Trust क्या होता है? What is Trust in Hindi?

आज हम लोग न्यास (Trust) के बारे में जानेगे। जिसमें हम लोग जानेगे की न्यास (Trust) क्या होता है? What is Trust in Hindi यह एक ऐसा topic है जो की Trust से संबंधित और में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

ट्रस्ट क्या है? (Trust in Hindi)

भारतीय न्यास अधिनियम 1882 (Indian Trust Act 1882) धारा-3 के अनुसार, Trust एक दायित्व (Obligation) है, जो किसी सम्पत्ति के स्वामित्व (ownership) से जुड़ा हुआ है। Trust में, Trust बनाने वाले व्यक्ति को न्यास का जन्म दाता (Donor or Author) कहा जाता है और वह व्यक्ति जो Trust को चलाने का Responsible हो, उसे न्यासी (trustee) कहा जाता है। जिन व्यक्तियो को Trust का लाभ पहुंचे उन्हें लाभान्वित (beneficiary) कहा जाता है।

ट्रस्ट का इतिहास (History of Trust)

ट्रस्ट की अवधारणा लोगों की सोच से बहुत ज्यादा लंबी है क्योंकि पहला ट्रस्ट रोमन साम्राज्य के दिनों का है लगभग 800 ईसवी। उस समाज में केवल रोम के नागरिक ही संपत्ति के मालिक हुआ करते थे। युद्ध करने जाने के समय सैनिक यह सुनिश्चित करते हैं कि अपनी संपत्ति का अधिकार विश्वसनीय मित्र को स्थानांतरित कर दें ताकि उनके परिवारों का देखभाल सही ढंग से हो सके। ब्रिटिश का रोमन पर कब्जे के दौरान भूमि को बचाने के लिए ट्रस्ट एक उपकरण बन गया था। ट्रस्ट की अवधारणा उपनिवेशवादियों के साथ अमेरिका तक चली गई।

पहले के समय में ट्रस्ट को केवल धनी लोगों के लिए ही उपलब्ध कराया जाता था परंतु कई दशक गुजरे इनके बारे में लोगों को पता चला और इसका प्रसार हुआ लोगों ने पता लगाया कि ट्रस्ट किसी भी सामाजिक आर्थिक वर्ग के लिए उपयोगी हो सकते हैं और फिर धीरे-धीरे इसका विस्तार वर्तमान समय में किया जा रहा है।

> Promissory Note क्या है?

> Endorsement क्या है?

> Banking Commission क्या है?

ट्रस्ट के प्रकार (Types of Trust)

ट्रस्ट मुख्यता चार प्रकार के होते हैं:

  1. Revocable Trust
  2. Irrevocable Trust
  3. Testamentary Trust
  4. Living Trust

Revocable Trust: इस ट्रस्ट को trustee द्वारा अपने जीवन काल में कभी भी बदला या समाप्त किया जा सकता है।

Irrevocable Trust: किस ट्रस्ट में एक बार प्रस्तर को स्टेबल होने के बाद बदला नहीं जा सकता यह यह उनकी मृत्यु पर भी अपरिवर्तनीय होता है।

Testamentary Trust: इस ट्रस्ट के अंतर्गत या किसी व्यक्ति की वसीयत में शामिल होता है। यह वसीयतनामा ट्रस्ट उसके निर्माता के मृत्यु के बाद भी प्रभावी होता है। इस ट्रस्ट को Revocable Trust भी कहते हैं क्योंकि इसमें वसीयत को आपके जीवन काल में किसी भी समय बदला जा सकता है। इस ट्रस्ट को वसीयत ट्रस्ट भी कहा जाता है।

Living Trust: वैसा ट्रस्ट जिसके निर्माता के जीवन काल के दौरान वह चलते रहता है। ऐसे ट्रस्ट को जीवित ट्रस्ट (Living Trust) कहते हैं।

ट्रस्ट की संरचना (Structure of Trust)

प्रत्येक ट्रस्ट में 4 प्राथमिक तत्व होने चाहिए

  • पहला तत्व ट्रस्ट निर्माता है – वह व्यक्ति जो विश्वास करता है उस व्यक्ति को “अनुदानकर्ता” या “सेटलर” कहां जाता है।
  • दूसरा तत्व व्यक्ति होता है – जो ट्रस्ट की संपत्ति का प्रबंधन करता है और ट्रस्ट के कार्य को करता है इस व्यक्ति को “Trustee” कहा जाता है।
  • तीसरा तत्व व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह है – जो ट्रस्ट के अस्तित्व और संचालन से लाभ उठाते हैं। इस व्यक्ति को “लाभार्थी” कहा जाता है और मूल लाभार्थी कभी-कभी ट्रस्ट निर्माता होते हैं परंतु कई प्रकार के ट्रस्ट में ट्रस्ट निर्माता लाभार्थी को नहीं माना जाता है। ट्रस्ट निर्माता के मरने के बाद उनके बच्चे लाभार्थियों की अगली पंक्ति बन जाते हैं यदि एक से अधिक व्यक्ति मौजूद हैं तो उन्हें “लाभार्थी” कहा जाता है।
  • अंतिम तक तुम्हें ट्रस्ट के अंदर की संपत्तियां होती है – इन शक्तियों को “कार्पस” कहा जाता है। अगर इन सभी तत्वों में से अगर कोई एक तत्व भी मौजूद नहीं है तो उस ट्रस्ट पर विश्वास नहीं किया जा सकता है।

ट्रस्ट के लाभ (Advantages of Trust)

