और संवेदना है।

अत: उन्नति के लिए आवश्यक है स्वयं को पहचानना और स्वयं को पहचानने के लिए पुस्तकों जैसा अच्छा मित्र और मार्गदर्शक कोई दूसरा हो ही नहीं सकता। एक अंग्रेज़ विद्वान की उक्ति है-‘सच्चे मित्रों के चुनाव के पश्चात् सर्वप्रथम एवं प्रधान आवश्यकता है, उत्कृष्ट पुस्तकों का चुनाव। जो पुस्तकें हमें अधिक विचारने को बाध्य करती हैं, वे ही हमारी सबसे बड़ी सहायक हैं।’

पुस्तकें जहाँ एक ओर मनुष्य के व्यक्तित्व में एक नवीन निखार उत्पन्न करती हैं, वहीं दूसरी ओर बुढ़ापे की लाठी भी हैं। ये मनुष्य को सच्चा सुख और शान्ति प्रदान करती हैं। थामस ए. कम्पिस ने एक बार कहा था, “मैंने प्रत्येक स्थान पर विश्राम खोजा, किन्तु वह एकान्त कोने में बैठकर पुस्तकें पढ़ने के अतिरिक्त कहीं प्राप्त न हो सका।” पुस्तकें किसी देश की अमर निधि होती हैं। किसी जाति के उत्कर्ष (उत्थान) तथा अपकर्ष (पतन) का पता उसके साहित्य से चलता है।

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विचारों के युग में पुस्तकें ही अस्त्र हैं। पुस्तकों में निहित विचार सम्पूर्ण समाज की काया पलट देते हैं। आज का संसार विचारों का संसार है। समाज में जब भी कोई परिवर्तन आता है अथवा क्रान्ति उपस्थित होती है उसके मूल में कोई विचारधारा ही होती है। श्रेष्ठ पुस्तकें समाज में नवचेतना का संचार करती हैं तथा समाज में जागृति लाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। हिन्दी साहित्य के अमर कथाकार मुंशी प्रेमचन्द जी ने अपनी कहानियों तथा उपन्यासों के माध्यम से भारतीय किसान की दीन-हीन स्थिति का चित्रण कर भारतीयों के हृदय में उनके प्रति सहानुभूति की भावना जागृत करने में बड़ा योगदान दिया।

पुस्तकें पढ़ना समय का श्रेष्ठ उपयोग तथा उत्तम कोटि का मनोरंजन है। विद्यार्थियों के लिए परीक्षा देने के बाद आगामी पढ़ाई तक समय बिताने का सर्वश्रेष्ठ साधन है-पुस्तकें।

अन्त में, निराशा के क्षणों को दूर करने के लिए हम पुस्तकों के घने काले अक्षरों में अपने मार्ग को तलाशते हैं। पुस्तकें हमारी डगमगाती नौका की सशक्त पतवार हैं क्योंकि ये ज्ञान की वृद्धि और मनोरंजन का साधन ही नहीं बल्कि मनुष्य की सच्ची मित्र हैं, सद्गुरु और जीवन-पथ की संरक्षिका हैं।

Frequently Asked Questions

विश्व की प्रथम पुस्तक का आविष्कार किसने किया?

उत्तर: जोहान्स गुटेनबर्ग

भारत की सबसे पुरानी किताब कौन सी है?

उत्तर: वेद

अंग्रेजी किताब का आविष्कार किसने किया?

उत्तर: कैक्सटन हिमसेल्फ

निष्कर्ष

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा लेख पुस्तक पर निबंध (Essay writing on Book) पढ़ कर अच्छा लगा होगा और आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होगें।
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