यह एक ऐसा Topic है जो भारत में बहुत ज्यादा प्रचलित है क्योंकि पहले ललित मोदी फिर विजय माल्या और फिर नीरव मोदी का नाम आता है जिसने banks को NPA बनने में कोई कसर नहीं छोड़ी और जब Economic Topic पर बात हो रही है तो यह Topic सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है तो आज के Article में हम लोग जानेंगे कि NPA (Non Performing Assets) क्या होता है और इसके कितने प्रकार होते हैं?
NPA क्या है? What is NPA in Hindi?
NPA का Full Form Non Performing Assets होता है जिसे हमलोग हिंदी में गैर-निष्पादनीय परिसम्पत्तियाँ कहते है ।
Bank द्वारा दिये गए वैसे Loan जिनका Principal Amount या Interest का भुगतान ऋणी द्वारा 90 दिनों तक नहीं किया जाता है तो ऐसे Loan को Non-Performing Assets कहते है |
या,
Banks द्वारा वितरित ऐसे सभी loan और उस पर देय Interest Non executable के रूप में पहचाने जाते हैं जिनमें किसी financial year में Principal amount का भुगतान 180 दिन तथा Interest का भुगतान 365 दिन से अधिक दिनों तक रोका जाता है।
Reserve Bank of India के द्वारा, 1 अप्रैल, 1992 से नरसिमहम समिति की सिफारिशों पर Non-Performing Assets के दिशा निर्देश जारी किए गए । |
Banks के Nationalization के बाद से भारत के सर्वांगीण विकास में Commercial Banks ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है, लेकिन इसी के साथ-साथ विगत वर्षों में Banks की लाभप्रदता गिरी है। निजी लाभप्रदता का एक प्रमुख कारण Banks की Non-Performing Assets में भारी वृद्धि हो जाना है | Non-Performing Assets Banks एवं Financial institutions द्वारा वितरित हैं, जिनके Principal amount एवं उस पर देय Interest की वापसी समय से नहीं हो पाती या बिलकुल नहीं हो पाती।
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NPA के कितने प्रकार होते है? (How many Types of NPA in Hindi)
Non-Performing Assets के निम्नलिखित तीन प्रकार होते है:-
1. Bad Assets
Banks द्वारा वितरित loans के Principal amount तथा उस पर देय Interest का Repayment जब दो वर्ष तक नहीं किया जाता, तो ऐसी Assets को घटिया या Sub-standard Assets की संज्ञा दी जाती है। Banks द्वारा ऐसे loans के Repayment का नया Schedule बनाया जाता है। ऐसे loans को कम-से-कम एक वर्ष तक Bad assets के रूप में पहचाना जाना चाहिए।
2. Suspicious assets
ऐसे loan जो उपर्युक्तानुसार दो वर्षों तक Non executable रहे हैं, परन्तु जिनके वसूल होने की सम्भावना है। अर्थात् जिन्हें Damage assets नहीं मान लिया गया है, Doubtful assets के रूप में वर्गीकृत किए जाते हैं। इस वर्ग में अधिकांशतः ऐसी बीमार कंपनियों द्वारा लिए गए loan आते हैं जिन्हें औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड (Board for Industrial and Financial Reconstruction) को सन्दर्भित कर दिया गया है और बोर्ड द्वारा उक्त Companies के Reconstruction का पैकेज जरूरी है।
3. Damage Assets
ऐसी Assets जिसकी पहचान क्षति के रूप में कर ली गई है, परन्तु उसे अपरलिखित नहीं किया गया है, क्षति परिसम्पत्ति (Damage Assets) कहलाती है। ये वे loan होते हैं, जो वसूल किए जाने की स्थिति में नहीं होते, तथापि इनका कुछ-न-कुछ Salvage value अवश्य हो सकता है। Reserve Bank of India ने International व्यवस्थाओं के अनुरूप Non-Performing Assets के लिए Provisioning standard निर्धारित किए हैं। इसका अर्थ है कि Banks को loans की वसूली न हो पाने से होने वाली हानि के विरूद्ध सुरक्षा के रूप में अपनी निधियों का एक भाग अलग से रखना होता है।