  1. Avoid Probate Court: इसमें एक कानूनी प्रक्रिया है। जिसके द्वारा अदालत यह सुनिश्चित करती है कि जब ट्रस्टी मर जाता है तो उसके कर्ज का भुगतान किया जाता है। जो कि उसकी संपत्ति Michigan law के अनुसार वितरित की जाती है।

अगर आप अन्य राज्यों में अपनी संपत्ति के मालिक हैं तो आपके परिवार को कई तरह के Probate का सामना करना पड़ सकता है और उस राज्य के कानून के अनुसार आपको वहां के नियमों को मानना पड़ेगा।

यह प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम 5 महीने लगते हैं। इसमें परिवार के कोई गोपनीयता नहीं है। Probate एक सार्वजनिक प्रक्रिया है इसलिए कोई भी आपकी संपत्ति का आकार नहीं देख सकता है कि आप की कितनी संपत्ति है। 

  1. आपके व्यक्तिगत और विद्या मामले निजी रखे जाएंगे: इसमें आपकी संपत्ति या आपकी व्यक्तिगत संपत्ति को आपकी इच्छाओं को सार्वजनिक करने की कोई आवश्यकता नहीं। अगर आपकी इच्छा होगी तो ही आप इसे सार्वजनिक कर सकते हैं। इसमें एक दूसरा पक्ष भी होता है “वसीयतनामा” जिसके अंतर्गत आप किसी को भी अपना वसीयत लिख सकते हैं।
  1. ट्रस्टी के निधन के बाद भी आपके वित्त पर नियंत्रण बनाए रखता है: इसमें मृत्यु के बाद बच्चों को एक निश्चित आयु तक पैसे का वितरण, पूर्व पत्नी-पति के हाथों में ना जाए इसके लिए इसमें नियम बनाए गए हैं।

ट्रस्टी की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति को तुरंत बांटने की जरूरत नहीं है अगर ऐसा कोई करता है तो आप वितरण पर रोक लगा सकते हैं जब तक कि आपके बच्चे एक निश्चित उम्र तक नहीं पहुंच जाते।

ट्रस्ट के हानि (Disadvantages of Trust)

  • Additional Paperwork: Living Trust को मजबूत बनाने के लिए आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि ट्रस्ट में सभी संपत्ति का स्वामित्व कानूनी रूप से आपको ट्रस्टी के रूप में transfer कर दिया गया है। यदि किसी संपत्ति ( Realestate, Stocks, Mutual Funds) हेतु आपको उस संपत्ति के ट्रस्ट के स्वामित्व को बदलना होगा।
  • Maintain Accurate Record: एक बार आप Living Trust बना लेते हैं तो आपको Income tax रिकॉर्ड की आवश्यकता नहीं होती। इसमें ट्रस्ट के संपत्ति से कोई मतलब नहीं होता। इसमें केवल आपके व्यक्तिगत आय पर Return भरा जाता है परंतु अगर आप ट्रस्ट के अंदर या बाहर संपत्ति का स्थानांतरण करते हैं तो आपको लिखित रिकॉर्ड रखना बहुत जरूरी है।

> Commercial Paper और Certificate of Deposit में क्या अंतर है?

> Negotiable Instruments Act क्या है?

> Indian Bill Market क्या हैं?

Trust के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु :-

  • भारतीय न्यास अधिनियम (Indian Trust Act), Personal Trust को और Social Trust Act, Public trust को Regulation करता है। वह Document जिससे Trust बनता है, न्यास विलेख (instrument of trust) कहलाता है।
  • Trustee अपने अधिकार को हस्तांतरित (delegate) नहीं कर सकता। अगर कहीं एक से ज्यादा trustee हों और उनमें किसी की Death हो जाए तो उसके अधिकार दूसरे trustee के पास चले जाते हैं। परंतु अगर एक ही trustee हो तो फिर नया trustee नियुक्त करना पड़ता है। 
  •  Bank में नया Account Open करते समय Bank अधिकारियों को Trust Deed ठीक से जांच लेना चाहिए।
  •  अगर एक से ज्यादा Trustee हों तो सभी Trustee मिलकर Account खोल सकते हैं। Account खोलने के लिए Trust विलेख के अलावा Trusties के द्वारा पारित एक प्रस्ताव, Trust पंजीकरण प्रमाण-पत्र (Registration Certificate) अथवा धर्मार्थ आयुक्त (Charity Commissioner) का प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य रहता है।
  • कोई भी Trustee, Account का Circulation रोक सकता है। Trust के पक्ष में लिखे चेक को Trustee के खाते में जमा नहीं किया जा सकता।
  • जब तक Trustee Deed में स्पष्ट न लिखा हो Trustee ऋण नहीं ले सकते।
  •  किसी Trustee के दिवालिया होने से, Trust के खाते का Operations नहीं रोका जा सकता।
  •  Trustee के द्वारा अपनी मृत्यु से पहले लिखे गए Cheque का भुगतान बैंक के द्वारा किया जा सकता है।

आज आपने क्या सीखा

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा आर्टिकल न्यास (Trust) क्या होता है? (What is Trust in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी |

यदि आपके मन में इस Article को लेकर कोई Doubt है या आप चाहते हैं कि इसमें कुछ Add होना चाहिए तब इसके लिए आप नीचे Comment लिख सकते हैं आपकी इन्हीं विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मौका मिलेगा |

यदि आपको यह लेख ट्रस्ट क्या है इन हिंदी? (What is Trust in Hindi) अच्छा लगा हो इससे आपको कुछ सीखने को मिला हो तो आप अपनी प्रसन्नता और उत्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर Share कीजिए |

इन्हें भी पढ़ें :

Leave a Comment