उदाहरण के लिए, Bad या substandard assets के Net worth का 10 प्रतिशत, Suspicious Assets के net worth का 20 प्रतिशत तथा Loss of assets का 100 प्रतिशत प्रावधान राशि के रूप में रखना पड़ता है।
Standard Assets
Banks द्वारा वितरित ऐसे सभी loan Executable assets माने जाते हैं, Principal amount एवं उस पर देय Interest समय से bank को प्राप्त होता रहता है। इन्हें Standard assets की संज्ञा दी जाती है। इसमें ऐसे loans को भी किया जाता है जिनमें बकाया Principal amount तथा उस पर देय Interest का भुगतान क्रमशः 180 दिन तथा 365 दिन से अधिक समय तक किसी Financial Year में नहीं जाता। इस प्रकार की Assets के लिए Banks को किसी भी प्रकार का प्रावधान नहीं करना पड़ता।
Non-Performing Assets कौन-कौन से खाते होते है?
- सावधि ऋण (Term loan)
इसमें जब Interest, Principal Amount या कोई और वापस लेने वाली धनराशि देय हो जाए और 90 दिनों से अधिक के समय तक न दी जाए।
- नकदी ऋण (cash credit) या अधिविकर्ष (overdraft)
इस खाता में अगर 90 दिनों से अधिक समय तक अनियमित (out of order) रहे।
- बिल खाते (Billing Accounts)
इसमें अगर एक बिल, जिसे ख़रीदा या भुनाया (purchased/discounted) गया, 90 दिनों से अधिक समय तक अनियमित (overdue) रहे।
- कृषि संबंधित ऋण (Agriculture Related Loans)
इसमें 90 दिनों के स्थान पर, कम अवधि की फ़सलों के लिए जब दो कृषि मौसम (two crop seasons for short duration crops i.e. crops which are harvested in a period up to 12 months) और लंबी अवधि की फ़सलों (long duration crops i.e. crops harvested after 12 months) के लिए एक कृषि मौसम के लिए, खाते में देय ब्याज या मूल न दिया जाए।
- दूसरे किसी (other loan accounts) भी खाते में अगर देय धनराशि 90 दिनों से अधिक समय तक न दी जाए।
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Classification of Loan Accounts under Non Performing Assets
Features of the account | Classification |
माणक नियमित (Standard regular accounts) | कोई समयावधि नहीं |
माणक अनियमित (Standard irregular accounts) | 90 दिन |
अवमाणक (sub-standard) | 12 महीने |
Doubtful ( Up to 1 year) | 12 महीने |
Doubtful (बारह महीने से उपर तीन साल तक) | दो साल |
Doubtful (तीन साल से उपर) | अनिश्चित समय (uncertain period) |
हानि खाता (loss account) | अनिश्चित समय (uncertain period) |
Non-Performing Assets Account के परिणाम
अगर एक Account Non-Performing Advances बन जाए तो उसके निम्नलिखित परिणाम हो सकते हैं:
- उस Account Holder के सभी Account को Non-Performing Advances माना जाता है, चाहे दूसरे Account ठीक ठाक हों।
- Account में Interest तब तक Debit नहीं किया जा सकता, जब तक उसकी असल में वसूली न हो ।
- Account में देय धनराशि के ऊपर (on the gross NPA i.e. outstanding balance) दिशा निर्देश के अनुसार Provision करना पड़ता है।
Conclusion:
दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा Article NPA (Non Performing Assets) क्या होता है और इसके कितने प्रकार होते हैं? What is Non performing Assets in Hindi? के बारे में आपको उचित जानकारी मिल गयी होगी जिससे आप संतुष्ट होगें |
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